पंजाब में जहरीली शराब पीने से 86 से ज्यादा लोगों की मौत

पंजाब में जहरीली शराब पीने से 86 से ज्यादा लोगों की मौत इस बात का प्रमाण है कि सरकारी व्यवस्थाएं किस हद तक लचर हैं। जहरीली शराब पीने का यह पहला मामला नहीं है।
पंजाब में जहरीली शराब पीने से 86 से ज्यादा लोगों की मौत
पंजाब में जहरीली शराब पीने से 86 से ज्यादा लोगों की मौतSocial Media

कसी भी त्रासद घटना का सबक यह होना चाहिए कि उससे बचाव या उसे रोकने के हर संभव उपाय किए जाएं। लेकिन विडंबना यह है कि असर बरती जाने वाली लापरवाही की वजह से लोगों की जान चली जाती है। पंजाब के तीन जिलों में जहरीली शराब पीकर करीब 86 से ज्यादा लोगों की मौत से फिर यही साबित हुआ है कि सरकार अपने स्तर पर भले चौकसी बरतने के दावे करे, लेकिन उन पर अमल की हकीकत कुछ और होती है। खबर के मुताबिक अमृतसर, गुरदासपुर और तरण तारण जिलों में कई जगहों पर जो शराब बेची गई, उन्हें पीने के बाद कई लोगों की मौत हो गई। मौत के पहले पांच मामले तीन दिन पहले अमृतसर के तारसिका के तांगड़ा और मुच्छल गांव से सामने आए थे। लेकिन समय रहते प्रशासन की ओर से जरूरी सक्रियता नहीं बरती गई। नतीजतन, मरने वालों की संख्या बढ़ती गई।

सवाल है कि इस तरह की सक्रियता सरकार और संबंधित महकमे अपनी नियमित ड्यूटी में यों नहीं दिखाते! सरकार और प्रशासन की नींद तभी यों खुलती है जब उनकी लापरवाही की वजह से काफी लोगों की जान चली जाती है? शराब की बिक्री ऐसा कारोबार है, जिस पर आमतौर पर प्रशासन की निगरानी का दावा किया जाता है। शराब की दुकानों के खुलने या फिर बंद होने तक को लेकर आधिकारिक घोषणाएं होती हैं। तो आखिर यह कैसे संभव हो जाता है कि इस बीच किसी शराब बनाने वाले को जहर मिला शराब बेचने का मौका मिल जाता है। अगर शराब में जहर मिलाने का कारोबार सुनियोजित तरीके से नहीं होता है तो इसे बनाए जाने के क्रम में इस पर निगरानी और जांच के लिए या व्यवस्था की गई है? वैध या अवैध तरीके से बनाई गई शराब की खरीद-बिक्री पर रोक के लिए जो व्यवस्थाएं हैं, उसे लागू करने वाले महमके हैं, उनकी या जिम्मेदारी है? शराब का खरीदार आखिर कैसे पहचान करेगा कि वह जो खरीद रहा है, उसमें उसकी मौत का सामान मिला हुआ है या नहीं!

अव्वल तो शराब के वैध-अवैध निर्माण से लेकर उसकी बिक्री को लेकर तमाम तरह के सवाल उठाए जाते रहे हैं। कई राज्यों में लोगों की सेहत और दूसरे सामाजिक प्रभावों के मद्देनजर शराब की खरीद बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है। यह अलग समस्या है और सरकार या प्रशासन की नाकामी है कि प्रतिबंध के बावजूद कालाबाजारी के रास्ते शराब की बिक्री चलती रहती है। लेकिन जहां कानूनी दायरे में इसका कारोबार चलता है, वहां भी इस मसले पर घोर लापरवाही यों बरती जाती है? यह किसी से छिपा नहीं है कि अवैध तरीके से बनाई गई मिलावटी, सस्ती या फिर कच्ची शराब का सेवन आमतौर पर गरीब तबके के लोग करते हैं। इस वजह से देश भर में हर साल सैकड़ों लोगों की जान चली जाती है। मगर शायद ही सरकारों की ओर से कोई ऐसा कदम उठाया जाता है, जिससे मौत के ऐसे कारोबार को रोका जा सके।

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