शिक्षा नीति : 2.5 लाख पंचायतों 6600 ब्लाकों और 676 जिलों से दो लाख सुझाव

नई शिक्षा नीति का मकसद स्कूल से उच्च शिक्षा तक समय की मांग के अनुसार पाठ्यक्रमों में बदलाव और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के युवाओं को प्रतिस्पर्धी परिवेश के लिए तैयार करना है।
Shiksha Niti 2020
Shiksha Niti 2020Social Media

नई शिक्षा नीति के तहत 2030 तक शत-प्रतिशत बच्चों को स्कूली शिक्षा में नामांकन कराने का लक्ष्य है। इसका मतलब हर बच्चे तक शिक्षा पहुंचाना या शिक्षा से जोड़ना है। इसके अलावा राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण में सभी सरकारी और निजी स्कूल शामिल होंगे। पहली बार सरकारी और निजी स्कूलों में एक नियम लागू होंगे। इससे निजी स्कूलों की मनमानी और फीस पर लगाम लगेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए 2.5 लाख पंचायतों, 6,600 ब्लाकों और 676 जिलों से लगभग दो लाख सुझाव मिले थे। मई 2016 में पूर्व कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यन की कमेटी ने नई शिक्षा नीति पर रिपोर्ट पेश की। जून-2017 में इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति मसौदे के लिए समिति गठित हुई, जिसने 31 मई, 2019 को रिपोर्ट सौंपी। बदलती जरूरतों के अनुसार शिक्षा नीति में बदलाव की दरकार लंबे समय से महसूस की जा रही थी। मगर अब तक 1986 में बनी शिक्षा नीति के अनुसार ही शिक्षा व्यवस्था को संचालित किया जा रहा था। भाजपा ने 2014 के अपने चुनाव घोषणा-पत्र में नई शिक्षा नीति लाने का भी अहम वादा किया था।

सत्ता में आने के बाद उसने इस दिशा में कदम उठा दिया था। आखिरकार सलाह-मशविरों के बाद कस्तूरीरंगन समिति द्वारा तैयार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति घोषित कर दी गई है। स्वाभाविक ही इससे शिक्षा के क्षेत्र में अपेक्षित बदलाव की उमीद जागती है। नई नीति का मकसद स्कूल से उच्च शिक्षा तक समय की मांग के अनुसार पाठ्यक्रमों में बदलाव और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युवाओं को प्रतिस्पर्धी परिवेश के लिए तैयार करना है। इससे युवाओं में कौशल विकास, नवोन्मेषी अनुसंधान और रोजगार के नए अवसर पैदा करने में मदद मिल सकती है। नई नीति का जोर विद्यार्थियों के व्यक्तित्व और कौशल विकास के लिए शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी है। अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर फिर से शिक्षा मंत्रालय हो गया है। वैश्वीकरण के बाद की नई स्थितियों में शिक्षा क्षेत्र में बदलाव जरूरत थी। यूपीए के समय ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था विकसित करने की बात उठी थी। उसके अनुसार शिक्षा क्षेत्र में बदलाव लाने और रोजगारोन्मुख शिक्षा प्रणाली बनाने का संकल्प लिया गया था।

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार न आने या विद्यार्थियों के कौशल विकास की दिशा में नतीजे न आने की वजह शिक्षकों का नवोन्मेषी और नई जरूरतों के मुताबिक तैयार न होना रहा है। नई शिक्षा नीति में इस बिंदु पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है। दरअसल, अब शिक्षा प्रणाली को न सिर्फ अपने देश की, बल्कि वैश्विक जरूरतों के मुताबिक ढालना बहुत जरूरी है, ताकि विज्ञान, तकनीकी शिक्षा, सामाजिक विज्ञान आदि क्षेत्रों में प्रतिभाओं को आगे बढऩे का मौका मिल सके। नई शिक्षा नीति से मकसद सध सकता है। अब सरकार का जोर इसे पूरी तरह लागू करने पर होना चाहिए।

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