#boycottchina : आत्मनिर्भर भारत ने दिया चीन को झटका

#boycottchina : भारत को आत्मनिर्भर बनाने का जो मंत्र प्रधानमंत्री ने दिया है, उस पर अब तेजी से अमल करने का समय आ गया है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहली जरूरत है।
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#boycottchina : भारत को आत्मनिर्भर बनाने का जो मंत्र प्रधानमंत्री ने दिया है, उस पर अब तेजी से अमल करने का समय आ गया है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहली जरूरत है कि, हम अपने उद्योगों खासतौर से छोटे उद्यमों की बुनियादी समस्याओं को दूर करें। दूरसंचार क्षेत्र में चीनी कंपनियों की भागीदारी पर पूरी तरह से पाबंदी लगा कर भारत ने स्पष्ट संकेत दे दिया है कि वह चीन को सबक सिखाने के लिए सैन्य व कूटनीतिक उपायों के अलावा आर्थिक रूप से उसकी कमर तोड़ने की रणनीति पर भी चलेगा। सरकार के इस फैसले के बाद रेल मंत्रालय ने भी एक चीनी कंपनी के साथ करार रद्द कर दिया। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय सैनिकों पर चीनी फौज के हमले की घटना के बाद भारत का यह सख्त रुख बता रहा है कि चीन को अब आसानी से छोड़ा नहीं जाएगा। चीन को यह कड़ा संदेश देना जरूरी है कि भारत उसके किसी भी तरह के दबाव में आने वाला नहीं है और अपनी रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने को स्वतंत्र है। इसलिए अब भारत को चीन के साथ कारोबारी संबंधों के बारे में नए सिरे से विचार करने की जरूरत है।

भारतीय सैनिकों पर हमले की ताजा घटना के बाद पूरे देश में जो आक्रोश फैला है, उसका मतलब साफ है कि सेना के जरिए तो चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया ही जाए, साथ ही भारत के बाजार से भी उसका पत्ता साफ हो। इसमें कोई संदेह नहीं कि चीन और भारत के बीच व्यापारिक रिश्ते जिस बड़े पैमाने पर हैं, उन्हें एकदम से खत्म नहीं किया जा सकता। भारतीय बाजार में चीन जिस तरह पैठ बना चुका है, उसे तोड़ पाना आसान तो नहीं है, लेकिन नामुमकिन भी नहीं। रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले छोटे से छोटे सामान से लेकर टीवी, फ्रिज, एसी जैसे उपभोक्ता सामान के बाजार पर चीनी कंपनियों का कब्ज़ा है। लेकिन यही वह वत है जब चीन को माकूल जवाब देने के लिए उसके साथ व्यापारिक रिश्तों की समीक्षा की जाए। चीन के साथ कारोबार में भारत का बढ़ता व्यापार घाटा भी गंभीर चिंता का विषय है। चीन से जिस तरह आयात बढ़ रहा है, उससे यह साफ है कि हम कच्चे माल के मामले में चीन पर काफी ज्यादा निर्भर हो गए हैं, खासतौर से दवा निर्माण के लिए 90 फीसद जरूरी अवयवों का आयात चीन से हो रहा है। भारत की कई बिजली परियोजनाएं भी चीनी उपकरणों से चल रही है।

मोबाइल फोन बनाने वाली शीर्ष पांच कंपनियों में से चार चीन की हैं। चीन भारत की इस कमजोर नस को पकड़े हुए है और इसी के दम पर इतना उछलता है। ऐसे में भारतीय बाजार पर चीन के दबदबे से कैसे मुक्ति मिले, यह गंभीर सवाल है। पिछले कुछ दिनों में भारत को आत्मनिर्भर बनाने का जो मंत्र प्रधानमंत्री ने दिया है, उस पर अब तेजी से अमल का समय आ गया है। यह सच है कि आत्मनिर्भरता के रास्ते में बेशक कई मुश्किलें आएंगी, जैसे दवा उद्योग संकट में पड़ सकता है, कच्चा माल नहीं मिलने से दवाइयों की निर्माण लागत बढ़ेगी, निर्यात पर भी असर पड़ेगा। पर अब चीन पर नकेल कसने के लिए भारतीय बाजार में उसके आधिपत्य को तोडऩा पड़ेगा और व्यापक स्तर पर जनभागीदारी के बिना यह संभव नहीं होगा।

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