मध्यप्रदेश: लॉजिस्टिक हब बदलेगा तकदीर

मध्यप्रदेश: मुख्यमंत्री कमलनाथ के कुशल और प्रतिबद्ध नेतृत्व में मध्यप्रदेश विकास की राह पर बढ़ चला है। ग्लोबल लॉजिस्टिक हब की घोषणा और प्रदेश को बड़े बंदरगाहों से जोड़ना इस सफर के पड़ाव मात्र हैं।
मध्यप्रदेश लॉजिस्टिक हब
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राज एक्सप्रेस। यह तय है कि प्रदेश में होने वाला निजी निवेश अवसरों व संभावनाओं के नए द्वार खोलेगा। साथ ही मध्यप्रदेश की जनता के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। इंदौर में 18 अक्टूबर को होने वाली ‘मैग्नीफिसेंट एमपी’ इन्वेस्टर्स समिट, 2019 को लेकर तैयारियां अब पूरा जोर पकड़ चुकी हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ स्वयं तैयारियों पर नजर रख रहे हैं। इस आयोजन के दौरान सरकार का फोकस लॉजिस्टिक हब के क्षेत्र में निवेश लाने पर बना हुआ है। प्रदेश सरकार चुनिंदा जगहों पर ऐसे हब स्थापित करना चाहती है। यही वजह है कि, राज्य सरकार लॉजिस्टिक हब एवं वेयर हाउसिंग के लिए अलग से नीति तक बना चुकी है। इसके अच्छे परिणाम दिखना शुरू हो गए हैं। इसकी शुरूआत रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा प्रदेश में ग्लोबल लॉजिस्टिक हब की स्थापना की तैयारी के रूप में कर दी गई है। मध्यप्रदेश की भौगोलिक स्थिति, विभिन्न राज्यों से संपर्क और बंदरगाह तक पहुंच आदि, लॉजिस्टिक हब के लिए अनुकूल है। लॉजिस्टिक हब जहां स्थापित होता है, वहां की औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों में तो बढ़ोत्तरी होती ही है, साथ ही यह देश केआर्थिक विकास में भी मददगार साबित होता है।

मप्र में एक अच्छे लॉजिस्टिक हब की सारी खूबियां और संभावनाएं मौजूद हैं। राज्य सरकार प्रदेश को गुजरात और महाराष्ट्र के प्रमुख बंदरगाहों से जोड़ रही है, जिससे यहां से माल परिवहन की गति तेज की जा सके। लॉजिस्टिक हब वह कारोबारी केंद्र होता है, जहां पर विभिन्न प्रकार की व्यापारिक गतिविधियों को एक साथ अंजाम दिया जा सके। इसमें परिवहन वस्तुओं का वर्गीकरण करना, उनका वितरण करना और उन्हें देश और विदेश में अलग-अलग स्थानों पर पहुंचाने के लिए मालवहन करना आदि शामिल हैं। किसी भी देश और प्रदेश के कारोबार और निर्यात आदि में लॉजिस्टिक व्यय की बहुत अहम् भूमिका होती है। मध्यप्रदेश में देश का शीर्ष लॉजिस्टिक हब बनाने की संभावनाएं मौजूद हैं। मप्र की सीमाएं देश के 5 बड़े राज्यों से मिलती हैं और इन राज्यों में रहने वाली देश की लगभग 50 प्रतिशत आबादी मप्र से प्रत्यक्ष संपर्क रहती है। प्रचुर मात्र में उपलब्ध जमीन भी लॉजिस्टिक हब बनाने के लिए आकर्षण का केंद्र है। अकेले मप्र औद्योगिक विकास निगम के पास ही 120 लाख एकड़ जमीन उपलब्ध है।

मप्र में कुशल अर्ध कुशल श्रमिक अच्छी खासी संख्या में मौजूद हैं। इसका पूरा लाभ लॉजिस्टिक हब में मौजूद कंपनियां उठा सकती हैं। इससे स्थानीय रोजगार में इजाफा होगा और कंपनियों की लागत में भी कमी आएगी। अगस्त माह में उद्योगपतियों के साथ मुंबई में हुई बैठक में मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा था कि, मध्यप्रदेश की औद्योगिक निवेश की संभावनाओं का ठीक से दोहन करने की आवश्यकता है। प्रदेश उद्यानिकी, खाद्य प्रसंस्करण, डेटा प्रोसेसिंग, ऊर्जा स्टोरेज जैसे नए क्षेत्रों में देश का केंद्र-बिंदु बन सकता है। कुल मिलाकर प्रदेश में वे तमाम खासियत हैं जो आदर्श लॉजिस्टिक हब बनने में सहायक हैं। निरंतर बढ़ती कारोबारी गतिविधियों के बीच लॉजिस्टिक हब की भूमिका से कैसे इंकार किया जा सकता है। लॉजिस्टिक हब जहां स्थापित होता है, वहां की औद्योगिक और आर्थिक गतिविधियों में तो बढ़ोत्तरी होती ही है, साथ ही यह देश के समग्न आर्थिक विकास में भी मददगार साबित होता है। मध्यप्रदेश में एक अच्छे लॉजिस्टिक हब की सारी खूबियां और संभावनायें मौजूद हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ के विशेष प्रयासों से राज्य सरकार प्रदेश को गुजरात और महाराष्ट्र के प्रमुख बंदरगाहों से जोड़ रही है, जिससे यहां से माल परिवहन की गति तेज की जा सके। किसी भी देश और प्रदेश के कारोबार और निर्यात आदि में लॉजिस्टिक व्यय की बहुत अहम भूमिका होती है। अन्य देशों से तुलना करें तो हमारे देश में लॉजिस्टक व्यय जीडीपी के 13-14 प्रतिशत के बराबर है। अमेरिका में यह 9.5 फीसदी, जर्मनी में 8 फीसदी और यहां तक कि ब्रिक्स देशों में भी यह 10-11 फीसदी के साथ भारत से कम है।

इस लागत को कम करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि मालवहन को सुसंगत और सुविधाजनक बनाया जा सके ताकि कम से कम लागत पर माल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जा सके। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति उसे लॉजिस्टिक हब के लिए एकदम उपयुक्त बनाती है। यही कारण है कि कमलनाथ सरकार चुनिंदा जगहों पर ऐसे हब स्थापित कर रही है। इस दिशा में प्रयास शुरू हो चुके हैं और उनका लाभ भी नजर आने लगा है। इन प्रयासों की बदौलत ही रिलायंस इंडस्ट्रीज मध्यप्रदेश में ग्लोबल लॉजिस्टिक हब की स्थापना करने जा रही है। प्रदेश सरकार लॉजिस्टिक हब को लेकर कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह इसके लिए बाकायदा समर्पित लॉजिस्टिक हब एवं वेयरहाउसिंग नीति भी ला चुकी है।

मध्यप्रदेश की शासकीय योजनाओं और नीतियों की बदौलत प्रदेश में उद्योग जगत तेजी से विकसित हो रहा है। मेगा फूड पार्क एवं प्लास्टिक पार्क के साथ तमाम अन्य वृहद औद्योगिक इकाइयों के विकास के जो अवसर तैयार हो रहे हैं, उनमें लॉजिस्टिक हब की मौजूदगी कई गुना इजाफा कर देगी। मप्र एक लैंड लॉक्ड राज्य है। इस स्थिति को बाधा बनने देने के बजाय प्रदेश सरकार ने कई जगहों पर ड्राई पोर्ट (शुष्क बंदरगाह) स्थापित किए हैं। विभिन्न रियायतों के साथ तैयार होने वाले ये ड्राई पोर्ट माल वहन की समस्याओं को दूर करने में मददगार साबित हो रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप प्रदेश में कई निर्यातोन्मुखी उद्योग आ चुके हैं और आ रहे हैं। ग्वालियर के निकट मालनपुर, भोपाल के निकट मंडीदीप, इटारसी के निकट पवारखेड़ा, इंदौर के निकट पीथमपुर, धन्नाड़ और तीही में कंटनर डिपो स्थापित किए जा चुके हैं। इनमें पवारखेड़ा और धन्नाड़ के डिपो निजी कारोबारियों द्वारा स्थापित किये जा रहे हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा प्रदेश में ग्लोबल लॉजिस्टिक हब स्थापित किये जाने की घोषणा के बाद इस क्षेत्र में कारोबारियों की रुचि और बढ़ गई है।

मुख्यमंत्री कमलनाथ केंद्रीय उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं। उन्हें लॉजिस्टक क्षेत्र व आर्थिक विकास में इसकी भूमिका की गहरी समझ और अनुभव है। यही कारण है कि अब राज्य सरकार लॉजिस्टिक हब बनाने के लिए अपने स्तर पर नीतिगत मदद मुहैया करा रही है। इसके अंतर्गत हब बनाने के इच्छुक कारोबारियों को अधिकतम 15 करोड़ तक की निवेश सहायता मुहैया कराई जाती है। लॉजिस्टिक हब के आसपास बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए एक करोड़ रुपए तक की राशि मुहैया कराई जाती है। हब में नये हाई टेंशन बिजली कनेक्शन के लिए बिजली बिल में 5 से 10 वर्ष तक रियायत और स्टाम्प शुल्क में पूर्ण रियायत प्रदान की जाती है। ये तमाम बातें मध्यप्रदेश को लॉजिस्टिक हब बनाने की दृष्टि से मॉडल राज्य के रूप में प्रस्तुत करती हैं। कॉर्पोरेट जगत यदि प्रदेश में लॉजिस्टिक और वेयरहाउसिंग क्षेत्र में निवेश करेगा तो लाभ देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को तो होगा ही साथ ही मध्यप्रदेश की जनता को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे।

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