राज एक्सप्रेस। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने नक्सलवाद समाप्त करने में अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा है कि, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संचार माध्यमों को सशक्त बनाया जाना चाहिए ताकि सूचनाओं को संग्रहण त्वरित गति से हो सके और समय पर कार्रवाई संभव हो। उन्होंने बताया कि, राज्य में नक्सल समस्या को खत्म करने के सभी प्रयास किए गए हैं। उन्होंने इसके स्थाई समाधान के लिए राज्य और भारत सरकार के संयुक्त प्रयास की आवश्यकता बताई। कमलनाथ सोमवार को विज्ञान भवन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाए गए नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की समीक्षा बैठक में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। बैठक में ग्यारह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया।
केंद्र और राज्य मिलकर करें प्रयास
प्रदेश में नक्सलवाद से निपटने में राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2000 में ’हाॅकफोर्स’ बनाया गया था। सहभागिता आधारित विकास नीतियों के कारण नक्सलवाद को केवल दो जिलों बालाघाट और मंडला की सीमा तक सीमित करने में सफलता मिली। राज्य पुलिस को महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ समन्वय बनाने के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस बल के आधुनिकीकरण पर अधिक जोर दिया गया है। वे आधुनिक गैजेट्स जैंसे ट्रैकर्स, जीपीएस, ड्रोन, ट्रैप कैमरा, बॉडी प्रोटेक्टिव आर्मर और जंगल रिस्ट वाहनों से लैस हैं। उन्होंने ह्यूमन इंटेलिजेंस के साथ टेक्नोलॉजी के समन्वय की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष खुफिया शाखा बनाई गई है। उन्होंने नागरिकों के वित्तीय समावेशन की आवश्यकता व्यक्त की।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में बालाघाट और मंडला में प्रति लाख आबादी पर 6.6 बैंक शाखाएं हैं, जबकि राज्य के औसत बैंक ब्रांच की संख्या 10.58 है। प्रति बैंक शाखा का क्षेत्रफल लगभग 102.5 वर्ग किमी है जबकि राज्य का औसत 49 वर्ग किमी है ऐसी स्थिति से निपटने के लिए, राज्य सरकार ने इस वर्ष 16 अगस्त 2019 से 15 सितंबर 2019 तक राज्य के 89 आदिवासी ब्लॉकों में एक वित्तीय साक्षरता अभियान शुरू किया है। इस दौरान लगभग 30 वित्तीय साक्षरता शिविर आयोजित किए जाएंगे। मंडला और बालाघाट जिलों के 12 आदिवासी ब्लॉक भी इसमें शामिल हैं। कमलनाथ ने बताया कि सरकार आदिवासियों के अधिकार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। प्राप्त किए गए 6.26 लाख पटटा दावा आवेदनों में से 2.66 लाख मामलों में अधिकार दिए गए हैं। सभी 3.66 लाख आवेदनों की समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं, जो अपूर्ण दस्तावेज के कारण खारिज कर दिए गए थे। उन्होंने बताया कि सभी जिलों में 3.6 लाख खारिज किए गए दावों के व्यापक, पारदर्शी और त्वरित निपटान के लिए ’वन मित्र’ पोर्टल शुरू किया गया है।
नक्सलवाद से निपटने के कमलनाथ ने केंद्र को दिए सुझाव
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्र को नक्सलवाद से निपटने के लिए कई महत्वपूर्ण
सुझाव दिए नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की समीक्षा बैठक में हिस्सा लेने आए थे।
उन्होंने राज्य के दो जिलों मंडला और बालाघाट के अलावा अनूपपुर, उमरिया और डिंडोरी जिलों को भी नक्सल प्रभावित जिलों की श्रेणी में जोड़ने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि इन तीन जिलों में नक्सली समस्या उभर न पाए, इसके लिए केन्द्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि एकीकृत कार्य योजनाओं की तर्ज पर इन जिलों में भी विकास कार्यों की योजना बनाई जाए।
सशक्त संचार माध्यम विकसित करने की आवश्यकता पर बल
कमलनाथ ने सशक्त संचार माध्यम विकसित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि पिछड़े इलाकों में 3जी, 4जी की सेसशक्त संचार माध्यम विकसित करने की आवश्यकता पर बलवाएं न होने के कारण सूचना तंत्र प्रभावी नहीं है। उन्होंने पिछडे़ क्षेत्रों में बीएसएनएल की सेवा संतोषजनक नहीं होने के कारण निजी टेलीकाॅम ऑपरेटर की सेवाएं लेने की वकालत की, जिससे सूचनातंत्र 3जी और 4जी के माध्यम से प्रभावी हो सके।
मुख्यमंत्री ने बताया कि -
अभी मंडला और डिंडोरी के केवल तीन विकास खंडों में एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय हैं। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि शेष नौ विकास खंडों में भी एकलव्य माॅडल आवासीय विद्यालय खोले जाएं। इसके अलावा आईटीआई, पोलिटेक्नीक आदि भी नक्सल प्रभावित इलाकों में खोलने की मांग की जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सके और वे उग्रवाद विचारधारा से दूर रहे। उन्होंने नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए इंडिया रिजर्व बटालियन की संख्या बल बढ़ाकर प्रभावित इलाकों में इन अतिरिक्त जवानों की तैनाती की मांग की।
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