राहुल गांधी को सर्वोच्च न्‍यायालय की चेतावनी के साथ राहत

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को उनके बयान को लेकर अवमानना मामले पर और राफेल डील पर सुनाएं गए फैसले से मोदी सरकार को भी बड़ी राहत मिली है। जाने SC ने क्‍या कहा?
Rahul Gandhi Case Verdict
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हाइलाइट्स :

  • राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना मामला खत्‍म

  • अदालत ने राहुल गांधी की माफी स्वीकार की

  • आगे सावधानी बरतने की दी चेतावनी

  • चौकीदार चोर है बयान पर राहुल को कोर्ट से राहत

राज एक्‍सप्रेस। सर्वोच्च न्‍यायालय ने आज अर्थात 14 नवंबर को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के 'चौकीदार चोर है' वाले बयान के खिलाफ दर्ज अवमानना मामले (Rahul Gandhi Case Verdict) को खत्म कर दिया है। जी हां! शीर्ष अदालत ने राहुल गांधी की माफी स्वीकार कर तो ली है, लेकिन कोर्ट ने चेतावनी दी है।

क्‍या है कोर्ट की चेतावनी :

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भविष्य में आगे से सावधान रहें और राजनीतिक बयानबाजी में कोर्ट को न घसीटें।
सर्वोच्च न्‍यायालय

राहुल गांधी ने कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा था-

चौकीदार चोर है वाली बात गर्म चुनावी माहौल में जोश में उनके मुंह से निकल गई और इन बयानों को राजनीतिक विरोधियों ने गलत तरह से इस्तेमाल किया। प्रधानमंत्री खुद भी राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सरकार के लिए क्लीन चिट बताते हैं। साथ ही अपनी टिप्पणी पर खेद जताते हुए कोर्ट से माफी मांगी थी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी

दरअसल, जब सुप्रीम कोर्ट का राफेल विवाद पर फैसला आया था, उस दौरान राहुल ने कहा था, ''सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया है कि, चौकीदार चोर है।'' जिस पर भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने कोर्ट में याचिका दायर करते हुए उनपर राजनीति में सुप्रीम कोर्ट का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए अब राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना मामला बंद कर दिया है।

बता दें कि, देश की सर्वोच्च न्‍यायालय द्वारा आज तीन बड़े मामलों पर अपना फैसला सुनाया गया है।

राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट का कहना-

सर्वोच्च न्‍यायालय द्वारा सुनाएं गए तीन बड़े मामलों में से एक मामला राफेल डील का भी था, जिस पर मोदी सरकार को बड़ी राहत मिली है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कीअगुवाई वाली बेंच ने राफेल मामले में दायर की गईं सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

हमें ऐसा नहीं लगता है कि, इस मामले में कोई FIR दर्ज होनी चाहिए या फिर किसी तरह की जांच की जानी चाहिए। हम इस बात को नज़रअंदाज नहीं कर सकते हैं कि, अभी इस मामले में एक कॉन्ट्रैक्ट चल रहा है, इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा हलफनामे में हुई भूल को स्वीकार किया है।
सुप्रीम कोर्ट

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