केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का दावा-महाराष्ट्र में विकास नहीं वसूली हो रही
दिल्ली, भारत। महाराष्ट्र में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के लेटर से महाराष्ट्र की राजनीति इस कदर गरमाई हुई है कि, अभी तक भाजपा के नेता राज्य की सरकार पर जोरदार निशाना साध रहे हैं। नई दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में आज फिर भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
महाराष्ट्र में विकास नहीं वसूली हो रही :
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा- भारत के इतिहास में ये पहली बार हुआ कि, किसी पुलिस कमिश्नर ने लिखा कि, राज्य के गृह मंत्री जी ने मुंबई से 100 करोड़ रुपये महीना वसूली का टार्गेट तय किया है। जब एक मंत्री का टार्गेट 100 करोड़ रुपये है तो बाकी के मंत्रियों का कितना होगा? महाराष्ट्र में विकास नहीं वसूली हो रही है।
रविशंकर प्रसाद द्वारा कही गईं बातें-
महाराष्ट्र जैसे राज्य में बड़े अधिकारियों की पोस्टिंग में वसूली हो रही है, तो हमें लगा मुख्यमंत्री कार्रवाई करेंगे, लेकिन दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय, एक ईमानदारी महिला अधिकारी को सिविल डिफेंस का डीजीपी बना दिया।
सचिन वाजे सस्पेंडेड था, करीब 15-16 वर्षों तक, वो शिवसेना का सदस्य बनता है। उसे कोरोना काल में reinstate करते हैं। उसके बाद उन्हें ही 100 करोड़ वसूली का टार्गेट दिया जाता है।
एक उद्योगपति के घर के सामने जो गाड़ी मिली है, उसकी एनआईए जांच कर रही है, उस गाड़ी का तथाकथित मालिक मृत पाया जाता है, तो उसकी जांच को क्यों रोका जा रहा है?
मैं शरद पवार जी से कहना चाहूंगा कि, आप कृपया देश को बताएं कि गलत तथ्यों के आधार पर आपको महाराष्ट्र के गृहमंत्री को क्यों डिफेंड करना पड़ा?
महाराष्ट्र सरकार को कौन चला रहा है? इस वसूली अघाड़ी की राजनीतिक दिशा क्या है? शरद पवार जी की ऐसी क्या मजबूरी है कि वो गृह मंत्री देशमुख का इतना बचाव कर रहे हैं वो भी गलत तरीके से।
दो दिनों में शरद पवार जी की राजनीतिक साख पर जो बहुत बड़ा धब्बा लगा है, उसका एकमात्र रास्ता है कि, शरद पवार अनिल देशमुख का इस्तीफ़ा कराएं। उद्धव ठाकरे की सरकार शासन का नैतिक अधिकार खो चुकी है।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने NIA से भी ये अनुरोध किया है कि, ''मनसुख हिरेन की मौत की जांच हमें दे दी जाए, वो जांच महाराष्ट्र सरकार ने अब तक एनआईए को नहीं दी है। इस पूरे मामले की व्यापक जांच क्यों नहीं होनी चाहिए।''
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