भविष्य में कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का विकल्प तलाशने बैठेगी

कांग्रेस पार्टी की वर्किंग कमेटी की बैठक ने पार्टी की आंतरिक कलह को उजागर कर दिया। अभी विवाद भले ही टल गया हो, मगर जब भी अध्यक्ष का मुद्दा उठेगा, धुंआ उठेगा। कांग्रेस अनजाने में ऐसी समस्या से घिर गई।
भविष्य में कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का विकल्प तलाशने बैठेगी
भविष्य में कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का विकल्प तलाशने बैठेगीSocial Media

कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी समर्थक बनाम विरोधी खेमे के बीच जारी मुकाबला सोमवार को टाई रहा। पार्टी का संकट टल जरूर गया मगर खत्म नहीं हुआ। भविष्य में जब कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का विकल्प तलाशने बैठेगी तब अंतर्कलह फिर बाहर आएगी। हालांकि, इस विवाद में सबसे अधिक कमजोर पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पड़े हैं। ऐसे में भविष्य में उनके लिए अपनी पसंद के व्यक्ति को अध्यक्ष बनाना आसान नहीं होगा। राहुल विरोधी खेमे का मानना है कि भले विवाद टालने की लिए कमेटी बना दी गई, मगर इससे समाधान निकालना संभव नहीं है। यक्ष प्रश्न यह है कि सोनिया की जगह पार्टी की कमान किसके हाथ हो। पार्टी का एक धड़ा न तो राहुल की दोबारा ताजपोशी चाहता है और न उनकी पसंद पर सहमति देना चाहता है। ऐसे में या तो भविष्य में इस मुद्दे पर फिर टकराव होगा या पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के लिए सियासी जमीन तैयार की जाएगी। राहुल गांधी की कार्यशैली पार्टी के एक धड़े को बेहद नागवार गुजर रही है। पार्टी के 23 नेताओं की ओर से भेजे गए पत्र का कारण भी राहुल गांधी ही थे। अब कार्यसमिति की बैठक के बाद राहुल की पार्टी में स्थिति कमजोर हुई है।

बैठक की शुरुआत में उन्होंने पत्र लिखने वालों पर भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाया और फिर कपिल सिब्बल को सफाई दी। उससे उनकी कमजोर स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। बैठक की शुरुआत में योजना राहुल गांधी के विरोधी नेताओं को किनारे करने की थी। इसी रणनीति के तहत सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश की और इसके बाद राहुल गांधी ने पत्र लिखने वाले नेताओं पर निशाना साधा। भले पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, एके एंटनी जैसे नेताओं ने सोनिया के समर्थन में कसीदे पढ़े, मगर अंत में सोनिया को यह तक कहना पड़ा कि उनके मन में पत्र लिखने वालों के प्रति दुर्भावना नहीं है। विवाद टालने के लिए कमेटी बनाने की घोषणा हुई है। यह संगठन के कामकाज पर उठाए गए सवालों की पड़ताल करेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि कमेटी में किस गुट के नेता का पलड़ा भारी रहता है। हालांकि राहुल विरोधी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि कमेटी समाधान नहीं है। सवाल यह है कि पार्टी की कमान कौन संभालेगा और पार्टी भविष्य में किस तरह की कार्यशैली अपनाएगी।

राहुल विरोधी धड़ा मानता है कि इस समय गांधी परिवार के इतर कोई पार्टी नहीं संभाल सकता। राहुल गांधी की पंसद वेणुगोपाल अथवा किसी अन्य नेता के हाथ में कमान जाने से स्थिति और बिगड़ेगी। ऐसे में छह महीने में प्रियंका गांधी को संगठन की कमान देने की पटकथा तैयार की जा सकती है। शुरुआती दौर में नए अध्यक्ष की मदद के लिए दो वरिष्ठ नेताओं को उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है। कुल मिलाकर कांग्रेस अनजाने में ऐसे संकट में फंस गई है, जहां से बाहर आना उसके लिए बड़ी चुनौती होगी।

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