राज एक्सप्रेस। अयोध्या के राम मंदिर मुद्दे पर समाधान करने के बाद गंगा की सफाई का मुद्दा भी एक आर्थिक एजेंडा है, जिसपर मोदी सरकार को यह कहते सुना ही गया होगा 'मां गंगा की सेवा करना मेरे भाग्य में है' और आज अर्थात 14 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी मुद्दे को लेकर उत्तर प्रदेश के कानपुर भी पहुंचे (National Ganga Council Meeting) हैं, PM मोदी की यह कानपुर यात्रा बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि उनके एजेंडों में गंगा की सफाई का मुद्दा प्राथमिकता पर है।
नमामि गंगे प्रोजेक्ट पर समीक्षा :
कानपुर के चंद्रशेखर आजाद कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 'नमामि गंगे प्रोजेक्ट' पर समीक्षा के लिए 'नेशनल गंगा काउंसिल की बैठक' हुई, जिसमें केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के अलावा कई अफसर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, कई वरिष्ठ नेता और अधिकारीगण शामिल हुए। इस बैठक में PM मोदी ने 'नमामी गंगे' परियोजनाओं का हाल जाना, साथ ही उसमें गिर रहे नालों का जायजा भी लिया।
गंगा का निरीक्षण करने पहुंचे PM :
'नमामि गंगे' की बैठक के बाद अटल घाट से मोटर बोट के जरिए PM मोदी गंगा का निरीक्षण करने पहुंचे, इस दौरान मोदी के साथ CM योगी, CM त्रिवेंद्र सिंह, बिहार के डिप्टी CM सुशील मोदी सहित मंत्री और अधिकारी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल घाट पर 'नामामी गंगा प्रोजेक्ट' की समीक्षा की और फिर नौकायान भी किया, लेकिन इस दौरान सीढ़ियों पर वे अचानक गिर गए, तुरंत ही उनके सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें सहारा देते हुए उन्हें उठा लिया, हालांकि, उन्हें कहीं चोट नहीं लगी हैं।
CM योगी ने किया PM का स्वागत :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे ही कानपुर पहुंचे, तो यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मंत्रिमंडल के सहयोगियों व केंद्रीय मंत्रियों ने उनका स्वागत किया। इसके बाद प्रधानमंत्री चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय पहुंचकर यहां सबसे पहले 'चंद्रशेखर आजाद' की प्रतिमा पर नमन किया, फिर 'नमामी गंगे मिशन' के तहत प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
वहीं, सुबह CM योगी ने अपने ट्वीट में लिखा- 'मां गंगा की धारा अब कानपुर के घाटों पर स्वच्छ और निर्मल है, जल आचमन के उपयुक्त हो गया है, ऐसा आपके विजन और मार्गदर्शन के बिना संभव नहीं था।'
बता दें कि, इस बैठक में आने का न्यौता पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और झारखंड के CM रघुबर दास को भेजा गया था, लेकिन इस बैठक का हिस्सा नहीं बने।
क्या है नमामि गंगे प्रोजेक्ट?
केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2014 में हमारी संस्कृति और विरासत के प्रतीक हमारी राष्ट्रीय नदी 'गंगा' और इसकी सहायक नदियों का प्रदूषण खत्म कर इन्हें पुनर्जीवित करने के लिए 'नमामि गंगे प्रोजेक्ट' की शुरूआत की थी, जिसकी जिम्मेदारी केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प को सौंपी गई, इस परियोजना की अवधि 18 वर्ष की है। मोदी सरकार ने वर्ष 2019 से 2020 तक नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए का बजट तय किया है।
वहीं, कानपुर में एशिया में सबसे बड़ा व 128 साल पुराना सीसामऊ नाला है, जिसका निर्माण अंग्रेजों ने शहर के गंदे पानी की निकासी हेतु किया था, इसमें 14 करोड़ लीटर अशुद्ध पानी प्रतिदिन गंगा में गिरता था, लेकिन अब 'नमामि गंगे परियोजना' के तहत इसे साफ करते हुए डायवर्ट कर वाजिदपुर और बिनगवां ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जा रहा है।
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