एक भी चुनाव नहीं लड़ने के बावजूद महाराष्ट्र की राजनीति में ठाकरे परिवार का हमेशा से दबदबा रहा है। बाला साहेब ठाकरे ने 19 जून 1966 को शिवसेना बनाई। 53 सालो में शिवसेना की सीट से ठाकरे परिवार में किसी ने भी चुनाव नहीं लड़ा है।
शिवसेना की स्थापना करने वाले बाला साहेब ठाकरे ने राज्य में पार्टी को मजबूत किया लेकिन वे खुद कभी चुनावी अखाड़े में नहीं उतरे। बाला साहेब के निधन के बाद पार्टी की कमान संभालने वाले शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को लेकर भी शुरूआत में चुनाव लड़ने की खबरें आईं लेकिन उद्धव ठाकरे ने बाला साहेब की तरह कभी चुनाव नहीं लड़ा।
2019 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 'आदित्य ठाकरे' को मुंबई की वर्ली सीट से चुनाव लड़ाने का फैसला किया है। ये पहली बार है, जब ठाकरे परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में उतर रहा है।
बाला साहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे मौजूदा समय में शिवसेना के अध्यक्ष हैं। भतीजे राज ठाकरे ने शिवसेना से अपना राजनैतिक करियर शुरू किया और पारिवारिक मनमुटाव के बाद पार्टी से अलग होकर महाराष्ट्र निर्माण सेना (मनसे) का गठन किया।
उद्धव के बेटे आदित्य ठाकरे भी राजनीति में सक्रिय हैं। परिवार की चुनाव न लड़ने की परंपरा से अलग हटकर आदित्य इस बार विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। पार्टी में वह नंबर दो की हैसियत रखते हैं। महाराष्ट्र में सत्ता में आने पर उपमुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार होंगे।
इस बार महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार सीधे तौर पर चुनावी मैदान में है। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के गठबंधन ने विपक्ष की समस्या बढ़ा दी है।
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