कोटा मुद्दे पर बिहार में सियासत- छात्रों से बेरुखी व्यवहार क्यों?

RJD के तेजस्वी यादव ने बिहार के CM नीतीश कुमार को खुला पत्र लिखकर सवाल उठाते हुए प्रदेश के बाहर फंसे गरीब मजदूरों और छात्रों को बेसहारा छोड़ने का आरोप भी लगाया और ये बात भी कहीं...
कोटा मुद्दे पर बिहार में सियासत- छात्रों से बेरुखी व्यवहार क्यों?
कोटा मुद्दे पर बिहार में सियासत- छात्रों से बेरुखी व्यवहार क्यों?Priyanka Sahu -RE

राज एक्‍सप्रेस। देश में खतरनाक कोरोना वायरस का संकट खत्‍म होने का नाम नहीं ले रहा है, कोरोना को हराने के लिए लॉकडाउन की अवधि बढ़ाकर 3 मई कर दी गई है, जिसके चलते राजस्थान के कोटा में हजारों छात्र फंसे हुए हैं और अब इस मामले पर बिहार में सियासत सुलग चुकी है।

दरअसल, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों के लिए बसें भेजकर वापस बुला लिया, उनके द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विपक्ष ने निशाने पर लिया है और बिहार सरकार पर हमला बोला है।

तेजस्वी ने की CM योगी की तारीफ :

इस दौरान राज्य में विपक्ष नेता तेजस्वी यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए कहा, ''UPके मुख्यमंत्री का यह कदम सराहनीय है, लेकिन बिहार का क्या करे जहां हज़ारों छात्र कोटा के ज़िलाधिकारी से विशेष अनुमति लेकर आए लेकिन बिहार सरकार ने उन्हें बिहार सीमा पर रोक प्रदेश में नहीं घुसने दिया? विद्यार्थी हो या अप्रवासी मज़दूर बिहार सरकार ने संकट में सभी को त्याग दिया है।''

CM नीतीश को लिखी चिट्ठी :

इतना ही नहीं बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम पर चिट्ठी लिखकर बिहार की नीतीश सरकार पर सवाल खड़े करते हुए प्रदेश के बाहर फंसे गरीब मजदूरों और छात्रों को बेसहारा छोड़ने का आरोप लगाया है। साथ ही चिट्ठी में लिखी ये बात-

आदरणीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी,

बिहार सरकार आख़िरकार अनिर्णय की स्थिति में क्यों हैं ? अप्रवासी मजबूर मज़दूर वर्ग और छात्रों से इतना बेरुख़ी भरा व्यवहार क्यों है? विगत कई दिनों से देशभर में फंसे हमारे बिहारी अप्रवासी भाई और छात्र लगातार सरकार से घर वापसी के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा कि सरकार के कानों तक जूं भी नहीं रेंग रही, आख़िर उनके प्रति असंवेदनशीलता क्यों है?

RJD के नेता तेजस्वी यादव ने इस चिट्ठी में आगे यह भी लिखा कि, गुजरात, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों की सरकारें जहां अपने नागरिकों के लिए चिंतित दिखीं, बाहर फंसे लोगों को उनके घर तक पहुंचाने का इंतजाम किया गया। वहीं, बिहार सरकार ने अपने लोगों को बीच मझधार में बेसहारा छोड़ दिया है।

विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव का कहना है कि, लॉकडाउन के बीच ही गुजरात सरकार ने हरिद्वार से 1800 लोगों को 28 लक्जरी बसों से वापस अपने राज्य लाने का प्रबंध किया। उत्तर प्रदेश शासन ने 200 बसों की कई ट्रिप से दिल्ली-NCR में फंसे अपने नागरिकों को उनके घर पहुंचाया और अब राजस्थान के कोटा से यूपी के 7500 बच्चों को वापस लाने के लिए 250 बसों का इंतजाम किया गया है।

अगर गुजरात, यूपी सरकार और कोई बीजेपी सांसद अपने राज्यवासियों को निकाल सकता है तो बिहार क्यों नहीं? केंद्र के दिशानिर्देशों के पालन में समानता की मांग करिये, अगर बिहार के साथ दोहरा रवैया है तो कड़ा विरोध प्रकट कीजिये, पूरा बिहार आपके साथ खड़ा है।
तेजस्वी यादव

बिहारवासी कब तक ऐसे तिरस्कृत होते रहेंगे?

आगे उन्‍होंने ये भी कहा, आखिर बिहारवासी कब तक ऐसे तिरस्कृत होते रहेंगे? इस मुश्किल वक़्त में तमाम स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधित उपायों का पालन करते हुए कृपया बाहर फंसे सभी प्रदेशवासियों को यथाशीघ्र बिहार लाने का उचित प्रबंध करें।'

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