किसकी होगी शिवसेना? जानिए एकनाथ और उद्धव में से किसका दावा है ज्यादा मजबूत?
राज एक्सप्रेस। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन की लड़ाई खत्म होने के बाद अब शिवसेना पर कब्जे की लड़ाई शुरू हो गई है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग से अपील की है कि एकनाथ शिंदे की किसी भी मांग पर विचार करने से पहले हमारी बात भी सुनी जाए। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब शिवसेना पर कब्जे की लड़ाई चुनाव आयोग के सामने लड़ी जाएगी।
ठाकरे गुट का दावा :
उद्धव ठाकरे के समर्थक नेताओं का दावा है कि शिवसेना बतौर राजनीतिक दल और विधायक दल दो अलग-अलग गुट हैं और पार्टी के ज्यादातर लीडर्स उद्धव ठाकरे के साथ हैं। ऐसे में उद्धव ही शिवसेना प्रमुख बने रहेंगे। शिवसेना और ठाकरे को अलग-अलग नहीं किया जा सकता है।
शिंदे गुट का दावा :
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के समर्थक नेताओं का कहना है कि, ‘शिवसेना के ज्यादातर विधायकों और सांसदों का समर्थन शिंदे के साथ है। ऐसे में शिवसेना के चुनाव चिन्ह के असली हक़दार शिंदे ही हैं।
कैसे होगा निर्णय?
दरअसल किसी भी पार्टी में दो फाड़ हो जाने पर चुनाव आयोग सिंबल्स आर्डर 1968 के तहत फैसला लेता है। चुनाव आयोग यह देखता है कि विधायक और संगठन में किसके पास ज्यादा बहुमत है। जैसे - लोकसभा सांसद, राज्यसभा सांसद, विधायक, एमएलसी, मेयर, डिप्टी मेयर, पार्टी लीडर्स, पार्टी के संगठन में से कौन किस तरफ है। इसी को देखते हुए चुनाव आयोग दो निर्णय में से एक निर्णय लेता है।
किसका दावा मजबूत?
वर्तमान में शिवसेना के ज्यादातर विधायक एकनाथ शिंदे के साथ है। इसके अलावा कुछ सांसद, पार्षद और नेता भी शिंदे का समर्थन कर रहे हैं। अन्य मोर्चों पर फ़िलहाल उद्धव ठाकरे ही भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी भी उद्धव के समर्थन में है। इसके अलावा शिवसेना संगठन में 12 नेता, 30 उपनेता, 5 सचिव, एक मुख्य प्रवक्ता और 10 प्रवक्ता भी उद्धव के साथ हैं। सांसद, उपनेता, सचिवों सहित यूथ, महिला विंग समेत कई यूनियन भी उद्धव का समर्थन में नजर आ रही हैं। ऐसे में फ़िलहाल एकनाथ शिंदे को और ज्यादा समर्थन जुटाने की जरूरत है।
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