तो क्या पंत को नहीं सुधार पाए अनुभवी मोरे?

“BCCI अध्यक्ष और पूर्व परिपक्व कप्तान सौरव गांगुली भी अपरिपक्व पंत को शानदार खिलाड़ी बता रहे हैं। एक तरह से मैनेजमेंट पंत को टीम में बरकरार रखने और दर्शकों से पंत का मनोबल न गिराने की बात कह रहा है।”
तो क्या पंत को नहीं सुधार पाए अनुभवी मोरे?
तो क्या पंत को नहीं सुधार पाए अनुभवी मोरे?Social Media

हाइलाइट्स :

  • फिर मोरे ने पंत को क्या सिखाया?

  • पंत पर सीनियर सिलेक्टर प्रसाद क्यों फिदा?

  • कोहली, शास्त्री, प्रसाद, गांगुली क्यों पंत पर मेहरबान?

  • आधा दर्जन से अधिक विकेट कीपर्स को क्यों नहीं मौका?

  • विकेटकीपिंग सुधारने रखेंगे स्पेशल कोच–प्रसाद

राज एक्सप्रेस। इन दिनों भारतीय क्रिकेट टीम में लगता है, खास जाने-माने वालों की पौ-बारह है! बतौर विकेटकीपर टीम में जारी ऋषभ पंत को देखकर ऐसी मेरी नहीं तमाम सोशल मीडिया क्रिकेट एक्सपर्ट्स की भी यही राय है। एक के बाद एक बतौर तोहफा मिल रहे तमाम मौकों के बावजूद पंत चल नहीं रहे, सिलेक्टर्स हैं कि, टीम से उनको निकाल ही नहीं रहे? जबकि और कोई होता, तो कब का टीम से चलता बनता।

पंत-प्रसाद और बचाव-

सीनियर क्रिकेट चयन समिति अध्यक्ष एवं खुद भूतपूर्व विकेटकीपर मन्नावा श्री-कांत प्रसाद (एमएसके प्रसाद) (6 टेस्ट/ 17ODI) फिर एक बार विकेटकीपिंग/बल्ले से संघर्ष कर रहे ऋषभ पंत का बचाव करते नज़र आए।

बकौल प्रसाद- “ऋषभ पंत की विकेटकीपिंग सुधारने अब हम उनके लिए विशेषज्ञ विकेटकीपिंग कोच रखेंगे।“

प्रसाद के इस कमेंट के बाद सवाल उठ रहे हैं कि, फिर एक और भूतपूर्व विकेटकीपर किरण मोरे ने इतने दिन, चहेते होनहार बीरवान ऋषभ पंत के विकेट के पीछे दस्तानों में खोट की समस्या के सुधार की दिशा में क्या किया? क्योंकि इसके पहले हवाला तो यही दिया जा रहा था कि, पंत अपनी विकेटकीपिंग की समस्या में सुधार के लिए पूर्व भारतीय विकेटकीपर किरण मोरे की देखरेख में काम कर रहे हैं।

श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया से होने वाली आगामी सीरीज़ के सिलेक्शन इवेंट पर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा, "पंत को अपनी विकेटकीपिंग में सुधार करना होगा। हम उनके लिए विशेषज्ञ विकेटकीपिंग कोच रखेंगे।"

सिलेक्शन प्रक्रिया पर सवाल-

अखिल भारतीय सीनियर क्रिकेट चयन समिति के अध्यक्ष एमएसके प्रसाद का यह बयान क्रिकेट फैंस को रास नहीं आ रहा और उन्होंने पंत और सिलेक्शन प्रक्रिया को आड़े हाथ लिया। वेस्टइंडीज के खिलाफ थर्ड वनडे मैच में पंत ने आदत बतौर कई कैच टपकाए, जिसके बाद वह और उनका सिलेक्शन फिर आलोचकों के निशाने पर आ गया है।

कितने शानदार हैं पंत?-

युवा विकेटकीपर को नया कहना अब गलत होगा, क्योंकि इंटरनेशनल लेवल पर एक मौका ही क्रिकेट करियर तय कर सकता है। तमाम मौकों के बावजूद ऋषभ पंत बल्ले, तो क्या दस्तानों तक से कुछ खास नहीं कर पाए हैं। इसके बावजूद उनको टीम मैनेजमेंट का न केवल पूरा साथ मिल रहा है, बल्कि पक्ष लेते हुए पंत पर विशेष ध्यान तक देने की बात मैनेजमेंट कर रहा है।

विकेटकीपर्स हिस्ट्री-

आपको पता ही होगा भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सैयद किरमानी, किरण मोरे, चंद्रकांत पंडित जैसे सफल विकेट कीपर्स के बाद ऐसा भी दौर आया जब टीम विकेटकीपर्स के लिए तरसती नजर आई थी। उस दौर में कप्तानों ने बल्लेबाजों को दस्ताने थमाए और कीपिंग करने कहा। खुद राहुल द्रविण तक ने विकेट के पीछे खड़े होकर टीम में अपनी पोजीशन बरकरार रखी।

धोनी की जगह-

तमाम प्रयोगों के बाद जब टीम में महेंद्र सिंह धोनी का उदय हुआ, तो टीम इंडिया ने क्रिकेट के हर फॉरमेट में अपना परचम लहराया। ऐसे में टीम के तमाम कर्ताधर्ताओँ द्वारा न्यू टीम इंडिया को नई ऊंचाई देने वाले पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का विकल्प बताए जा रहे पंत की नादानी भरी बात समझ से परे है। जो मैनेजमेंट विकेटकीपर्स की परेशानी को भोग और धोनी युग में टीम की बादशाहत के युग को न केवल देख चुका है, बल्कि अब एक तरीके से कैश भी कर रहा है, उसका ऐसा कहना समझ से परे है।

धोनी के नारे-

बांग्लादेश और वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज़ में पंत के लचर प्रदर्शन के कारण दर्शक पंत और मैनेजमेंट को हूट करते दिख चुके हैं। ऐसे में कप्तान विराट कोहली ने हालांकि धोनी की पैरवी तो की लेकिन पंत का बचाव भी किया। बीसीसीआई अध्यक्ष और पूर्व परिपक्व कप्तान सौरव गांगुली भी अपरिपक्व पंत को शानदार खिलाड़ी बता रहे हैं। एक तरह से मैनेजमेंट पंत को टीम में बरकरार रखने और दर्शकों से पंत का मनोबल न गिराने की बात कह रहा है।

विकेटकीपर्स से जुड़ा ये आर्टिकल पढ़ें- राज एक्सप्रेस

हम भी राह में-

धोनी के टीम से रिटायरमेंट की बातें तब जोर पकड़ रही हैं, जब टीम के पास कोई एक्सपर्ट विकेटकीपर धणी-धोरी नहीं? बैंच स्ट्रेंग्थ बताए जा रहे, ऋद्धिमान साहा धोनी वटवृक्ष के तले पनप नहीं पाए जबकि, नई फौज की यदि बात की जाए तो संजू सैमसन, ईशान कुमार, हार्दिक देसाई, अंकुश बैंस ये वो युवा चेहरे हैं, जिनको उनकी प्रतिभा के बावजूद पंत के मुकाबले टीम में तरजीह नहीं दी जा रही।

चुनते तो हैं खिलाते नहीं-

इनमें से सैमसन को गाहे-बगाहे टीम में चुना तो गया, लेकिन उनको फाइनल इलेवन में कम ही मौका मिल पाया। घरेलू क्रिकेट में सैमसन ने डबल सैंचुरी से लेकर विकेटकीपिंग में शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन मैनेजमेंट को वे पंत के मुकाबले कम प्रतिभाशाली नज़र आ रहे हैं।

काम चलाऊ से काम-

यदि पुराने दिनों की तरह ही बल्लेबाजों से विकेटकीपिंग कराकर अतिरिक्त बल्लेबाज को टीम में लाने की परंपरा की ही बात की जाए, तो फिर टीम में केएल राहुल को ये जिम्मा सौंपा जा सकता है। ऐसे में उनके दस्तानों की भी काबलियत का पता चल सकेगा। टीम में स्थाई मैंबर बनने की आस लगाए बैठे बार-बार टीम से अंदर-बाहर किए जाने वाले श्रेयस अय्यर इस मामले में ज्यादा कारगर हो सकते हैं, क्योंकि बल्ले और क्षेत्ररक्षण के मामले में उन्होंने अपनी चुस्ती से सभी को कायल किया है।

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