स्पुतनिक-वी : भारत के टीकाकरण अभियान में शामिल होने वाली तीसरी वैक्सीन

देश में वैक्सीन की किल्लत दूर करने केंद्र सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला किया। जिन वैक्सीन को दुनिया के किसी भी देश की एजेंसी ने अप्रूवल दे रखा है, सबको भारत ने भी मंजूरी दे दी है।
स्पुतनिक-वी  : भारत के टीकाकरण अभियान में शामिल होने वाली तीसरी वैक्सीन
स्पुतनिक-वी : भारत के टीकाकरण अभियान में शामिल होने वाली तीसरी वैक्सीनSyed Dabeer Hussain - RE

देश में वैक्सीन की किल्लत दूर करने सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला किया। जिन वैक्सीन को दुनिया के किसी भी देश की सरकारी एजेंसी ने अप्रूवल दे रखा है, सबको भारत ने भी मंजूरी दे दी है। सरकार ने अपने आदेश में जिन संस्थाओं का नाम लिया है, वे अमेरिका, यूरोप, ब्रिटेन, जापान और डब्लूएचओ से जुड़ी हैं। अभी वैक्सीन को मंजूरी देने वालों में यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन, यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी, यूकेएमएचआरए, पीएमडीए जापान और वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन शामिल हैं। केंद्र सरकार इससे पहले रूस की स्पुतिनक-वी को भी देश में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दे चुकी है। जिन वैक्सीन को सरकार ने मंजूरी दी है, उन्हें अगले सात दिनों तक 100 मरीजों पर परखा जाएगा। उसके बाद देश के टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर लिया जाएगा। सरकार का दावा है कि फैसले से भारत में वैक्सीन इंपोर्ट करने और टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी लाने में मदद मिलेगी। केंद्र सरकार के इस फैसले से इन दवा कंपनियों के लिए विदेशी वैक्सीन को भारत में बनाने की मंजूरी लेने में भी आसानी होगी।

सोमवार को एक्सपर्ट कमेटी ने रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी के इमरजेंसी यूज को मंजूरी दे दी थी। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने भी इसे मंजूरी दे दी है। भारत के टीकाकरण अभियान में शामिल होने वाली तीसरी वैक्सीन बन गई है। रशियन डायरेट इंवेस्टमेंट फंड ने कहा कि भारत दुनिया का 60वां देश है, जिसने स्पुतनिक-वी के इमरजेंसी यूज को मंजूरी दी है। इस वक़्त हम महामारी के जिस भयावह दौर से गुजर रहे हैं, उसमें तीसरा टीका मिला बड़ी राहत है। भारत में अभी सिर्फ दो टीकों कोवैक्सीन और कोविशील्ड का ही आपात इस्तेमाल हो रहा है। 139 करोड़ से ज्यादा की आबादी का टीकाकरण करने के लिए जरूरी है कि देश में बड़े पैमाने पर टीकों का उत्पादन हो। ऐसे वक़्त में जब संक्रमण की रफ़्तार नित नए कीर्तिमान बना रही हो, हालात पर काबू पाने के लिए असरदार टीके ही कारगर हथियार साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से टीकों की अचानक से किल्लत देखने को मिली है, उससे भी टीकाकरण अभियान को धक्का लगा है।

कोरोना की दस्तक के बाद से ही कई देश टीके तैयार करने में जुट गए थे। रूस भी उन देशों में शुमार था जिसने सबसे पहले टीका बना लेने का दावा किया था। उसने पिछले साल अगस्त में ही इसे अपने यहां लगाना शुरू कर दिया था। भारत में इस टीके के चिकित्सकीय परीक्षण और वितरण के लिए देश की दवा कंपनी डॉ रेड्डीज लैब ने पिछले साल सितंबर में रशियन डायरेट इन्वेस्टमेंट फंड के साथ भागीदारी शुरू की थी और डेढ़ हजार स्वयंसेवियों पर तीसरे चरण का परीक्षण किया। स्पूतनिक टीके को लेकर उम्मीदें इसलिए भी ज्यादा हैं कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड के मुकाबले इसके ज्यादा असरदार होने का दावा किया जा रहा है।

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