कोरोना वायरस : सावधान नहीं हुए तो फिर घरों में कैद होने पर मजबूर होना होगा

एक साल पहले लॉकडाउन की पीड़ा को सबने भोगा था, अब फिर वैसे ही हालत बनते जा रहे हैं। हमारी कोरोना के प्रति लापरवाही संक्रमण बढ़ा रही है।
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ढाई महीने में पहली बार ऐसा हुआ है जब देशभर में शनिवार को 25 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। इसमें 16 हजार से ज्यादा मामले अकेले महाराष्ट्र के ही हैं। जिन राज्यों में फिर से संक्रमण के मामलों में तेजी देखने को मिली है, उनमें महाराष्ट्र और केरल के अलावा पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक और तमिलनाडु शामिल हैं। सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं, देश के दूसरे राज्यों में भी फिर से कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी आना चिंता पैदा करने वाली बात है। अभी तक माना जा रहा था कि भारत में महाराष्ट्र और केरल जैसे इकादुका राज्यों को छोड़ दें तो देश में अब कोरोना संक्रमण का फैलाव थम गया है या फिर जहां भी नए मामले मिल रहे हैं, वहां नाममात्र के हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों में यह बात गलत साबित हो गई है। यह खतरे की घंटी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही चेतावनी दे चुका है कि महामारी का खतरा अभी टला नहीं है और कई देशों को इसकी दूसरी, तीसरी लहर का सामना करना पड़ सकता है।

ताजा हालात पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा बड़े और गंभीर खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के पीछे बड़ा कारण लोगों का फिर से लापरवाह हो जाना है। सुरक्षित दूरी का कोई पालन नहीं हो रहा है। संक्रमण से बचाव के लिए जो भी सावधानियां बरती जानी चाहिए, उनकी कोई परवाह नहीं हो रही है। ऐसे में कौन संक्रमण का वाहक होगा, कोई नहीं जान सकता। हैरानी की बात यह है कि संक्रमितों की पहचान के लिए जिस बड़े पैमाने पर राज्य सरकारों को आरटी-पीसीआर जांच का अभियान चलाना चाहिए था, उसे लेकर राज्यों ने गंभीरता नहीं दिखाई। बल्कि लापरवाही की हद तो यह है कि चल रहे जांच शिविरों को भी यह मान कर बंद कर दिया गया कि अब तो कोरोना का प्रकोप कमजोर पड़ चुका है। इस जांच से संक्रमितों का पता चलता और उन्हें एकांतवास में रखा जाता, ताकि संक्रमण फैलने का खतरा काफी कम हो जाता।

देश में अब टीकाकरण का अभियान भी जोरों पर है। लेकिन टीका आ जाने और लगवाने लेने का मतलब यह भी नहीं कि हम बचाव के उपायों को ताक पर रख दें। पर्याप्त संख्या में लोगों की जांच, टीकाकरण और बचाव के नियमों का सख्ती से पालन ही संक्रमण को फैलने से रोकने का एकमात्र उपाय है। लेकिन अभी तो इन सभी मोर्चों पर घोर लापरवाही देखने को मिल रही है। टीकाकरण को लेकर लोगों के मन में तमाम तरह की भ्रांतियां बनी हुई हैं और इसी का नतीजा है कि कई लोग पहली खुराक के बाद दूसरी खुराक लेने से बच रहे हैं। भलाई इसी में है कि हम महामारी विशेषज्ञों की इस चेतावनी को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें कि जरा-सी लापरवाही भी देश को फिर से संकट में डाल देगी। हम लॉकडाउन की पीड़ा भोग चुके हैं, इसलिए फिर ऐसे हालात न बनें, यह हम पर ही निर्भर है।

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