राज एक्सप्रेस। इनमें से एक पार्षद प्रत्याशी के हलफनामे से जुड़ा था व दूसरा मेयर के चुनाव से। मेयर के अप्रत्यक्ष चुनाव के साथ इसमें पार्षदों के एक ही जगह वोटर होने व परिसीमन व चुनाव के बीच कम से कम 6 माह की बाध्यता को दो माह करने का जिक्र है। बताया जा रहा है कि राज्यपाल ने फिलहाल इस पर निर्णय नहीं लिया है। इससे राजभवन व राज्य सरकार के बीच तकरार की स्थिति बन गई है।
इनमें से एक अध्यादेश को राज्यपाल लालजी टंडन ने मंजूरी दे दी। मेयर के अप्रत्यक्ष चुनाव से जुड़े अध्यादेश को फिलहाल रोक दिया है। इसे लेकर नगरीय विकास मंत्री जयवर्धन सिंह ने राज्यपाल से मुलाकात कर राज्य सरकार का रूख स्पष्ट करने की कोशिश की, जबकि ऑल इंडिया मेयर्स काउंसिल ने इस अध्यादेश का विरोध कर दिया।
कांग्रेस के राज्यसभा संसद विवेक तन्खा ने राज्यपाल द्वारा बिल को रोके जाने का जताया विरोध
ऑल इंडिया मेयर्स काउंसिल भी बिल के विपक्ष में
ऑल इंडिया मेयर्स काउंसिल के संगठन मंत्री व पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने राज्यपाल से मिलकर इस मामले में कहा कि अप्रत्यक्ष नहीं, सीधे चुनाव होने चाहिए। जैसा की पिछली बार हुआ। राज्यपाल ने जिस एक अध्यादेश को मंजूरी दी है, वह पार्षद प्रत्याशी के हलफनामे से जुड़ा है। यदि किसी भी प्रत्याशी ने हलफनामे में गलत जानकारी दी तो विधानसभा चुनाव की तरह उन्हें 6 माह की सजा और 25 हजार रुपए का जुर्माना हो सकता है।
अगर आज राज्यपाल अध्यादेश को मंजूरी देते हैं तो मध्यप्रदेश में अप्रत्यक्ष रूप से होंगे महापौर के चुनाव जिसमे महपौर प्रत्यशी को सीधे वोट नहीं दिये जायेगे। चुने गए पार्षदों द्वारा ही महापौर को चुन लिया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि, राज्य निर्वाचन आयोग के अप्रत्यक्ष चुनाव प्रक्रिया संबंधी प्रस्ताव को पिछले महीने कैबिनेट ने मंजूरी दी थी, इसके तहत प्रदेश में महापौर का चयन निर्वाचित पार्षदों द्वारा किया जाना है। इसी तरह नगर पंचायत अध्यक्षों का निर्वाचन भी पार्षदों द्वारा होना है। इस प्रक्रिया का भाजपा विरोध कर रही है। इस संबंध में भाजपा ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर निकाय चुनाव की अप्रत्यक्ष प्रक्रिया को मंजूरी नहीं देने की अपील की है।
शिवराज सिंह पहुँचे राजभवन, राज्यपाल से की मुलाकात
राज्यपाल और कांग्रेस सरकार के बीच टकराव के दरम्यान बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज अचानक राजभवन पहुंचे और राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर सरकार के द्वारा भेजे गए नगरी निकाय एक अध्यादेश को रद्द करने की मांग की। शिवराज ने इस अध्यादेश के मंजूर होने पर प्रदेश में पार्षदों की खरीद-फरोख्त बढ़ने की आशंका जताई है। साथ ही उन्होंने ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी अध्यादेश को वापस लिए जाने की मांग रखी है। जबकि शिवराज ने राज्यपाल से मुलाकात कर इस मामले में जल्द फैसला लेने का अनुरोध किया। वहीं उन्होंने भोपाल शहर में 2 नगर-निगमों के गठन पर भी आपत्ति जताते हुए राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की है।
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