कंगना का ऑफिस तोड़ने के बाद 'उद्धव सरकार' एक बड़े वर्ग के निशाने पर आ गई है

सुशांत केस में उद्धव सरकार का जो रवैया रहा, वह कई सवालों को जन्म दे रहा है। कंगना का ऑफिस तोडऩे के बाद तो सरकार एक बड़े वर्ग के निशाने पर आ गई है।
कंगना का ऑफिस तोडऩे के बाद 'उद्धव सरकार' एक बड़े वर्ग के निशाने पर आ गई है।
कंगना का ऑफिस तोडऩे के बाद 'उद्धव सरकार' एक बड़े वर्ग के निशाने पर आ गई है।Social Media

मैं...ईश्वर की शपथ लेता हूं सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता व अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा, मैं.....संघ के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंत:करण से निर्वहन करूंगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार कार्य करूंगा। मैं...ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूं कि जो विषय संघ के मंत्री के रूप में मेरे विचार के लिए लाया जाएगा या मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, तब के सिवाय जबकि ऐसे मंत्री के रूप में कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूंगा। ये लाइनें सिर्फ बोलने के लिए नहीं होतीं। इस पर अमल भी करना होता है।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी शपथ लेते समय इन लाइनों को बोला होगा, पर आज राज्य में जो भी हो रहा है वह सिर्फ कानून व्यवस्था ही नहीं, बल्कि संविधान को भी तार-तार कर रहा है। 14 जून से लेकर 9 सितंबर तक जो कुछ भी हुआ, वहां की पुलिस ने जो किया, वह पहले से सवालों के घेरे में था। कंगना का ऑफिस जिस तरह से तोड़ा गया, उसने सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। बीएमसी की इस कार्रवाई पर खुद शरद पवार सवाल उठा रहे हैं। फिर बात ही खत्म हो जाती है। सुशांत केस में उद्धव सरकार ने जो रवैया अपनाए रखा, उसे कहीं से सही नहीं कहा जा सकता। आखिर क्यों उद्धव सरकार मामले में बिना किसी की कहे, प्रत्यक्ष रूप से सामने आ गई। बिहार पुलिस को क्वारंटीन किए जाने के बाद से सरकार ने अपने लिए आ बैल मुझे मार वाली स्थिति बना ली। यह सब किसके कहने पर और किसे बचाने के लिए किया गया, यह बताने की स्थिति में आज सरकार नहीं है। अपनी कार्रवाई से हर दिन सरकार एक्सपोज़ हुई और हो रही है। कंगना को लेकर जिस तरह से बीएमसी ने कार्रवाई की, वह बहुत सारे लोगों को नाराज कर दिया है। यह कार्रवाई इतनी जरूरी नहीं थी, जितना सुशांत केस का सच सामने आना जरूरी था।

सुशांत केस में उद्धव सरकार जिस तरह से सवालों के घेरे में है, उसे लेकर हर कोई सवाल पूछ रहा है कि आखिर वह किसे बचा रही है। सच क्यों नहीं सामने आने दे रही है। माना कि सुशांत ने सुसाइड किया तो हो जाने दीजिए जांच। एक बार सच सामने आ गया तो सरकार भी बेदाग हो जाएगी। या किसी मामले की जांच करना या न्याय की मांग करना गलत है। इसे उद्धव को समझना होगा। वे इस मामले में भले ही किसी को बचा लें, मगर खुद की साख खत्म कर बैठेंगे। अब मामला हाथ से बाहर जा चुका है तो उद्धव को तेजी से यूटर्न लेना होगा और छवि पर जो बट्टा लगा है, उसे साफ करना होगा, वरना शिवसेना महाराष्ट्र में अस्तित्व बचाए नहीं रख पाएगी।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.co