राज एक्सप्रेस। नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर देश में बवाल तो और कई जगह हिंसक घटनाएँ हो रही हैं और इन हालातों के बीच देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) ने केंद्र की मोदी सरकार को यह सलाह दी है।
क्या है प्रणब मुखर्जी की सलाह?
दरअसल, पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने लोकसभा और राज्यसभा की सीटों को बढ़ाए जाने की बात कही है, उनका यह कहना है कि, भारत में निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए निर्वाचन क्षेत्र अनुपातहीन रूप से आकार में बड़ा है।
साथ ही पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विपक्ष समेत सभी के साथ लेकर चलने की सलाह दी है।
लोकसभा-राज्यसभा सीटों पर दिए यह सुझाव :
इंडिया फाउंडेशन की तरफ से आयोजित दूसरा अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति व्याख्यान देते हुए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यह सुझाव दिया है कि-
इसके अलावा प्रणब मुखर्जी द्वारा यह बात भी कहीं गई है कि, लोगों ने कुछ पार्टी को संख्यात्मक बहुमत दिया हो सकता है, लेकिन भारत के चुनावी इतिहास में मतदाताओं के बहुमत ने कभी भी एक पार्टी का समर्थन नहीं किया है।
क्या है लोकसभा सीटें बढ़ाने का उद्देश्य :
प्रणब मुखर्जी का यह मानना है कि, लोकसभा की सदस्य संख्या 1977 में परिवर्तित की गई थीं, जो 1971 में हुई जनगणना के आधार पर व उस समय आबादी 55 करोड़ थी, परंतु अब तो देश की आबादी दोगुने से भी अधिक बढ़ी हुई है, इसलिए आदर्श रूप से लोकसभा की सीटें बढ़ाकर 1000 कर दी जानी चाहिए।
लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ होने पर बोले मुखर्जी :
इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने का भी जिक्र करते हुए बोले- ''यह संवैधानिक संशोधनों के बाद किया जा सकता है, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि, निर्वाचित सदस्य भविष्य में किसी सरकार पर भरोसा नहीं खोएंगे।''
बताते चलें कि, इंडिया फाउंडेशन की तरफ से सोमवार को अटल बिहारी वाजपेयी मेमोरियल लेक्चर रखे गए थे, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी पहुंचे थे।
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