चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के अगले कदम पर नजर

संसद में सीएए का समर्थन करने के बाद से पीके लगातार अपनी पार्टी और सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते आए हैं।
पीके के अगले कदम पर नजर
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राज एक्सप्रेस। संसद में सीएए का समर्थन करने के बाद से पीके लगातार अपनी पार्टी और सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते आए और आखिरकार बुधवार को उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया गया। यह टीस अभी खत्म नहीं हुई है। अब नजर उनके अगले कदम पर है। पार्टी के खिलाफ लगातार बयानबाजी व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से विवाद के बाद जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने प्रशांत किशोर को बाहर का रास्ता दिखाया है। साल 2018 से पार्टी से उपाध्यक्ष पद से जुड़े प्रशांत किशोर ने 2015 में जेडीयू के लिए चुनावी रणनीति भी तैयार की थी। उपाध्यक्ष पद संभालने के साथ ही प्रशांत किशोर यानी पीके ने अपना सियासी सफर भी शुरू किया था।

मुख्यमंत्री नीतीश ने उन्हें बिहार का भविष्य बताया था

लेकिन आज उन्हीं पीके के लिए नीतीश कुमार का रुख बदला-बदला सा है। संसद में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का समर्थन करने के बाद से पीके लगातार अपनी पार्टी और सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते आए और आखिरकार बुधवार को उन्हें पार्टी से बाहर निकाल दिया गया। बता दें कि प्रशांत किशोर की पहचान नेता से कहीं ज्यादा चुनावी रणनीतिकार के रूप में रही है। बतौर पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट अपना करियर शुरू करने से पहले प्रशांत किशोर यूनिसेफ में नौकरी करते थे और उन्हें ब्रांडिंग का जिम्मा मिला था।

पीके करीब 8 साल यूनाइटेड नेशंस से जुड़े रहे। बहुत कम लोग जानते होंगे कि पीके अफ्रीका में यूएन के एक मिशन चीफ भी रह चुके हैं। भाजपा से प्रशांत किशोर का कनेक्शन 2014 से भी पहले से है। 2011 में गुजरात के सबसे बड़े आयोजनों में एक वाइब्रैंट गुजरात की रूपरेखा प्रशांत किशोर ने ही तैयार की थी। इसके बाद 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की टीम ने भाजपा का प्रचार संभाला था और नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री चुनकर आए। गुजरात में मिली सफलता के बाद भाजपा ने 2014 लोकसभा प्रचार की कमान भी प्रशांत को सौंपी। नतीजा, भाजपा को पूर्ण बहुमत से जीत मिली। 2014 लोकसभा चुनाव में चाय पर चर्चा और थ्री-डी नरेंद्र मोदी का कॉन्सेप्ट भी प्रशांत किशोर ने ही तैयार किया था। इस चुनाव के बाद से ही पीके सुर्खियों में आए और बाकी दलों ने भी अपनी पार्टी के लिए बतौर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को चुना। इसके बाद प्रशांत किशोर ने जेडीयू और कांग्रेस के लिए भी चुनावी रणनीतियां बनाईं।

2015 बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर की टीम ने जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन के लिए प्रचार संभाला। रणनीति तैयार की और चर्चित नारा भी दिया था-बिहार में बिहार है, नीतीश कुमार है यह नारा काफी छाया रहा। इस चुनाव में जेडीयू, आरजेडी व कांग्रेस के महागठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला। 2016 में प्रशांत किशोर ने पंजाब विधानसभा चुनाव में अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीति तैयार की और कांग्रेस को बड़ी जीत दिलवाई। 2017 में यूपी चुनाव के वक्त कांग्रेस का चुनाव प्रचार संभाला लेकिन पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेस को सिर्फ 7 सीटें मिलीं थीं। अब चर्चा है कि पीके ममता बनर्जी का दामन थाम सकते हैं। देखते हैं कि उनके लिए पीके कितने फायदेमंद साबित होंगे।

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