Budget 2021: रोजगार के अवसर और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ने का रोडमैप

एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी। इस बजट से देश को काफी उम्मीद होगी। कोरोना काल के बाद पेश होने जा रहे इस बजट में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ने का रोडमैप जरूर दिखेगा।
Budget 2021 : रोजगार के अवसर
Budget 2021 : रोजगार के अवसरSocial Media

भारत का आम बजट तैयार करना एक कठिन कार्य है और फरवरी में आने वाला इस साल का बजट भी अलग नहीं होगा। अर्थव्यवस्था पर कोविड 19 महामारी के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से वित्त मंत्री को परस्पर विरोधी मांगों को पूरा करने और विकास तथा अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांतों के बीच संतुलन रखने संबंधी चुनौती का सामना करना होगा। कई रेटिंग एजेंसियों ने 2021-22 वित्तीय वर्ष के लिए कम आधार पर दोहरे अंक की वृद्धि का अनुमान है। सीतारमण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत एजेंडे को और बढ़ावा देंगी, क्योंकि अर्थव्यवस्था को तेज विकास के पथ पर वापस लाने के लिए यही एकमात्र रास्ता है। रेटिंग एजेंसियों ने यह भी संकेत दिया है कि आने वाले वर्षों में ‘सामान्य व्यापार’ दृष्टिकोण के तहत भारत को 6-6.5 प्रतिशत की विकास दर हासिल हो जाएगी, यदि संरचनात्मक सुधारों को सख्ती से लागू नहीं भी किया जाता है। यदि भारत मोदी के पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करना चाहता है, तो देश को लगातार 8-9 प्रतिशत की विकास दर बनाए रखनी होगी।

यह तभी संभव है जब सीतारमण आत्म-निर्भर भारत के तहत अधिक वित्तीय प्रोत्साहनों की घोषणा करें, ताकि भारत में व्यवसाय स्थापित करने के लिए विदेशी कंपनियों को बढ़ावा मिले, भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाया जा सके। इस उद्देश्य के लिए सरकार ने तीन आत्मनिर्भर भारत वित्तीय पैकेज की घोषणा की, जो जीडीपी के लगभग 15 प्रतिशत के बराबर हैं। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और 2014 में पदग्रहण के बाद से यही पीएम मोदी का सिद्धांत रहा है। मोदी 1.0 ने अर्थव्यवस्था में आवश्यक प्लेटफार्म बनाकर इसकी नींव रखी। महामारी और भूराजनीतिक स्थिति ने आत्मनिर्भरता के लिए आधार तैयार किया, क्योंकि विकास-दर में वृद्धि केवल विनिर्माण और कृषि क्षेत्र से आ सकती है। सेवा क्षेत्र, जो जीडीपी का लगभग 50 प्रतिशत है, करीब तीन दशक तक वर्चस्व कायम रखने के बाद उस स्थिति में पहुंच गया है, जहाँ बढ़ोतरी की संभावना न के बराबर है।

आईटी हार्डवेयर का निर्माण एक बड़ा अवसर प्रदान करता है और सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के रूप में सही कदम उठाए हैं - आगामी बजट में रोजगार पैदा करने वाले उच्च तकनीक क्षेत्र से बहुत उम्मीद है। सार्वजनिक व्यय बढ़ाने के लिए अवसंरचना का विकास सबसे महत्वपूर्ण है और यह महामारी के दौरान लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती को कम करने के लिए भी आवश्यक है। आत्मनिर्भर पैकेज के हिस्से के रूप में बजट से उम्मीद है कि मेक इन इंडिया के तहत रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा और देश में विकास को तेज करने तथा नौकरियों के सृजन के लिए अधिक मेट्रो रेल के साथ-साथ अधिक समर्पित फ्रेट कॉरिडोर और बुलेट ट्रेन परियोजनाओं की घोषणा की जाएगी। इससे श्रम आधारित विनिर्माण उद्योग को पुनर्जीवित किया जा सकेगा, जिसे राजमार्गों, एक्सप्रेसवे, हवाई अड्डे व पोर्ट के विकास पर अधिक निवेश के साथ सार्वजनिक व्यय के माध्यम से भी प्रोत्साहन मिलेगा। अर्थशास्त्रियों के एक वर्ग का विचार है कि लॉकडाउन और पिछले कुछ वर्षों में अर्थव्यवस्था की सामान्य मंदी के बाद समय की जरूरत है कि लोगों के हाथों में अधिक पैसा देकर मांग में वृद्धि की जाए। लेकिन इसे क्रमबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए, जैसा केंद्र सरकार ने मनरेगा कार्यक्रम और एमएसएमई क्षेत्र के लिए वित्तीय प्रोत्साहन के माध्यम से किया है। 40 प्रतिशत से अधिक निर्यात और 45 प्रतिशत विनिर्माण के साथ एमएसएमई क्षेत्र, अर्थव्यवस्था में रोजगार पैदा करने वाला क्षेत्र है।

वर्तमान में, लोगों के हाथों में अधिक पैसा देना भी बहुत कारगर नहीं होगा, क्योंकि गरीब लोगों ने अपनी बचत का अधिकांश हिस्सा लॉकडाउन के दौरान खर्च कर दिया है। यदि सीधे हाथों में अधिक पैसा दिया जाएगा, तो वे इसके अधिकांश हिस्से को बचत के रूप में सुरक्षित रख लेंगे। वे कम खर्च करेंगे, जिससे मांग में वांछित वृद्धि नहीं होगी। ऐसे में, मोदी सरकार द्वारा अपनाया गया एक बेहतर तरीका यह हो सकता है कि मनरेगा के माध्यम से अधिक ग्रामीण रोजगार दिए जाए तथा नि:शुल्क खाद्यान्न, रसोई गैस आदि के माध्यम से सहायता प्रदान की जाए। इसका उद्देश्य ग्रामीण मांग को पुनर्जीवित करना है।कृषि सुधारों को आगे बढ़ाने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में भी मदद मिलेगी। प्रति चक्रीय नीति के हिस्से के रूप में इस वर्ष पहले से ही व्यय में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। लेकिन इससे भारत का राजकोषीय घाटा 2020-21 में जीडीपी के 7.2 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा। राज्यों का भी राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा, जिससे कुल उधार जीडीपी के 11 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। हालांकि, वित्त मंत्री को चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार का सबसे बड़ा फायदा फिलहाल चालू खाता घाटे का निम्न या सकारात्मक स्तर पर होना है। इसके साथ ही विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्च स्तर पर है। यह उच्च राजकोषीय घाटे को कम करने का अवसर प्रदान करता है।

पिछले कुछ महीनों में अर्थव्यवस्था में आई तेजी से 2021-22 में दोहरे अंक की विकास दर हासिल करने और कर राजस्व वृद्धि में मदद मिलेगी। सरकार के निजीकरण कार्यक्रम यानी विनिवेश और 5 जी नीलामियों से भी आगामी वर्ष में गैर-कर राजस्व में वृद्धि होने की संभावना है। इससे सीतारमण को राजकोषीय समेकन सुनिश्चित करने तथा सार्वजनिक व्यय को बढ़ाने का पर्याप्त मौका मिलेगा। वे अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 5 से 5.5 प्रतिशत तक सीमित रखकर व्यय को 10 प्रतिशत तक बढ़ा सकती हैं। कर राजस्व में अगले वर्ष 18 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने का अनुमान है। बहुत सारे काम पहले से ही किए गए हैं, जैसे कॉर्पोरेट टैक्स की दर को कम करना, 13 क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन देना और निवेश को आकर्षित करने के लिए ‘कारोबार सुगमता’ में सुधार करना। यहां तक कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी मोदी के आत्मनिर्भर भारत को महत्वपूर्ण पहल माना है। भारत सरकार ने विभिन्न वित्तीय राहत पैकेज और सुधार उपायों के जरिये प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रों के लिए अवसर पैदा किए हैं और नए मौके बनाए हैं। आईएमएफ ने कहा है कि कृषि में मंडियों को समाप्त करने और विनिर्माण के लिए श्रम कानून को सरल बनाने से लोगों की आय बढ़ेगी।

ऑटो और तकनीक समेत सनराइज सेटर के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन भी आत्मनिर्भरता से जुड़े हैं, क्योंकि यह घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नकद प्रोत्साहन से संबंधित है, जिससे रोजगार पैदा होने की उम्मीद है। इसके अलावा, कारोबार सुगमता से भारत में एमएसएमई क्षेत्र के लिए स्थायी इको-सिस्टम का निर्माण होगा, जिससे नवाचार, कौशल विकास और रोजगार को प्रोत्साहन मिलेगा। अक्सर कहा जाता है कि हर संकट अपने साथ एक अवसर लेकर आता है। कोविड-19 महामारी अपने साथ भारत के लिए एक अवसर लेकर आई और मोदी ने इसे सही मायने में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के रूप में पहचाना। उम्मीद है कि सीतारमण आगामी बजट में उन बातों पर विशेष ध्यान देंगी, जिससे निवेशकों के भरोसे को मजबूती मिले।

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