प्रदूषण पर कोर्ट की सख्ती सही

सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद क्या बदलेगी दिल्ली की तस्वीर? क्या इस मामले पर नियम व्यवस्था होगी मजबूत?
प्रदूषण पर कोर्ट की सख्ती सही
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राज एक्सप्रेस। दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फिर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने सरकार और अफसरों को जिस तरह फटकार लगाई, वह सही है। मगर सवाल यह भी है कि क्या इससे अफसर सुधर जाएंगे, क्योंकि पिछले साल भी तो उन्हें फटकार मिली थी।

दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट को बार-बार सख्ती दिखाने को मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसा इसलिए है कि जिन महकमों के पास इस काम की जिम्मेदारी है, वे ठीक से अपना काम नहीं कर रहे। सोमवार को शीर्ष अदालत ने इस बात पर गहरी नाराजगी व्यक्त की कि, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ऐसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है जो काम में लापरवाही बरत रहे हैं और प्रदूषण से संबंधित शिकायतों की अनदेखी कर रहे हैं। यह गंभीर मामला है। इसलिए अदालत को कड़ा रुख अपनाना पड़ा। शीर्ष अदालत ने साफ कहा कि अगर कोई भी अधिकारी या कर्मचारी प्रदूषण संबंधी शिकायत मिलने के बावजूद कदम नहीं उठाता है तो उसके खिलाफ केस चलाया जाना चाहिए। अदालत की नाराजगी इस बात पर ज्यादा थी कि प्रदूषण से दिल्ली में जब लगातार हालात बिगड़ रहे हैं तो संबंधित महकमे और अधिकारी लापरवाही क्यों बरत रहे हैं। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि, दिल्ली का दम हर साल घुट रहा है और हम कुछ नहीं कर रहे हैं। हर साल 10-15 दिनों के लिए ऐसा होता है। सभ्य देश में ऐसा नहीं होता है। जीवन का अधिकार सबसे अहम है।

वायु प्रदूषण जीवन के मूलभूत अधिकार का उल्लंघन है। राज्य सरकारें और निकाय संस्था ड्यूटी निभाने में विफल हुए हैं। ग्राम प्रधान, स्थानीय अधिकारी और पुलिस में से जो भी पराली जलाने पर रोक नहीं लगा पाएगा, उसे नौकरी से निकाल दिया जाए। लोगों को दिल्ली न आने या दिल्ली छोड़ने की सलाह दी जा रही है। राज्य सरकारें इसके लिए जिम्मेदार हैं। हम हर चीज का मजाक बना रहे हैं। इसे और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम इस स्थिति में नहीं जी सकते। केंद्र सरकार को कुछ करना चाहिए, दिल्ली सरकार को कुछ करना चाहिए। सिर्फ ऐसा कहने से काम नहीं चलेगा। यह बहुत हो चुका है। कोर्ट की यह टिप्पणी सुनने में भले ही तल्ख हो, मगर पहली बार नहीं है। पिछले साल भी कोर्ट ने लगभग इसी लहजे में सरकारों और अफसरों को फटकार लगाई थी, नतीजा कुछ नहीं निकला। पिछले साल से इस बार दिल्ली समेत कई शहरों में प्रदूषण ज्यादा है। दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण के कारण हालात गंभीर हैं। रोजाना ही ऐसी खबरें पढ़ने-सुनने को मिल रही हैं कि आज हवा और खराब हुई।

वायु गुणवत्ता मापने वाला पैमाना रोजाना हवा के जहरीली होने के जो भयावह संकेत दे रहा है, वह चौंकाने वाला है। देश के दूसरे शहरों का भी कमोबेश यही हाल होता जा रहा है, नोएडा और गुरूग्राम में तो हवा की गुणवत्ता मापने के लिए पर्याप्त केंद्र भी नहीं हैं। रिहायशी इलाकों में उद्योग चल ही रहे हैं। दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए जिस तरह के कार्यबल, मशीनरी, तत्परता और तालमेल की जरूरत है, उसका घोर अभाव है। इसी का नतीजा है कि हवा हर रोज ज्यादा जहरीली हो रही है।

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