Vikas Dubey Encounter : कानून के शिकंजे में विकास दुबे

6 दिन तक पुलिस को छकाने के बाद कानपुर कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे को मध्यप्रदेश की पुलिस ने उज्जैन से धर लिया, पूरे घटनाक्रम में यह साफ हो गया है कि पुलिस विभाग में बैठे कुछ लोग विकास को बचा रहे थे
Vikas Dubey Encounter 10 July
Vikas Dubey Encounter 10 JulySocial Media

Vikas Dubey Encounter : 6 दिन तक पुलिस-खुफिया तंत्र को छकाने के बाद कानपुर हत्याकांड के आरोपी विकास दुबे को मध्यप्रदेश की पुलिस ने उज्जैन से धर लिया। विकास गुरुवार सुबह महाकाल मंदिर में दर्शन करने पहुंचा था। विकास पर 5 लाख रुपए का इनाम घोषित किया गया था। हत्याकांड के बाद कभी उसकी लोकेशन कानपुर तो कभी दिल्ली और कभी फरीदाबाद में मिल रही थी। वह पुलिस को लगातार चकमा दे रहा था। मगर आज उसकी यह फितरत काम नहीं आई। उसे पकडऩे के लिए 10 राज्यों की पुलिस लगी थी। इस बात के संकेत पहले से ही मिल रहे थे कि विकास मप्र में छिपा हो सकता है। इसे लेकर प्रदेश में अलर्ट जारी किया गया था। विकास कितना शातिर है, यह उसके सामने आने के बाद पता चल गया। एनकाउंटर से बचने के लिए उसने चिल्ला-चिल्लाकर कहा कि वह ही विकास दुबे है कानपुर वाला। दरअसल, विकास को अंदेशा था कि अगर वह पुलिस के हाथ आया तो मारा जाएगा।

अब जबकि विकास पुलिस के हाथ आ गया है, तो उसे करतूत की सजा तो भुगतनी होगी, इससे पहले पुलिस मददगारों के राज खुलवाएगी। यह अकेले विकास के बूते की बात नहीं है कि वह 8 पुलिस वालों की हत्या कर दे और फिर एक राज्य से दूसरे राज्य पहुंच जाए। वह आसानी से लोकेशन बदलता रहा और ख़ुफ़िया तंत्र देखता रहा। इस पूरे घटनाक्रम में यह साफ हो गया है कि पुलिस विभाग में बैठे कुछ लोग विकास के खास हैं और उनसे मिल रही सूचना के आधार पर ही वह 6 दिन से बचता रहा। अब विकास हाथ आया है तो उसे सजा देने के साथ पुलिस विभाग में व्याप्त गंदगी को भी साफ करना जरूरी है। पुलिस जब तक विकास जैसे अपराधियों को संरक्षण देती रहेगी, तब तक न्याय का तकाजा अधूरा रहेगा। वैसे, इस मामले में सिर्फ खाकी दोषी है ऐसा नहीं है। खादी का भी रोल कम नहीं है। विकास को पालने-पोषने में किसी दल ने कसर नहीं छोड़ी। सपा हो, बसपा हो या अब भाजपा सभी ने सहारा दिया। आतंक फैलाने का हौसला दिया। आज पक्ष और विपक्ष दोनों तेवर दिखा रहे हों, मगर अंदरखाने में सभी के दामन में दाग हैं। अकेले विकास नहीं, ऐसे कई अपराधी हैं, जिन्हें खाकी और खादी का पूरा संरक्षण मिला।

उ.प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने तो स्वीकार किया है कि विकास दुबे जैसे लोग पुलिस, राजनीति और अपराध की मिलीभगत से पैदा होते हैं और आगे चलकर अपराध की अपनी दुनिया कायम करते हैं। विकास दुबे खाकी, खादी और अपराध के मिश्रण की सबसे नग्न मिसाल है। विकास को हमेशा राजनीतिक संरक्षण मिलता गया और उसका अपराध बढ़ता गया। कानपुर की घटना इसी जुगलबंदी का नतीजा है। जहां निर्दोष और जांबाज पुलिसकर्मियों को शहादत देनी पड़ी। काश! विकास दुबे जैसे अपराधी पर पहले ही शिकंजा कस गया होता तो आज यह दिन नहीं देखने पड़ते। उम्मीद है कि अब हालात बदलेंगे और अपराधियों के हौसले पस्त होंगे।

कानपुर के बिकरू गांव में सीओ सहित आठ पुलिस वालों की हत्या करने वाले पांच लाख का इनामी विकास दुबे एनकाउंटर में ढेर हो गया है। एसटीएफ गाड़ी उसे कानपुर ला रही थी। इस दौरान गाड़ी पलट गई। उसने हथियार छीनकर भागने की कोशिश की। जिसके बाद पुलिस ने उसे मुठभेड़ में मार गिराया है। कल ही विकास दुबे उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर से गिरफ्तार किया गया था। वारदात के बाद से फरार विकास यूपी, दिल्ली, हरियाणा और मध्य प्रदेश पुलिस को चकमा देकर दर्शन करने मंदिर पहुंचा था। गिरफ्तारी के बाद विकास से पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में दो घंटे से ज्यादा पूछताछ की गई थी।

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