EctoLife- Artificial Womb Facility
EctoLife- Artificial Womb FacilitySyed Dabeer Hussain - RE

EctoLife: मां की कोख के बाहर बनेगी जान, लेकिन तकनीक की मंशा से आम आदमी अनजान

EctoLife: यमन देश के हशम अल घाइली की एक ऐसी परिकल्पना जो आने वाले समय में प्रकृति के नियमों के विपरीत करेगी कार्य लेकिन जिससे आम आदमी है अंजान।

राज एक्सप्रेस। बच्चे के जन्म को सभी संस्कृतियों में एक वरदान माना जाता है, जिसे एक इंसानी जीवन की सबसे सुंदर प्रक्रिया के रूप में गिना जाता है। एक औरत 9 महीनों तक एक नन्ही जान को अपने गर्भ में रखती है और इन पूरे 9 महीनों में वो सिर्फ अपने बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य और सुरक्षा लिए जीवन जीती है। यही कारण है जिसकी वजह से मां और बच्चे के रिश्ते को सबसे ज्यादा अनमोल माना गया है।

लेकिन क्या हो अगर किसी बच्चे का जन्म मां की स्वर्ग रूपी कोख में ना होकर किसी लैब में हो? जी हां, किसी वैज्ञानिक लैब में आपका बच्चा तैयार हो जिसे आप अपनी पसंद के अनुसार संशोधित और अनुकूलित कर सके? यह सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगता है लेकिन भविष्य के आने वाले सालों में यह वास्तविकता का रूप ले सकता है जिसमे खाड़ी देश यमन के वैज्ञानिक और फिल्म निर्माता हशम अल घाइली दुनियाभर के सभी वैज्ञानिकों से आगे नजर आ रहे है। उन्होंने आधुनिकता और विज्ञान के माध्यम से एक ऐसी परिकल्पना की है जो एक आधुनिक काल का चमत्कार तो होगा लेकिन प्रकृति के नियम के खिलाफ भी साबित हो जाएगा। चलिए आज आपको बताते है उसी तकनीक और उस तकनीक से जुड़े फायदे और नुकसान के बारे में।

एक्टोलाइफ- एक कृत्रिम गर्भ सुविधा (Artificial Womb Facility- EctoLife)

कृत्रिम गर्भ क्या है?

इसे पहले की हम यमन के वैज्ञानिक हशम अल घाइली और उनके विचार कृत्रिम गर्भ सुविधा के बारे में बताए, आइए हम आपको शुरुआत से समझाते है। कृत्रिम गर्भ जिसे बायोबैग भी कहा जाता है, एक ऐसा उपकरण है जो मानव शरीर के बाहर भ्रूण (Fetus) के गर्भधारण की सुविधा प्रदान करता है। इसे नियोनेटल इनक्यूबेटर के रूप में भी जाना जाता है, एक बायोबैग या कृत्रिम गर्भ Ectogenesis (गर्भाशय के बाहर कृत्रिम परिस्थितियों में भ्रूण का विकास) की अनुमति देता है। इस बायोबैग की तकनीक को सबसे पहले साल 1996 में 14 बकरियों के भ्रूण पर प्रयोग किया गया था जिसमे उन्हें एक अलग-अलग बायोबैग में गर्भोधक के साथ रखा गया था। बताया जाता है कि इस प्रयोग में केवल एक ही बकरी का बच्चा जिंदा और सुरक्षित बच पाया था।

कृत्रिम गर्भ कैसे काम करता है?

एक कृत्रिम गर्भ, Ectogensis की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए होता है जो मूल रूप से एक कृत्रिम वातावरण में भ्रूण के विकास के लिए होता है। यह एक अनुवर्ती प्रक्रिया है जो मातृ गर्भ से स्थानांतरण को इंगित करती है। मां के गर्भ की तरह ही, भ्रूण के संपर्क में आने या संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए बायोबैग को पूरी तरह से सील कर दिया जाता है। एक बार बैग के अंदर जाने के बाद भ्रूण को गर्भोदक (Amniotic Fluid) मिल जाता है, जिसमें भ्रूण को संक्रमण से बचाने और उसके विकास के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व होते हैं। भ्रूण को सुरक्षित रखने के लिए पानी को लगातार बदला जाता है। बायोबैग के अंदर प्रवेशनी (Cannula) एक गर्भनाल (Umbilical Cord) के रूप में कार्य करती है, मातृ-भ्रूण प्रणाली में बच्चे को सभी आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन ले जाती है। बच्चे की ऑक्सीजनेशन (Oxygenation) प्रक्रिया की सफलता शरीर के दिल और ऑक्सीजनेटर (Oxygenator) पर अत्यधिक निर्भर है जो एक साथ काम कर रहे हैं और सामान्य मातृ अपरा (Placenta) रक्त प्रवाह की नकल करने वाले हैं।

क्या है EctoLife?

एक्टोलाइफ येमेनी वैज्ञानिक हशम अल-घाइली की ऐसी परिकल्पना है जिसमे माता-पिता को कृत्रिम गर्भ की मदद से अनुकूलित बच्चे (Customised Baby) पैदा करने की पेशकश करती है। एक 'एलीट पैकेज' लोगों को अपने बच्चे के बुद्धि के स्तर, ऊंचाई, बाल, आंखों का रंग, शारीरिक शक्ति और यहां तक कि त्वचा की रंगत का चयन करने की अनुमति देगा। एक्टोलाइफ के अंतर्गत एक लैब में करीबन 400 बच्चों को बिना माता या पिता के माध्यम से बनाया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार, एक्टोलाइफ में पूर्णतः एक्टोजेनेसिस (Ectogenesis) की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा। पूर्ण एक्टोजेनेसिस का अर्थ होता है गर्भधारण से लेकर जन्म तक पूरी तरह से मानव शरीर के बाहर गर्भावस्था, जिसमे IVF यानी टेस्ट ट्यूब के अंदर निषेचन द्वारा भ्रूण बनाकर एक कृत्रिम गर्भ या बायोबैग वाले पॉड (Pod) में डाला जाएगा जिसके बाद उसी बायोबैग के भीतर बच्चे का निर्माण और जन्म होगा।

कैसे काम करता है Ectolife का कृत्रिम गर्भ?

वैज्ञानिक हशम अल-घाइली ने बताया था कि इन बायोबैग वाले पॉड को मां के गर्भ में मौजूद वातावरण के समान वातावरण प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे बच्चे के माता पिता, पॉड में लगे स्क्रीन के माध्यम से बच्चे की वृद्धि और विकास पर नजर रख पाएंगे जो उन्हें रियल टाइम डाटा प्रदर्शित करेगा और मोबाइल एप के माध्यम से भी बच्चे पर नजर रख सकते है। पॉड में मौजूद AI आधारित प्रणाली बच्चे की शारीरिक विशेषताओं के साथ संभावित अनुवांशिक असमानताओं (Genetic Abnormalities) का भी ब्योरा माता पिता और डॉक्टर्स तक पहुंचाता रहेगा। वैज्ञानिक घाइली ने बताया की आगे इस परिकल्पना को हरी झंडी मिल जाती है तो वे शुरुआत में 75 एक्टोलाइफ लैब की स्थापना करेंगे जिसमे 1 साल के भीतर तकरीबन 30 हज़ार बच्चों का निर्माण किया जाएगा। इस परिकल्पना या Concept का सबसे बड़ा भाग है माता पिता को दिया जाने वाला Elite Package( कुलीन पैकेज)।

क्या है एक्टोलाइफ का ’Elite Package’ और CRISPR तकनीकी?

एक्टोलाइफ का 'एलीट पैकेज' में भ्रूण को बायोबाग में डालने से पहले माता पिता को CRISPR/Cas9 नाम की तकनीकी का विकल्प दिया जाएगा जिसमे वह अपने बच्चे की बुद्धि का स्तर, ऊंचाई, बाल, आंखों का रंग, शारीरिक शक्ति और यहां तक कि त्वचा की रंगत भी चुनने की अनुमति देगा। CRISPR\Cas 9 एक जीनोम एडिटिंग की एक पद्धति है जिसमे अनुवांशिक जीनो को जोड़ा ,हटाया या बदला जा सकता है। इस प्रणाली में मुख्यतः दो अणु सम्मिलित होते हैं जो डीएनए में परिवर्तन के कारक होते हैं। इस पद्धति में प्रयुक्त Cas 9 एक एंजाइम है तथा यह आणविक कैंची की तरह कार्य करता है तथा यह जीनोम में डीएनए के स्ट्रैंड को एक विशिष्ट स्थान से काट देता है जिससे अभीष्ट डीएनए को परिवर्तित किया जा सके। इस एलिट पैकेज के अंतर्गत बच्चे को रखे जाने वाले पॉड के अंदर 360 डिग्री में घूमने वाला कैमरा भी लगाया जाएगा जिससे माता पिता घर बैठे अपने बच्चे को देख पाएंगे इसके साथ पॉड के अंदर सराउंड स्पीकर सिस्टम लगाया जाएगा जिससे वो अभिभावक जो चाहते है कि बच्चा उनकी आवाज को पैदा होने से पहले ही पहचान सके, उन्हें घर बैठे स्पीकर से कनेक्ट कर अपने बच्चे तक अपनी आवाज पहुंचाने का विकल्प भी देगा।

एक्टोलाइफ की अच्छाई में बातें

  • यह समय से पहले जन्म के दौरान उपयोगी है। यदि किसी दंपति को पता चलता है कि बच्चे का शीघ्र प्रसव होना आवश्यक है, तो भ्रूण के पूर्ण विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक कृत्रिम गर्भ का उपयोग किया जा सकता है।

  • जिन लोगों के गर्भ काम नहीं कर रहे हैं या बांझपन की समस्या से ग्रस्त है, उनके लिए यह तकनीक काम कर सकती है।

  • यह भ्रूण की सर्जरी के प्रभावों को भी कम कर सकता है। वर्तमान समय में कुछ भ्रूण सर्जरी पूरी ,अवधि के प्रसव के बाद तक करना कठिन होता है। ऐसे मामलों में जहां समय से पहले सर्जरी करना चिकित्सकीय रूप से आवश्यक है, एक कृत्रिम गर्भ दंपति को पूर्ण गर्भधारण और टर्म प्रेग्नेंसी दोनों का मौका दे सकता है।

  • यह तकनीकी समलैंगिक जोड़ों की मदद कर सकती है जो खुद बच्चे पैदा नहीं कर सकते है और उन देशों के भी काम आ सकती है जिनमे जनसंख्या का स्तर लगातार गिर रहा है।

EctoLife के विपक्ष में की गई बातें

  • कृत्रिम गर्भों के उपयोग को लेकर नैतिक चिंताएँ हैं। मानव शरीर के बाहर जीवन का निर्माण करना ईश्वर की भूमिका है, इसे प्रकृति के खिलाफ कार्य करने वाला सिस्टम भी कहा जा सकता है।

  • कृत्रिम गर्भ से जन्म लेने से बच्चे के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। गर्भावस्था की अवधि के दौरान मां के साथ प्राकृतिक संबंध की अनुपस्थिति बच्चे को दुनिया से अलग होने का कारण बन सकती है।

  • कृत्रिम गर्भ से पैदा होने वाले शिशुओं के समय से पहले जन्म लेने की संभावना अधिक होती है। समय से पहले जन्म बच्चे के लिए विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जिसमें श्वसन संकट, मस्तिष्क क्षति और विकास संबंधी देरी शामिल हैं।

  • कृत्रिम गर्भ विकसित करने और उपयोग करने के लिए महंगे हैं, जिसका अर्थ है कि वे केवल उन लोगों के लिए सुलभ हो सकते हैं जो इसे वहन कर सकते हैं। EctoLife से समाज में मौजूदा असमानताएं बढ़ सकती हैं।

  • यह तकनीकी कही ना कही समाज में औरत के स्तर को नीचे करने का कार्य कर सकती है क्योंकि महिलाओं की ऐसे पितृसत्तात्मक समाज में इज्जत और स्तर तब ही मिलता है जब वे मां बनती है। अगर उनसे मां बनने का हक भी छीन लिया जाएगा तो महिलाओं ने जो इतने सालों तक अपने हक की लड़ाई लड़ी है वे सब व्यर्थ हो जाएंगी।

क्यों एक्टोलाइफ तकनीकी हो सकती है राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा?

इस प्रकार की तकनीक का सबसे बाद नुकसान यह है कि ये कभी भी किसी भी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा बन सकती है क्योंकि अगर यह तकनीकी किसी आतंकवादी संगठन के हाथ में लग गई तो वे CRISPR तकनीकी से अपने जैसे खतरनाक आतंकवादी शुरुआत से बना पाएंगे और अपनी फौज तैयार कर प्रतिदिन हर देश में आतंकवादी हमले कर सकते है। आतंकवादी गतिविधियों के साथ ही यह EctoLife तकनीक उन देशों के लिए वरदान साबित हो सकती है जो तानाशाही प्रवृत्ति के है उदाहरण के लिए चीन, दक्षिण कोरिया या पाकिस्तान। ऐसे देश एक्टोलाईफ के द्वारा अपनी सेना को बढ़ाकर पड़ोसी देशों की जमीन हड़पने का प्रयास कर सकते है। वैसे तो EctoLife वर्तमान में सिर्फ एक परिकल्पना है लेकिन आज के अत्याधुनिक और तेज़ चलने वाले समय में विज्ञान भी जल्द तरक्की करने का माद्दा रखता है।

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