क्रिकेट, नेपोटिज्म, भारत और विदेश

"अचरज तो तब होता है जब मांजरेकर की तुलना में रोहन गावस्कर को कमेंट्री पेनल में तरजीह दी जा रही हो।"
क्रिकेट का Nepotism.
क्रिकेट का Nepotism.Syed Dabeer Hussain - RE

हाइलाइट्स –

  • क्रिकेट का Nepotism

  • युवाओं का मारा जा रहा हक

  • रोहन गावस्कर को तरजीह क्यों?

  • मांजरेकर मांग चुके हैं BCCI से माफी

राज एक्सप्रेस। भारत में सुशांत सिंह राजपूत की दुःखद मृत्यु के बाद से बॉलीवुड में नेपोटिज्म यानी भाई-भतीजावाद की चर्चा सरगर्म है। इंटरनेशनल क्रिकेट भी इससे अछूता नहीं! विदेशों में भी ऐसे कुटिल प्रयास होते हैं, लेकिन भारत से अधिक सार्थक।

दादा ले पोता बरते -

यूज़ एंड थ्रो के इस आधुनिक युग से पहले एक दौर था जब दुनिया खरीद-फरोख्त के मामले में दादा ले पोता बरते वाली कहावत पर अमल करती थी। मतलब लोग ऐसी चीज खरीदते थे जो विश्वसनीय हो और जिसे अगली पीढ़ियां उपयोग कर सकें। मसलन दादा की खरीदी कोई चीज को पोता इस्तेमाल करे।

उठा ली मतलब की चीज –

आगे चलकर मतलबी स्वार्थी लोगों ने इस कहावत के सार्थक पहलू को नजरअंदाज कर मतलब की चीज यानी किसी पद, हैसियत या रसूख पर दादा के बाद पोते, परपोते तक के कब्जे वाली चीज को अपना लिया।

हीरो का हीरो, क्रिकेटर का क्रिकेटर! –

बात ही कुछ ऐसी है। भारत में सुपर सितारा फिल्म कलाकार के औसत से भी निचले दर्जे के कथित कलाकार रिश्ते-नातेदार किसी तरह फिल्मों में आ ही जाते हैं। इसी तरह क्रिकेट में भी भाई-भतीजावाद के आरोप लगते रहे हैं।

नजर भारत के इन नामों पर –

भारत में दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर हों, सुनील गावस्कर या फिर रोजर बिन्नी इन सभी के पुत्र कम प्रतिभा के बावजूद सितारा हैसियत जीते हैं। अब ऐसे में प्रतिभावान दूसरे युवा खिलाड़ियों का हक छिनना स्वभाविक है।

सचिन के अर्जुन –

जब बात रिकॉर्डधारी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के परिवार की हो तो फिर कौन टांग अड़ाएगा। क्रिकेट में सचिन का औसत गुणी बेटा अर्जुन तेंदुलकर गाहे-बगाहे जितनी सुर्खियां बटोरता रहता है, उतनी भारत के आम परिवारों के होनहार, उदीयमान युवा क्रिकेटर्स को नहीं मिल पाती।

अपेक्षाकृत कम प्रतिभा वाले अर्जुन तेंदुलकर मैरिलबोन क्रिकेट क्लब, मुंबई अंडर 14, 16 और 19 का हिस्सा बनते रहे हैं। इनको बॉलिंग ऑल राउंडर बताया जाता है।

पिता के कारण अर्जुन को लक्ष्य भेदने की महारत का ज्ञान जहीर खान, डब्ल्यू वी रामन जैसे भारत के दिग्गज सितारा खिलाड़ियों से मिलता है।

बड़े नाम से जुड़े होने के कारण इनको नामी प्रैक्टिस सेशंस में बेधड़क एंट्री भी मिलती रहती है। ऐसे में संभव है धीरूभाई इंटरनेशनल स्कूल में पले-बढ़े अर्जुन किसी दिन भारतीय टीम का भी हिस्सा बन जाएं।

गावस्कर के रोहन -

भूतपूर्व क्रिकेटर और मौजूदा कमंटेटर सुनील गावस्कर को ही ले लीजिये, औसत दर्जे का खिलाड़ी इनका बेटा न केवल अंतर राष्ट्रीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बना और असफल प्रदर्शन किया बल्कि अब कमेंट्री पैनल में जबरिया मुकाम बना रहा है।

अचरज तो तब होता है जब मांजरेकर की तुलना में रोहन गावस्कर को कमेंट्री पेनल में तरजीह दी जा रही हो, जबकि वो अपने विचारों के लिए बीसीसीआई से माफी भी मांग चुके हों।

गौरतलब है कि यूनाइटेड अरब अमीरात में प्रस्तावित इंडियन प्रीमियर लीग की कमेंट्री पैनल में भी संजय मांजरेकर को शामिल नहीं किया गया।

हालांकि रोहन गावस्कर जरूर कमेंट्री पेनल में चुन लिए गए। रोहन का चुनाव कैसे और किस प्रतिभा के आधार पर हुआ यह जरूर क्रिकेट में नेपोटिज्म की बहस का आधार हो सकता है।

बिन्नी का लाड़ला – भारत की विश्वकप विजेता टीम के सदस्य मध्यम तेज गति के गेंदबाज रोजर बिन्नी के लाड़ले स्टुअर्ट बिन्नी को बतौर ऑल राउंडर भारतीय क्रिकेट टीम में चुना तो गया लेकिन गाड़ी लंबी नहीं खिंच पाई।

हालांकि इनकी पत्नी मयंती लैंगर जरूर बतौर टीवी होस्ट एवं एंकर क्रिकेट जगत में नाम कमा रही हैं।

बात विदेशियों की –

क्रिस ब्रॉड और स्टुअर्ट ब्रॉड, पीटर पोलक और शॉन पोलक, मिकी स्टीवर्ट और एलेक स्टीवर्ट, ज्योफ मार्श और उनके बेटों शॉन मार्श और मिच मार्श जैसे प्रसिद्ध पिता-पुत्र की जोड़ी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश का प्रतिनिधित्व किया है।

ये सभी वे नाम हैं जो क्रिकेट की दुनिया में कहीं से भी ठूंसे-ठुंसाये नजर नहीं आते। इन नामों के अलावा और भी कई नाम हैं जिनके पदार्पण का अंतर राष्ट्रीय क्रिकेट में प्रशंसकों को बेसब्री से इंतजार है। जरा इन नामों पर गौर फरमाएं-

जैक लेहमैन – बात करें पूर्व ऑस्ट्रेलियाई ऑल राउंडर डैरेन लेहमैन के बेटे जैक लेहमैन की तो वो प्रतिभा से भरपूर हैं। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दोहरा शतक लगा चुके हैं लेकिन इसके बावजूद उनको एशेज सीरीज में कम अनुभव के कारण स्थान नहीं मिल पाया। जल्द ही इन को ग्रीन बैगी में देखा जा सकता है।

थांडो नतिनी – अपने पिता मखाया नतिनी की ही तरह दाएं हाथ के तेज गति के गेंदबाज का चयन दक्षिण अफ्रीका की 19 साल से कम उम्र की वर्ल्ड कप टीम के लिए हुआ। इस युवा क्रिकेटर ने 8 युवा वन डे मैचों में 10 विकेट लिए हैं।

साथ ही थांडो को पिता मखाया का उत्तराधिकारी उनके प्रदर्शन के आधार पर बताया जा रहा है। हालांकि इनका प्रदर्शन अभी आना बाकी है।

ऑस्टिन वॉग – ऑस्ट्रेलिया के सफल कप्तानों में से एक स्टीव वॉग के बेटे ऑस्टिन से भी क्रिकेट फैंस को उनके पिता की ही तरह तरक्की की आस है। ऑलराउंडर यह क्रिकेटर गेंद और बल्ले से अपनी उपयोगिता साबित कर चुका है जल्द ही इसे ऑस्ट्रेलियन टीम में देखा जा सकता है।

क्या कहना है आपका कितना भाई-भतीजावाद है क्रिकेट में? क्या कोई भारतीय क्रिकेट में इस बुरी प्रथा के बारे में कहेगा? अरे हां बताना भूल गया, बीसीसीआई प्रशासन में अब तो नेता पुत्र की भी एंट्री हो चुकी है, जिनका कार्यकाल पूरा भी हो चुका है लेकिन मामला कोर्ट में है! कितना कल्याण होगा जग जाहिर है!

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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