पुडुचेरी में एक मात्र कांग्रेस का किला भाजपा ने ढहा दिया

दक्षिण भारत में भाजपा भले ही अपनी ताकत बढ़ाने में अभी कामयाब नहीं हो पाई है, मगर कांग्रेस को जरूर हाशिए पर धकेल दिया है। पुडुचेरी में एक मात्र कांग्रेस का किला भाजपा ने ढहा दिया है।
पुडुचेरी में एक मात्र कांग्रेस का किला भाजपा ने ढहा दिया
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अंतत: दक्षिण भारतीय केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में भी कांग्रेस सरकार गिर गई। सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई और विश्वास मत हारने के बाद सीएम वी. नारायणसामी ने राजभवन जाकर उपराज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन को अपना इस्तीफा सौंप दिया। कई दिनों से कई विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस-द्रमुक गठबंधन सरकार के पास संख्या बल 11 रह गया था, जबकि विपक्ष के पास कुल 14 विधायक थे। कांग्रेस के भीतर पिछले दो वर्षों से नारायणसामी को हटाने के लिए कई नेता पिछले दरवाजे से कोशिश कर रहे थे। लेकिन राहुल-प्रियंका उन्हें रोकते रहे थे। नमशिवायम नाम के कांग्रेस के एक बहुत ही वरिष्ठ मंत्री को आगे बढऩे का मौका नहीं मिल रहा था, इसलिए वे कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में चले गए। वह आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। लेकिन राहुल गांधी ने आगामी चुनाव के लिए भी नारायणसामी को ही मुख्यमंत्री का चेहरा बताया। तभी से कांग्रेस में असंतोष था।

एक तरह से देखें, तो कांग्रेस मुक्त भारत का जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा था, वह दक्षिण भारत में पूरा हो गया है। दक्षिण भारत के किसी भी राज्य में अब कांग्रेस की सरकार नहीं बची है। इस घटनाक्रम का राजनीतिक महत्व यह है कि अन्नाद्रमुक इस बार तमिलनाडु में पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगी और पुडुचेरी उसने भाजपा के लिए छोड़ दिया है। उम्मीद की जा रही है कि आगामी चुनाव में पुडुचेरी में भाजपा सत्ता में आ जाएगी, क्योंकि एन रंगास्वामी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर अन्नाद्रमुक, एनआर कांग्रेस व भाजपा गठबंधन को 15 से 16 सीटें मिल जाएंगी। वहां सात सीट अन्नाद्रमुक को और पांच-छह सीटें भाजपा को मिल सकती हैं। तीन मनोनीत सदस्यों की सीटें भी भाजपा को मिलेंगी। यानी कांग्रेस के लिए मुश्किलें और बढऩे वाली हैं। पुडुचेरी की इस सियासी हलचल का असर निश्चित रूप से तमिलनाडु की राजनीति पर पड़ेगा। तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक और द्रमुक के बीच कांटे की लड़ाई है। इसी तरह पुडुचेरी में भी दोनों के बीच कड़ी टक्कर है। लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी के चलते दोनों राज्यों में चुनाव में भाजपा अपनी गहरी पैठ बनाएगी।

234 सीटों वाली तमिलनाडु चुनाव में भाजपा 25 सीटों पर चुनाव लडऩे वाली है, जिसमें से पांच-छह सीटों पर उसके जीतने की संभावना है। पुडुचेरी में भी भाजपा पांच से छह सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। यानी जहां कांग्रेस मजबूत थी, वहां भाजपा अपनी पैठ जमाती जा रही है। अब सवाल उठता है कि नारायणसामी सरकार के पतन के बाद आखिर पुडुचेरी का क्या होगा। उप राज्यपाल के पास क्या विकल्प है? क्या वहां फिर से कोई नई सरकार बनेगी अथवा राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा? आगामी 25 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी पुडुचेरी जाने वाले हैं, वहां वह किसी राजनीतिक विकल्प की घोषणा कर सकते हैं। फिलहाल यह स्पष्ट है कि दक्षिण भारत कांग्रेस मुक्त हो गया है और भाजपा पैठ बढ़ाती जा रही है।

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