म्यांमार में लोगों पर सेना के बढ़ते अत्याचार पर अमेरिका ने दिखाई सख्ती

आजादी के बाद म्यांमार में लंबे समय तक सत्ता सेना के हाथ में रही है और इसका नतीजा यह हुआ है कि प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण देश आज बेहद गरीब और पिछड़ा हुआ है।
म्यांमार में लोगों पर सेना के बढ़ते अत्याचार पर अमेरिका ने दिखाई सख्ती
म्यांमार में लोगों पर सेना के बढ़ते अत्याचार पर अमेरिका ने दिखाई सख्ती Social Media

म्यांमार में लोगों पर सेना के बढ़ते अत्याचार पर अमेरिका ने सख्ती दिखाई है। अमेरिका ने म्यांमार के साथ तब तक ट्रेड न करने का का फैसला लिया है, जब तक वहां लोकतंत्र की वापसी नहीं हो जाती। अमेरिका के साथ ही 12 देशों के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने भी म्यांमार में सैनिक शासन का विरोध किया है। सेना के शासन का विरोध बिल्कुल सही है। वहां के सैन्य अध्यक्ष ने अपनी कुंठा को दूर करने चुनी हुई सरकार को अपदस्थ किया और अब अपने ही लोगों पर गोलियां बरसाई जा रही हैं। कत्ल करने के बाद जवान जश्न मना रहे हैं। वहां का दृश्य इतना वीभत्स है कि पूरी तस्वीर दुनिया के सामने नहीं रखी जा सकती। पूरा देश जंग का मैदान बन चुका है। म्यांमार में जिस तरह के हालात बन गए हैं, वे देश को और ज्यादा गर्त में धकेलने वाले हैं। सैन्य तख्तापलट के खिलाफ दो माह से चल रहा देशव्यापी प्रदर्शन बता रहा है कि जनता अब किसी भी सूरत में सैन्य शासन को स्वीकार नहीं करने वाली।

सेना ने लोकतंत्र समर्थकों के खिलाफ जिस तरह का दमनचक्र चलाया हुआ है, वह 1988 के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन की याद दिला रहा है, जब सेना ने हजारों प्रदर्शनकारियों को मौत के घाट उतार दिया था। आज फिर वही इतिहास दोहराया जा रहा है। शनिवार को सेना ने सौ से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को गोलियों से भून डाला। इन लोगों के अंतिम संस्कार में पहुंचे लोगों पर भी सेना ने गोलियां बरसाईं, जिसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए और घायल हुए। म्यांमार की सैन्य सत्ता इस वक्त पूरी दुनिया की अपील को नजरअंदाज करती हुई क्रूरता की सारी हदें पार कर रही है और नागरिकों के आंदोलन को पूरी ताकत से कुचलने में लगी है। म्यांमार में सत्ता की क्रूरता के खिलाफ लोगों का जज्बा देखने लायक है। जैसे-जैसे सैन्य सरकार का दमनचक्र तेज हो रहा है, प्रदर्शनकारियों के हौसले उतने ही बुलंद होते जा रहे हैं। इनमें बच्चे, बूढ़ों से लेकर हर उम्र को लोग हैं, सरकारी कर्मचारी तक शामिल हैं।

देश के नौजवानों ने आंदोलन को जिस मुकाम पर पहुंचा दिया है, उसका संदेश देश की सैन्य सत्ता के लिए साफ है कि नागरिक लोकतंत्र की वापसी चाहते हैं। इस वक्त हालात चिंताजनक इसलिए भी हैं कि सैन्य सरकार देश में उन जातीय समूहों के खात्मे में लगी है जिन्हें वहां का नागरिक नहीं माना जाता। म्यांमार के इस संकट का नतीजा यह हुआ है कि बड़ी संख्या में लोग बांग्लादेश, भारत, थाइलैंड जैसे देशों में पनाह लेने के पलायन कर रहे हैं। सैन्य सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि किसी भी आंदोलन को गोलियों की ताकत से दबाया जा सकता है। सच्चाई तो यह है कि ऐसा दमन ज्यादा समय तक नहीं चलता। म्यांमार की सैन्य सरकार के लिए लोकतंत्र, मानवाधिकार, सहमति, विकास, स्वतंत्रता जैसे शब्द बेमानी हैं। इस मुल्क के सैन्य तानाशाह जिस तरह से देश को हांक रहे हैं, वह उनकी आदिम मनोवृत्ति का ही परिचायक है।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com