देश में Petrol 108 रुपए लीटर और Diesel 101 रुपए लीटर पंहुचा

लगातार बढ़तीं पेट्रोल और डीजल की कीमतों ने लोगों के सामने एक साथ कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। लॉकडाउन से काम धंधा पहले से बंद हैं, तो अब वाहनों में तेल डलवाना जेब पर भारी पड़ रहा है।
देश में पेट्रोल(Petrol) 108 रुपए लीटर और डीजल(Diesel) 101 रुपए लीटर पंहुचा
देश में पेट्रोल(Petrol) 108 रुपए लीटर और डीजल(Diesel) 101 रुपए लीटर पंहुचा Social Media

देश में पेट्रोल 108 रुपए लीटर और डीजल 101 रुपए लीटर पर पहुंच गया है। देश के छह राज्यों में पेट्रोल 100 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया है। मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के सभी जिलों में पेट्रोल 100 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं बिहार, तेलंगाना, कर्नाटक, जमू-कश्मीर, मणिपुर, ओडिशा और लद्दाख में भी कई जगहों पर पेट्रोल 100 रुपए लीटर के पार हो गया है। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और मैन्युफैक्चरिंग लागत बढऩे से थोक महंगाई दर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। थोक महंगाई दर मई में 12.94 फीसदी पर पहुंच गई है। यह मई 2020 में - 3.37 फीसदी रही थी। अब अमेरिकी अर्थव्यवस्था लगभग खुल चुकी है। इसके साथ ही यूरोपीय देशों में भी जीवन सामान्य हो रहा है। इससे पेट्रोलियम पदार्थों की मांग बढ़ रही है। यही वजह है कि इन दिनों कच्चे तेल की कीमतें चढ़ ही रही हैं। अमेरिकी बाजार में ब्रेंट क्रूड 74 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गया है।

लॉकडाउन में पेट्रोल-डीजल से सरकार ने 2.35 लाख करोड़ रुपए कमाए हैं। जो 2019-20 की तुलना में करीब छह फीसदी ज्यादा है। अब सरकार को इस कमाई से कुछ राहत जनता को भी देनी चाहिए, जो महंगाई से बेहाल है। पिछले कुछ समय से लगातार जिस तरह पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है, उसे देखते हुए यह आशंका पहले से ही जताई जा रही थी कि इसका असर बाजार में मौजूद सभी जरूरत के सामान पर पड़ेगा। अब पेट्रोल और डीजल की कीमतें लोगों की पहुंच से धीरे-धीरे दूर होती जा रही हैं, बल्कि खाने-पीने के सामान की खरीदारी को लेकर भी बहुतों को सोचना पड़ रहा है। कच्चे तेल और विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में इजाफे की वजह से थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई की दर मई में बढ़ कर रिकार्ड उच्च स्तर 12.94 फीसद पर पहुंच गई। जबकि सिर्फ साल भर पहले मुद्रास्फीति शून्य से 3.37 फीसद नीचे थी। इसके साथ खाने-पीने के सामान की कीमतें भी तेजी से बढ़ी हैं।

सच यह है कि इस साल बीते कुछ महीनों से थोक और खुदरा महंगाई की रतार में जिस तरह की तेजी आई है, उसने आम लोगों के माथे पर शिकन पैदा कर दी है। सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति की दर दो फीसद की कमी या वृद्धि के साथ चार फीसद पर कायम रखने की जिम्मेदारी दी हुई है। यह व्यवस्था मुख्य रूप से देश की आबादी के उस हिस्से की फिक्र में है, जिसकी थाली पर बाजार भाव का सीधा असर पड़ता है। लेकिन ऐसा लगता है कि चार फीसद का यह आंकड़ा महज औपचारिक दस्तावेजों तक सिमट कर रह गया है। अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि खुदरा महंगाई दर मई में उछल कर 6.3 फीसद पर पहुंच गई। हालांकि, कहा जा रहा है कि परेशानियों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने शुक्रवार को पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी की बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि इस मीटिंग में तेल की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लग सकता है।

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