राज एक्सप्रेस। महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी संकट के बादल आज छट सकते हैं, क्योंकि देश की सर्वोच्य न्यायालय का आज मंगलवार सुबह 10:30 बजे विपक्षी दलों यानी शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की याचिका पर फैसला (Supreme Court Floor Test Verdict) आने वाला है।
क्या अब सस्पेंस होगा खत्म :
अदालत द्वारा आज फैसला सुनाए जाने के बाद सभी सस्पेंसों पर ब्रेक लग जाएगा, अब अदालत किसके खिलाफ फैसला सुनाएगी और किसका साथ देती है, देखना है। क्या आज दोबारा फडणवीस सरकार को राहत मिलेगी या फिर मुसीबत बढ़ेगी? यह तो फैसला आने के बाद ही पता चल सकेगा, हालांकि विपक्ष द्वारा 24 घंटे में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की गई थी, जिसे अदालत ने 48 घंटे कर दिया है, सोमवार को सिर्फ सभी पक्षों की दलीलें सुनी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
सभी पार्टियों में तकरार जारी :
महाराष्ट्र में सरकार गठन होने के बाद भी सभी पार्टियों में तकरार जारी है। यहां तक की इस राजनीतिक जंग में राज्य के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी को भी निशाना बनाया जा रहा है। शिवसेना की ओर से अपने मुखपत्र 'सामना' के माध्यम से बीजेपी और अजित पवार पर निशाना साधा गया।
शिवसेना ने सामना में लिखा-
सामना में लिखा गया कि, ''महाराष्ट्र के गठन और निर्माण में इन लोगों ने खून तो छोड़ो पसीने की एक भी बूंद नहीं बहाई होगी, ऐसे लोगों ने यहां राजनीतिक घोटाला किया है। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी इन तीनों पार्टियों ने मिलकर राजभवन में 162 विधायकों का पत्र प्रस्तुत किया है। ये सभी विधायक राजभवन में राज्यपाल के समक्ष खड़े रहने को तैयार हैं। इतनी साफ तस्वीर होने के बावजूद राज्यपाल ने किस बहुमत के आधार पर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई? अंधे लोगों ने महाराष्ट्र के स्वाभिमान और प्रतिष्ठा का बाजार लगा रखा है।"
सिर्फ यही नहीं, बल्कि आगे यह भी लिखा कि, "न लोगों ने (देवेंद्र फडणवीस-अजित पवार) जाली कागज पेश किए और संविधान के रक्षक भगतसिंह नामक राज्यपाल ने आंख बंद करके उन पर विश्वास किया। फिर तीनों पार्टियों के विधायकों ने अपने हस्ताक्षर वाला पत्र सौंपा। इस पर भगतसिंह राज्यपाल महोदय का क्या कहना है?"
एक भगत सिंह ने देश की आजादी के लिए फांसी के फंदे को चूम लिया था, यह तो हम जानते हैं। वहीं दूसरे भगतसिंह के हस्ताक्षर से रात के अंधेरे में लोकतंत्र और आजादी को वध स्तंभ पर चढ़ा दिया गया।
बता दें कि, शीर्ष अदालत में सोमवार को करीब 80 मिनट की सुनवाई हुई थी, जिसमें यह बात का भी खुलासा हुआ कि, राज्यपाल द्वारा जब 23 नवंबर को देवेंद्र फडणवीस सरकार को शपथ दिलाई थी, तो उन्हें बहुमत साबित करने के लिए सिर्फ 14 दिन या यह कहे 7 दिसंबर तक का समय दिया गया था। नीचे दी गई लिंक पर क्लिक कर पढ़े पूरी खबर-
महाराष्ट्र: फैसला शीर्ष अदालत में सुरक्षित, जानिए किसने-क्या-कहा
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