शिवसेना का शाह से सवाल-दिल्ली जली तब कहां और क्या कर रहे थे?

दिल्ली हिंसा-दंगे मामले पर आज शिवसेना ने मुखपत्र 'सामना' में 'गृह मंत्री कहां थे' शीर्षक देते हुए संपादकीय लिखी और अमित शाह को निशाने पर लेते हुए यह अन्‍य सवाल पूछेे...
शिवसेना का शाह से सवाल-दिल्ली जली तब कहां और क्या कर रहे थे?
शिवसेना का शाह से सवाल-दिल्ली जली तब कहां और क्या कर रहे थे?Priyanka Sahu -RE

राज एक्‍सप्रेस। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर दिल्ली में हुई हिंसा व दंगे मामले पर सियासत अभी भी जारी है। अब हाल ही में 'शिवसेना' ने अपने मुखपत्र 'सामना' के जरिए केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा व गृह मंत्री अमित शाह को निशाने पर लेते हुए संपादकीय लिखी और इसका शीर्षक 'गृह मंत्री कहां थे?' दी है।

संपादकीय में शिवसेना का पहला सवाल :

'शिवसेना' ने अपने संपादकीय की शुरुआत में सबसे पहला सवाल लिखा, जिसमें यह पूछा गया-

''दिल्ली जब जल रही थी, लोग जब आक्रोश व्यक्त कर रहे थे, तब गृह मंत्री अमित शाह कहां थे? क्या कर रहे थे?

सामना के जरिये यह सवाल भी किये :

  • राष्ट्रपति ट्रम्‍प को नमस्ते, नमस्ते साहेब कर रहे थे, लगभग 3 दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति बनाए रखने का आव्हान किया।

  • राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल चौथे दिन अपने सहयोगियों के साथ दिल्ली की सड़कों पर लोगों से चर्चा करते दिखे, इससे क्या होगा? जो होना था, वो नुकसान पहले ही हो चुका है।

  • सवाल ये है कि देश को मजबूत गृह मंत्री मिला, लेकिन वे इस दौर में हमारे गृह मंत्री दिखे नहीं? विपक्ष सवाल उठाएगा तो क्या उन्हें देशद्रोही ठहराया जाएगा?

  • 24 घंटे में जस्टिस मुरलीधर के तबादले का आदेश निकल गया। सरकार ने न्यायालय द्वारा व्यक्त 'सत्य' को मार दिया।

  • देश की साफतौर पर धराशायी हो रही है, लेकिन भड़काऊ भाषण का निवेश और उसका बाजार जोरों पर है।

शिवसेना ने मुखपत्र 'सामना' में यह बात भी कही-

दिल्ली के दंगों में अब तक 38 लोगों की बलि चढ़ गई है और सार्वजनिक संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है। मान लें, केंद्र में कांग्रेस या दूसरे (किसी) गठबंधन की सरकार होती और विरोधी सीट पर भारतीय जनता पार्टी का महामंडल होता तो दंगों के लिए गृह मंत्री का इस्तीफा मांगा गया होता। गृह मंत्री के इस्तीफे के लिए दिल्ली में मोर्चा और घेराव का आयोजन किया गया होता, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि विपक्ष कमजोर है, फिर भी सोनिया गांधी ने गृह मंत्री का इस्तीफा मांगा है।

राजधानी सुरक्षित नहीं, तो फिर क्या सुरक्षित?

सामना में लिखा- "देश की राजधानी ही सुरक्षित नहीं होगी, तो फिर क्या सुरक्षित है, ऐसा सवाल उठता है। 1984 के दंगों की स्थिति इससे अलग नहीं थी, उस समय भी सरकार छिपकर बैठी थी और राजनीतिक दंगाइयों को खुली छूट मिली हुई थी, लेकिन 30-35 सालों के बाद उन दंगों का नेतृत्व करने वाले जेल गए, इसे भूलना नहीं चाहिए।"

बता दें कि, दिल्ली हिंसा में मरने वालों की तादाद लगातार बढ़ती ही जा रही है और अब तक 39 लोगों के जान गई, तो वहीं करीब 200 से ज़्यादा जख्‍मी हो चुके हैं। हालांकि, क्राइम ब्रांच की टीमें हिंसा की जांच कर रही हैं। वहीं दिल्‍ली पुलिस ने आरोपी ताहिर हुसैन के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया है, तो वहीं आप ने भी पार्टी से सस्पेंड कर दिया है।

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