इन हालातों में सोनिया गांधी का अंतरिम अध्यक्ष बनना एक बड़ी चुनौती

कांग्रेस ने गांधी परिवार से ही सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया हैं और इस समय कांग्रेस की डगमगाती नैया को पार लगाना, उनके लिए ये किसी चुनौती से कम नहीं हैं, जाने ऐसा क्‍यों।
सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष होंगी
सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष होंगी Neha Shrivastava - RE

राज एक्‍सप्रेस। लोकसभा चुनाव 2019 के चुनावों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी की नैया डगमगा रही थीं व पिछले 2 महीनों से संकट के बादल मंडरेे थें, लेकिन 10 अगस्‍त को हुई कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में बहुत माथापच्ची के बाद कांग्रेस पार्टी ने गांधी परिवार से ही अध्‍यक्ष पद की बागडोर संभालने के लिए अपने वरिष्‍ठ नेता का नाम तय कर सभी समंजस की स्थितियों पर विराम लगा दिया हैं।

किसे बनाया कांग्रेस अध्‍यक्ष :

वैसे कांग्रेस पार्टी ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस की पूर्व अध्‍यक्ष व वरिष्‍ठ नेता सोनिया गांधी को ही दोबारा अंतरिम अध्यक्ष की कमान सौंपी हैं। हालांकि, सोनिया गांधी को कुछ समय के लिए ही यह कमान सौंपनी हैं, नए अध्यक्ष का चुनाव कराकर वह ये पद से हट जाएंगी। कांग्रेस जब तक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) की बैठक में पार्टी का स्थायी अध्यक्ष के लिए चुनाव नहीं कर लेती व नया अध्यक्ष नहीं चुन लेती, तब तक सोनिया गांधी ही इस पद की जिम्मेदारी संभालेंगी।

कब होंगी AICC की बैठक :

कांग्रेस पार्टी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) की बैठक जल्द ही बुला सकती हैं, परंतु अभी तक तो इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं हुई हैं।

CWC बैठक में ये 3 प्रस्‍ताव हुए पारित :

बता दे कि, कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक के दौरान सर्वसम्‍मति से 3 प्रस्‍ताव भी पास किए हैं।

पहले प्रस्ताव में राहुल के नेतृत्व की तारीफ :

कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में पास हुए पहले प्रस्तााव में राहुल गांधी के नेतृत्व की तारीफ की गई। उनकी तारीफ में कहा गया कि, राहुल गांधी ने बेबाकी से देश के मुद्दों को उठाया है, साथ ही पार्टी को नई ऊर्जा दी व कांग्रेस के सभी कार्यकर्ताओं को भी प्ररित किया।

दूसरे प्रस्‍ताव में अध्यक्ष पद न छोड़ने की मांग :

वहीं, दूसरे प्रस्ताव में राहुल गांधी से कांग्रेस अध्यक्ष पद को न छोड़ने की मांग की गई, लेकिन राहुल गांधी ने इसे विनम्रता से ठुकरा दिया।

तीसरे प्रस्‍ताव में सोनिया का नाम तय :

इसके बाद आखिर व तीसरे प्रस्‍ताव में पार्टी का अध्‍यक्ष का नाम तय किया गया और कांग्रेस की वरिष्‍ठ नेता सोनिया गांधी को अंतरिम अध्‍यक्ष बनाये जाने का निर्णय लिया।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर :

सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है, क्योंकि सोनिया गांधी के नेतृत्व में ही केंद्र में लगातार 2 बार कांग्रेस सत्ता में आई थीं। अब देखना ये है कि, कांग्रेस की ये डगमगाती नैया को श्रीमति सोनिया गांधी कैसे पार लगाती हैं व किस तरह से कांग्रेस को पुनर्जीवित करती है, फिलहाल वर्तमान दौर में कांग्रेस का उबारना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।

कांग्रेस में बदलाव के आहट की उम्‍मीद :

हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने कुछ समय के लिए ही सही, लेकिन इस खाली पद पर सोनिया गांधी को बैठा दिया हैं, जिससे कांग्रेस में एक बार फिर से बदलाव की आहट होने की उम्‍मीद हैं, क्‍योकि लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव के बाद से ही कांग्रेस पार्टी के हालात ऐसे हो चुके थे कि, कोई अध्‍यक्ष पद की कमान की जिम्‍मेदारी संभालने को तैयार नहीं हो रहा था। हर जगह कांग्रेस बिखरती हुई नजर आ रही थीं और ऐसे हालातों के बीच कांग्रेस का भविष्य अंधकार में नजर आने लगा था, लेकिन वरिष्‍ठ नेता सोनिया गांधी ने ये हालात संभाल लिए हैं।

लंबे समय तक कांग्रेस अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड:

सोनिया गांधी के नाम सबसे अधिक लंबे समय तक कांग्रेस अध्यक्ष रहने का रिकॉर्ड रहा हैं, क्‍योंकि वे 19 सालों तक कांग्रेस अध्यक्ष पद पर रह चुकी हैं, आखिर उन्‍होंने कांग्रेस अध्‍यक्ष की कमान कब- कब संभाली, तो वह पहली बार 14 मार्च 1998 में कांग्रेस अध्यक्ष बनी थीं, लेकिन शरद पवार के विरोध के बाद उन्‍होंने 15 मई 1999 में यह पद छोड़ दिया था। इसके बाद सोनिया गांधी ने कुल 8 दिन बाद यानी 24 मई 1999 को फिर से इसी पद की जिम्‍मेदारी संभाली और वो वर्ष 2017 तक इसी पद पर नियुक्‍त रहीं। इसके बाद वर्ष 2017 से कांग्रेस अध्यक्ष की कमाल उनके बेटे राहुल गांधी संभाल रहे थे, लेकिन चुनाव में मिली करारी हार के बाद से राहुल गांधी ने ये पद संभालने से साफ इंकार कर दिया था और इस्‍तीफे देने को अड़े हुए थे और न ही वे ये पद संभालने के तैयार थे। इसके साथ ही अध्यक्ष पद से राहुल गांधी का इस्तीफा भी मंजूर कर लिया गया हैं।

सोनिया गांधी ने पहले कहीं थीं ये बात :

यहां एक बात ओर गौर करने वाली है कि, कांग्रेस की वरिष्‍ठ नेता सोनिया गांधी ने जब यह बात कहीं थीं कि, कांग्रेस पार्टी को अब नया अध्‍यक्ष तय करने की जरूरत है और यह प्रक्रिया जितनी जल्‍दी शुरू करे, कांग्रेस के लिए यह उतना ही अच्‍छा साबित होगा, साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा था कि, गांधी परिवार से अब कोई ये कमाल नहीं संभालेगा। अब सवाल यह आता है कि, अगर वरिष्‍ठ नेता सोनिया गांधी को ये कमान संभालनी ही थीं तो फिर गांधी परिवार से बाहर के व्यक्ति को देने की बात क्‍यों की गई और राहुल गांधी के इस्तीफा के बाद ही यह फैसला क्‍यों नहीं किया।

इससे पहले क्‍या थीं कांग्रेस लहर :

वैसे अगर देखा जाएं तो, पहले कांगेस पार्टी में अच्‍छी लहर थीं, लोकसभा चुनाव से पहले हुए विधानसभा चुनाव में कांगेस ने ही बाजी मारी थी यानी कि, कांगेस सरकार ने ही इन चुनावों में बहुमत हासिल किया था, लेकिन लोकसभा चुनाव में कांगेस को बुरी तरह से करारी हार का सामना करना पड़ा हैं और केंद्र में नरेंद्र मोदी व भाजपा सरकार ऐतिहासिक जीत के साथ सत्‍ता में आई हैं।

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