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महाराष्ट्र: सियासी उठापठक के बीच शिवसेना नेता की कड़ी प्रतिक्रिया

शिवेसना नेता संजय राउत बोले- अब हारना और डरना मना है। हमारी पार्टी प्राण जाए पर वचन न जाए वाले सिद्धांत की पार्टी है। बालासाहेब की कसम हम झूठ...

राज एक्‍सप्रेस। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों की बयानबाजी अभी भी जोरों पर चल रही। जी हां! महाराष्ट्र में सियासी उठापठक के बीच शिवसेना नेता व सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं, वह लगातार आए दिन रोज एक ना एक ट्वीट करके अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे ही रहे हैं। आज 14 नवंबर को सुबह भी उन्‍होंने ट्वीटर पर कैप्शन लिखते हुए एक टैक्स्ट फोटो साझा की है।

यह है संजय राउत का ट्वीट-

जैसा कि, आप संजय राउत के ट्वीट में यह देख ही रहे हैं कि, उन्‍होंने कैप्शन लिखा- 'अब हारना और डरना मना है।' इसके अलावा नीचे एक टैक्स्ट फोटो साझा करते हुए इसपर लिखा- ‘‘हार हो जाती है जब मान लिया जाता है, जीत तब होती है जब ठान लिया जाता है।’’

बालासाहेब की कसम हम झूठ नहीं बोल रहे :

इसके साथ ही शिवसेना नेता संजय राउत ने एक बार फिर से भाजपा पर वादाखिलाफी का आरोप लगते हुए यह बात कही कि, ''भाजपा के साथ 50-50 फॉर्मूले पर बात हुई थी। उद्धव ठाकरे और अमित शाह के बीच यह बात जिस कमरे में हुई थी, वह सामान्य कमरा नहीं बल्कि बालासाहेब ठाकरे का कमरा है, जिसे हम मंदिर मानते हैं। हम बालासाहेब की कसम खाते हैं। हम झूठ नहीं बोल रहे।''

ये वहीं कमरा है, जहां से बालासाहेब नरेंद्र मोदी को आशीर्वाद दिया करते थे, जहां से विश्व में कोई भी नेता आता है तो चाहता है कि, उस कमरे में बालासाहेब का नमन करे।

शिवसेना प्राण जाए, पर वचन न जाए वाली पार्टी है :

संजय राउत ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए आगे यह भी कहा कि, "शिवसेना प्राण जाए, पर वचन न जाए वाले सिद्धांत की पार्टी है।" यह महाराष्ट्र के सम्मान की बात है। राजनीति हमारे लिए व्यापार नहीं है, जो बात हुई वो प्रधानमंत्री तक पहुंचाई जाती, तो हालात यहां तक नहीं पहुंचते।

बता दें कि, केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बुधवार को महाराष्ट्र संकट पर पहली बार एक इंटरव्यू में यह कहा था कि, 'हम तो शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार थे, चुनाव प्रचार के दौरान PM नरेंद्र मोदी और मैंने कई बार कहा था कि, चुनाव जीतने के बाद देवेंद्र फडणवीस ही राज्य के मुख्यमंत्री होंगे, अगर इस पर आपत्ति थी, तो उसी समय कहना चाहिए था, अब वो नई शर्तों के साथ आ गए, जो कि नहीं मानी जा सकती थीं।'

बताते चलें कि, महाराष्‍ट्र में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर पढ़े पूरी खबर-

जानिए क्‍यों लगा राष्ट्रपति शासन और क्या हैं इसके मायने?

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