हाइलाइट्स :
सवाल का जवाब देने यूज़र्स के बीच मची जंग
स्पेशल ट्वीट पर सोशल वर्ल्ड में हो रही चर्चा
जब नाम जानेंगे तो चौंके बिना नहीं रहेंगे आप
राज एक्सप्रेस। मेरा पहला विकेट फर्स्ट क्लास डेब्यू में सचिन तेंदुलकर का था। मेरा पहला विकेट टेस्ट डेब्यू में भी सचिन तेंदुलकर ही रहे। मेरे एकमात्र टेस्ट मैच करियर में एकमात्र विकेट सचिन तेंदुलकर हैं। मैं कौन हूं। इस सवाल की गुत्थी को हल करने सोशल मीडिया यूज़र्स के बीच गुत्थमगुत्थी हो रही है। बात अपशब्दों तक जा पहुंची है।
सबकी उधेड़ी बखिया-
दरअसल क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले भारतीय बल्लेबाज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के नाम का ही जलवा रहा कि, वे जिस मैदान में उतरे नाम और शान का दबदबा हमेशा बरकरार रहा। शोएब अख्तर की रफ्तार पर हमला बोला, जबकि मैक्ग्राथ और शेन वॉर्न जैसे दिग्गज गेंदबाजों की टीम से लैस ऑस्ट्रेलियाई टीम की भी बखिया उधेड़ने से नहीं चूके।
नवोदित की चर्चा लाज़िमी-
कई गेंदबाजों ने तो सचिन तेंदुलकर के सपने रात में भी आने की बात मीडिया के सामने स्वीकारी। इतने बड़े नाम का विकेट लेने का सपना विपक्षी गेंदबाज अकसर देखा करते थे। अब रिकॉर्डों के सरदार सचिन तेंदुलकर का विकेट किसी नवोदित क्रिकेटर को मिल जाए, तो उसके नाम की चर्चा होनी लाज़िमी है।
ऑप्शन में इनके नाम-
ऐसे ही सवाल से जुड़ा सवाल ट्विटर पर जमकर ट्रेंड हो रहा है। पूछे गए सवाल में चार ऑप्शन भी दिए गए हैं। जिसमें गेंदबाज के हवाले से सचिन तेंदुलकर को आउट करने का सवाल पूछा गया है। हू आई एम? जो चार नाम दर्ज हैं, उनमें नजमुल हुसैन, उजेश रणछोड़, रंजन दास, गैरी क्रॉकर के नाम दर्शाए गए हैं। द क्रिकेट मंथली के इस ट्वीट को ईएसपीएनक्रिकइन्फो के ठिकाने से रीट्वीट किया गया है, जिस पर जमकर सवाल-जवाब हो रहे हैं।
नाम-पता-ठिकाना-
यदि आपको इस एकमात्र होनहार का नाम, अता, पता नहीं मालूम तो हम लाए हैं इस बारे में पूरी पड़ताल। कि कब किस गेंदबाज के जीवन में ये रोचक पल गुजरा। जी हां ज़िम्बाब्वे के राइट आर्म ऑफब्रेक गेंदबाज उजेश रणछोड़ को ये मौका मिला है।
फिर लग गया विराम-
साल 1993 में उजेश की झोली में फर्स्ट क्लास और पदार्पण टेस्ट मैच में और किसी का नहीं बल्कि सचिन तेंदुलकर का विकेट आ गिरा। क्रिकेट का रण छोड़ने के पहले खेले गए रणछोड़ के एकमात्र टेस्ट मैच करियर में यही एकमात्र विकेट की उपलब्धि दर्ज हो पाई। इसके बाद रणछोड़ ने कभी दूसरा टेस्ट मैच नहीं खेला।
अब जब सवाल-जवाबों का दौर चल ही रहा है, तो आप भी लीजिये रायशुमारी का आनंद कि, किसने अपने कमेंट में क्या जवाब दिया।
कुल इतने मैचों का करियर-
सॉल्सबरी में 17 मार्च 1969 को जन्में ज़िम्बाब्वे के क्रिकेटर उजेश रणछोड़ अब 50 वर्ष के हो चुके हैं। राइट हैंड के इस बल्लेबाज और राइट आर्म ऑफब्रेक गेंदबाज ने साल 1993 में भारत के खिलाफ अरुण जेटली मैदान में करियर का एकमात्र टेस्ट मैच खेला।
दोनों पारियों में इतने रन-
टेस्ट मैच की दोनों पारियों में तो वो मात्र 8 रन ही बना पाए जिसमें सर्वाधिक बल्लेबाजी प्रदर्शन 7 रन रहा। वो बल्लेबाजी में 29 गेंदों का सामना कर पाए, जिसमें एक चौका उन्होंने लगाया।
ऐसे किया आउट-
जबकि टेस्ट मैच की एक पारी में उन्होंने 72 गेदों पर 45 रन खर्च कर सचिन तेंदुलकर का विकेट झटका। गेंदबाजी में उनके करियर की यही एकमात्र सफल उपलब्धि रही, क्योंकि उसके बाद रणछोड़ दूसरा टेस्ट मैच अपने क्रिकेट करियर में नहीं खेल पाए। साल 1993 में दिल्ली में हुए मैच में जब तेंदुलकर 114 गेंदों पर 62 रनों के निजी स्कोर पर थे तब रणछोड़ की गेंद पर ट्राइकोस ने उनका कैच पकड़ लिया।
ऐसा था स्पेल-
इस एकमात्र टेस्ट मैच में उजेस रणछोड़ ने 12 ओवर्स में 45 रन खर्च कर 3.75 की इकोनॉमी से गेंदबाजी की और तेंदुलकर का विकेट हासिल किया। वनडे करियर में उन्होंने 3 मैचों की 3 पारियों में 174 गेंदों पर 130 रन खर्च कर कुल एक जमा विकेट ही हासिल किया। ज़िम्बॉब्वे और न्यूज़ीलैंड के बीच साल 1992 में हुए दूसरे वनडे मैच में रणछोड ने रॉड लैथम का विकेट झटका। इस मैच में उनका गेंदबाजी विश्लेषण 10 ओवर्स में 1 मैडन 44 रन और 1 विकेट रहा।
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