लॉकडाउन का एक और दौर

देश में लॉकडाउन-4 का दौर बताने के लिए काफी है कि हमने कोरोना की बीमारी को लेकर किस हद तक लापरवाही बरती। न तो सरकार की गाइडलाइन का पालन किया और न ही दुनिया से कुछ सीखा।
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राज एक्सप्रेस। अब भी वक्त है, चौथे चरण में हम खुद में गंभीरता लाएं। लॉकडाउन का चौथा चरण सोमवार से शुरू होगा। लॉकडाउन के तीन चरण पूरे कर लेने के बाद देश कोरोना को मात देने के लिए कमर कस चुका है। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई तमाम मोर्चों पर पूरी शिद्दत के साथ जारी है। भारत में संक्रमण का पता लगाने के लिए किए गए टेस्ट्स की संख्या20 लाख को पार कर गई है। संसाधनों की सीमा को देखते हुए माना जा रहा था कि यह लक्ष्य इस माह के अंत तक ही हासिल हो पाएगा। मगर सरकारी और गैरसरकारी लैस में एक सप्ताह पहले ही हासिल कर लिया गया। हमारे यहां कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या अमेरिका और यूरोप से काफी कम है, लेकिन संक्रमण फैलने की गति लगभग वैसी ही है। कुल संक्रमितों की संख्या के मामले में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है। चीन हमारा पड़ोसी देश है और उसके साथ भारत की तुलना बात-बात पर होती है, लेकिन महामारी से निपटने के दोनों देशों के तरीके बिल्कुल अलग रहे हैं।

चीन में इस वायरस का प्रकोप मुख्यतः उसके एक शहर वुहान तक सीमित रहा मगर भारत में इसकी शुरुआत देश के पैमाने पर हुई। यूरोपीय देशों में इससे संक्रमित बिना लक्षणों वाले मरीज भारत के अलग- अलग शहरों में तब आए जब वहां भी इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था। भारतीय हवाई अड्डों पर सिर्फ बुखार नापकर उन्हें आगे जाने दिया गया। नतीजा यह कि रोक शुरू होने से पहले ही बीमारी देश के हर हिस्से में फैल चुकी थी। शुरू से ही खतरनाक माना जाने के बावजूद इस वायरस को लेकर सरकारों और जनसमूहों का रुख बदलता रहा। हर देश के ज़िम्मेदार लोग पहले डिनायल मोड में गए। भारत में तो यह वायरस आ ही नहीं आ सकता, आ भी गया तो मई में पारा 40 डिग्री लांघते ही जुकाम के वायरस की तरह खत्म हो जाएगा। यह भी कि हमारे देसी नुस्खे इसकी बैंड बजा देने के लिए काफी हैं। जब यह बीमारी इटली में तबाही मचा रही थी, तब भी एक दिन के जनता कर्फ्यू के दौरान लोग इस बात को लेकर आश्वस्त दिखे कि इस मास्टरस्ट्रोक से कोरोना का इंसानी संपर्क टूट जाएगा और उसका खेल खत्म हो जाएगा!

ऐसी गलतफहमियां बीमारी के बढ़ाव के साथ ध्वस्त होती गईं और अब, तमाम देशों द्वारा अपनी सीमाएं सील करने, एक-दूसरे से हवाई संपर्क तोड़ने और तमाम आर्थिक गतिविधियां रोक देने, शारीरिक दूरी और लॉकडाउन का रास्ता अपनाने तथा करोड़ों लोगों को भुखमरी की जद में ला देने का लंबा दौर गुजर जाने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन बता रहा है कि कोरोना वायरस निकट भविष्य में विदा हो जाने वाली चीज नहीं। एड्स के वायरस की तरह हमें इसको दुनिया का स्थायी अंग मानने और सालों साल इससे बच-बचाकर चलने का मन बनाना तक पड़ सकता है। यह सूचना इतनी भयावह है कि इसे आत्मसात करने में दुनिया को लंबा वक्त लगेगा। लेकिन अब इसके सिवा कोई चारा भी नहीं है। पहले चेत जाते तो यह नहीं करना पड़ता।

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