पेट्रोल,डीज़ल और रसोई गैस की कीमत क्यों बढ़ी सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं

कोरोना से जूझ रही जनता को महंगाई ने बेहाल कर दिया है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों से सभी परेशान हैं। हालांकि, अब सरकार की तरफ से संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही कीमतों में कमी की जा सकती है।
पेट्रोल,डीज़ल और रसोई गैस की कीमत क्यों बढ़ी सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं
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पिछले कुछ समय से पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के मूल्यों में लगातार बढ़ोतरी की वजह से यह चिंता गहरी होती जा रही है कि अगर महंगाई इसी तरह बेलगाम रही तो कुछ समय बाद आम लोगों के सामने गुजारा करने के कितने विकल्प बचेंगे! देश के कई शहरों में पेट्रोल के दाम जहां लगभग सौ रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गए हैं, वहीं डीजल भी 80 रुपए प्रति लीटर से ज्यादा के भाव पर बिक रहा है। इसके अलावा, बीते महज दो माह के भीतर रसोई गैस के एक सिलेंडर की कीमत में दो सौ रुपए का उछाल आ चुका है। हर कुछ रोज बाद इनके भाव में जैसी तेजी आ रही है, उसे देखते हुए फिलहाल इसमें स्थिरता की उम्मीद नहीं बन रही है। सवाल है कि जिस दौर में लोग पहले ही गिरती आमदनी के बरक्स बढ़ती महंगाई से परेशान हैं, उसमें क्या सरकार के हाथ से सब छूटता जा रहा है और वह महंगाई पर रोक लगाने में सक्षम नहीं है!

जब सवाल उठते हैं तब सरकार की दलील होती है कि तेल की कीमतों पर लगाम लगाना उसके हाथ में नहीं है और कीमत अंतरराष्ट्रीय भाव के मुताबिक घटती-बढ़ती हैं। मगर जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें मध्यम स्तर पर बनी हैं, तब भी देश में पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के भाव आसमान क्यों छू रहे हैं? फिर जब कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में काफी उतार देखा गया था, तब भी या उससे राहत देश के आम लोगों को मिल सकी? यह किसी से छिपा नहीं है कि डीजल के मूल्यों में बढ़ोतरी का सीधा असर बाजार में मौजूद लगभग सभी वस्तुओं पर पड़ता है। दरअसल, वस्तुओं की आपूर्ति आमतौर पर डीजल-चालित वाहनों पर निर्भर होती है और डीजल के दाम में बढ़ोतरी के साथ माल ढुलाई भी बढ़ती है, जिसके असर में खुदरा वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं। पिछले करीब साल भर से महामारी की मार के चलते बाजार से लेकर रोजगार के तमाम क्षेत्रों की हालत किसी से छिपी नहीं है।

हालत यह है कि लोगों की आमदनी तो घट या फिर ठहर गई है, लेकिन अमूमन हर वस्तु के मूल्य में बढ़ोतरी के साथ उनके खर्चे भी बढ़ गए हैं। महामारी के संक्रमण की रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी छिन गई और सब कुछ बंद रहने की वजह से आय का भी कोई जरिया नहीं रहा था। उसके बाद क्रमश: ढिलाई के साथ हालात सामान्य होने की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन अब भी यह नहीं कहा जा सकता है कि सब कुछ पहले जैसा हो गया है। सच यह है कि भारत में साधारण परिवारों में छोटे स्तर पर की जाने वाली घरेलू बचतों की प्रवत्ति के चलते लोग कुछ समय तक अभाव का सामना कर लेते हैं। लेकिन अगर स्थिति में निरंतरता बनी रहे तो बहुत दिनों तक लोग खुद को नहीं संभाल सकते। हालांकि अब सरकार की तरफ से खबर आ रही है कि अगले कुछ दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम होने के संकेत मिल रहे हैं, लेकिन इस सवाल का जवाब सरकार के पास नहीं है कि कीमतें बढ़ी क्यों?

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