BCCI रेस में गांगुली से कैसे पिछड़े पटेल, क्या है कूलिंग ऑफ?

फैंस दृढ़ निश्चयी दादा से टेस्ट मैच की तरह लंबी पारी की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन बतौर BCCI अध्यक्ष उनका करार उस फिसल पट्टी की तरह है जिस पर बैठते ही वो टी20 क्रिकेट मैच की तरह फटाफट समाप्त हो जाएगा।
Sourav Ganguly- Brijesh Patel
Sourav Ganguly- Brijesh PatelKavita Singh Rathore -RE

हाइलाइट्स :

  • कैसे माना ठाकुर-श्रीनिवासन खेमा?

  • मात्र 9 माह के लिए आखिर क्यों मान गए गांगुली?

  • BCCI की 39वीं प्रेसिडेंट चयन प्रक्रिया में कितना अहम रहा 11वां घंटा?

राज एक्सप्रेस। बेशक पूर्व भारतीय कप्तान के भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) में अध्यक्ष पद निर्वाचन पर किसी को शक नहीं। लेकिन इस निर्विरोध इलेक्शन के बाद कुछ सवाल भी उठ रहे हैं कि, आखिर किस वजह से गांगुली (Sourav Ganguly) ने मात्र 9 माह का संक्षिप्त कार्यकाल चुना? क्यों इसके पहले तक BCCI प्रेसिडेंट की रेस में आगे बताए जा रहे बृजेश पटेल घोषणा के पूर्व 11वें घंटे के बाद तस्वीर में से एकाएक बाहर हो गए?

बेशक पूर्व भारतीय कप्तान के भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) में अध्यक्ष पद निर्वाचन पर किसी को शक नहीं। लेकिन इस निर्विरोध इलेक्शन के बाद कुछ सवाल भी उठ रहे हैं कि आखिर किस वजह से गांगुली ने मात्र 9 माह का संक्षिप्त कार्यकाल चुना? क्यों इसके पहले तक BCCI प्रेसिडेंट की रेस में आगे बताए जा रहे बृजेश पटेल घोषणा के पूर्व 11वें घंटे के बाद तस्वीर में से एकाएक बाहर हो गए?

दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड में मशहूर BCCI के 39वें अध्यक्ष की घोषणा पर दुनिया भर की निगाहें थी। मुंबई में सालाना जनरल मीटिंग में अनाउंसमेंट के पहले तक खेल जगत की सुर्खियों में इस ताज के लिए बृजेश पटेल का नाम आगे चल रहा था।

CoA नियुक्तियों का क्या?

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स (CoA) का दायित्व BCCI के नए रूल के मुताबिक गांगुली के पदभार ग्रहण करने के बाद स्वतः समाप्त हो जाता है। गौरतलब है कि BCCI के अध्यक्ष पद पर पूर्व कैब अध्यक्ष सौरव गांगुली, सचिव पद के लिए यूनियन होम मिनिस्टर अमित शाह के पुत्र जय शाह निर्विरोध निर्वाचित हुए।

BCCI के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के छोटे भाई अरुण धूमल को कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया। जबकि केरल के जयेश जॉर्ज को ज्वाइंट सेक्रेटरी बनाया गया। उत्तराखंड के माहिम वर्मा वाइस प्रेसिडेंट रहेंगे।

AGM और 11वें घंटे का ड्रामा :

मुंबई में आयोजित अपेक्स बॉडी की एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) में गांगुली के नाम पर BCCI के अध्यक्ष पद की मुहर लग गई। अक्टूबर महीने की शुरुआत में मीटिंग के 11वें घंटे के ड्रामे के बाद गांगुली ने BCCI के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन पत्र भरा था।

नया रोल तरीका पुराना :

चर्चाओँ के मुताबिक BCCI में गांगुली की एंट्री को उनकी क्रिकेट जगत में एंट्री की ही तरह माना जा सकता है। कहा जाता है साल 1996 में जारी इंग्लैंड टूर के बीच में सौरव गांगुली ने अनौपचारिक ईस्ट जोन कोटा के जरिए बतौर बल्लेबाज पदार्पण किया था। हालांकि लॉर्ड्स में अपने टेस्ट पदार्पण मैच में ही सैंचुरी जमाकर गांगुली ने सारी चर्चाओं पर विराम भी लगा दिया था।

धोया फिक्सिंग का कलंक :

वर्ष 2000 में जब भारत क्रिकेट मैच फिक्सिंग विवादों से जूझ रहा था तब गांगुली ने अपनी कप्तानी के बूते भारतीय क्रिकेट को अप्रतिम ऊंचाई देते हुए क्रिकेट फैंस के बीच भारतीय क्रिकेट के लिए दोबारा भरोसा कायम किया। अब BCCI के अध्यक्ष के रूप में सौरव गांगुली का नया इम्तिहान शुरू हो गया है।

निराशा ये भी :

क्रिकेट फैंस दृढ़ निश्चयी दादा से टेस्ट मैच की तरह लंबी पारी की उम्मीद कर रहे थे लेकिन इस बार बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर उनका करार उस फिसल पट्टी की तरह है जिस पर बैठते ही वो टी20 क्रिकेट मैच की ही तरह फटाफट समाप्त भी होने वाला है।

गांगुली से ऐसे पिछड़े पटेल :

AGM के पहले तक बृजेश पटेल BCCI प्रेसिडेंट की रेस में आगे चल रहे थे। लेकिन मीटिंग में 11वें घंटे के बाद एकाएक कैब प्रेसिडेंट का नाम सर्वसम्मति से घोषित कर दिया गया। बृजेश पटेल के पास क्रिकेट प्रशासकीय कामकाज का लंबा अनुभव इसकी वजह बताई जा रही थी। वे इसके पहले कर्नाटक क्रिकेट स्टेट एसोसिएशन में कई साल अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इससे भी खास वजह ये थी कि उनको कभी BCCI में बड़ा नाम रहे एन श्रीनिवासन का भी सपोर्ट था। लेकिन पटेल और श्रीनिवासन की तुलना में गांगुली ज्यादा ताकतवर निकले।

“सौरव गांगुली और बृजेश पटेल में से किसे BCCI और किसको इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) गवर्निंग काउंसिल अध्यक्ष बनाया जाए इस बारे में देर तक चर्चा हुई।“

राजीव शुक्ला, पूर्व उपाध्यक्ष, बीसीसीआई

राजीव शुक्ला ने तो वोटिंग पैटर्न के बारे में हालांकि खुलासा नहीं किया लेकिन मीटिंग में उपस्थित रहे अन्य ऑफिसिअल्स ने दबे स्वर में बताया कि मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर फाइनेंस अनुराग ठाकुर की मौजूदगी से गांगुली का पलड़ा भारी हो गया।

सुर्खियां तो ये भी रहीं कि घोषणा के पहले दक्षिण के अधिकांश संघों के अलावा, पश्चिम और उत्तर की कुछ निकायों के प्रतिनिधियों की श्रीनिवासन के साथ बैठक भी हुई थी, लेकिन बाद में सभी गांगुली के नाम पर सहमत हो गए।

बड़े लक्ष्य समय कम :

सौरव गांगुली के पास इतने बड़े बोर्ड के साथ जुड़कर क्रिकेट की बेहतरी के लिए मात्र 9 महीनों का समय होगा। लेकिन उम्मीद जताई जा रही है वो खुद की पहचान के आभा मंडल की ही तरह सौरव गांगुली करप्शन फ्री क्रिकेट वर्किंग स्ट्रक्चर को स्थापित करने में कामयाब होंगे।

मात्र 9 महीने ?

वो इसलिए क्योंकि 23 अक्टूबर को बीसीसीआई अध्यक्ष का कार्य संभालने के बाद BCCI के नियम-कायदों के मुताबिक सौरव गांगुली को अगले साल 2020 जुलाई में कार्यालय से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेना होगी। BCCI के नए कॉन्स्टीट्यूशन के क्लॉज के मुताबिक छह साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद ‘कूलिंग ऑफ’ पीरियड को अनिवार्य किया गया है।

पिछला अनुबंध :

सौरव गांगुली पिछले पांच सालों से CAB में अध्यक्ष रहे। नए रूल के मुताबिक किसी प्रशासक का कार्यकाल छह साल तक के लिए मान्य है। इस समयावधि के पूरा होने के बाद ‘कूलिंग ऑफ’ की शर्तें प्रभावशील हो जाएंगी।

क्या है कूलिंग ऑफ?

बीसीसीआई के नए संविधान में बतौर प्रशासक छह साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड अनिवार्य कर दिया गया है। इस शर्त के मुताबिक छह साल की समयावधि पूर्ण होने और कूलिंग ऑफ पीरियड शुरू होने के बाद प्रशासक को तीन साल के लिए प्रशासकीय कार्यों से दूर रहना होगा।

इतने दिन दफ्तर से दूर :

मतलब इस रूल के मुताबिक नौ महीनों बाद एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में गांगुली का छह साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में गांगुली कूलिंग ऑफ पीरियड के चलते तीन साल दफ्तर नहीं जा सकेंगे।

"हालांकि अंत में सर्वसम्मति से सौरव गांगुली को प्रेसिडेंट बनाने का निर्णय लिया गया।"

राजीव शुक्ला, पूर्व उपाध्यक्ष, बीसीसीआई

बीसीसीआई अध्यक्ष निर्वाचन प्रक्रिया के बाद गांगुली ने जताई हैरानी :

“रात 10.30 बजे तक मुझे भी इस बारे में (BCCI का अध्यक्ष निर्वाचित होने) पता नहीं था, जब बताया गया तब पता चला।”

सौरव गांगुली

कारण यह भी :

गौरतलब है कि, ठाकुर का क्रिकेट से अब कम लेना-देना है। कमेटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स (CoA) को पूर्व प्रेसिडेंट पसंद नहीं आए। यह भी जगजाहिर है कि श्रीनिवासन कई मामलों में ठाकुर से आंख तक नहीं मिलाते। कहा तो यह भी जा रहा है कि तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन (TNCA) को बीसीसीआई संविधान का पालन न करने के कारण वोटिंग करने की अनुमति नहीं दी गई। इसलिए बीसीसीआई अध्यक्ष चयन में अनौपचारिक रूप से हाथ मिलाकर दोनों ने क्रिकेट की बेहतरी के लिए सक्रियता दिखाई।

मीटिंग में मौजूद रहे अधिकृत सूत्र के मुताबिक ठाकुर और श्रीनिवासन गुट क्रिकेट संचालन के CoA के तरीके से थक चुके थे इसलिए, इस बात पर लड़ाई ज्यादा लंबी नहीं खिंची कि कौन किसके लिए चुनाव लड़ेगा।

भारतीय क्रिकेट में BCCI प्रेसिडेंट और IPL गवर्निंग काउंसिल चेयरमैन दो टॉप पोस्ट हैं। ऐसे में निर्वाचन-चयन प्रक्रिया में गांगुली-पटेल में से एक को एक पद मिला दूसरे को दूसरा।

आईपीएल चेयरमैन की पोस्ट बीसीसीआई प्रेसिडेंट के मुकाबले नाममात्र की है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके अधिकांश एक्ज़ीक्यूटिव कामकाज CoA ने संभाले हैं।

डिनर पर भी चर्चा :

सभा में मौजूद रहे अधिकृत सूत्रों के मुताबिक “राज्य इकाइयों के साथ निर्वाचन पर चर्चा डिनर तक जारी रही। लेकिन गांगुली को अध्यक्ष घोषित होने के पहले तक बीसीसीआई के पूर्व बड़े नेता मामले को लंबा नहीं खींचना चाह रहे थे। बीसीसीआई के पुराने चेहरे ने कहा ‘गांगुली को प्रेसिडेंट बनाओ और तुम (पटेल की ओर इशारा करते हुए) IPL चेयरमैन बन सकते हो। यह मात्र चयन है निर्वाचन नहीं। कुछ समझौता तो होना ही था।“

मात्र 9 माह के लिए क्यों राजी?

BCCI में गांगुली का कार्यकाल मात्र 9 माह के लिए रहेगा। इसके लिए उनको पेशेवर क्रिकेटर के तौर पर किए गए विश्लेषक और स्पोर्ट्स चैनलों के साथ करार को समाप्त करना होगा और नए अनुबंधों से बचना होगा। ऐसे में उनके लिए यह सौदा कितना फायदेमंद है? इस बात पर भी सवाल उठ रहे हैं।

ये भी हो सकता है :

कहा जा रहा है कि, कूलिंग ऑफ पीरियड के बाद गांगुली तीन साल के लिए क्रिकेट के प्रशासनिक कामकाज से दूर रहेंगे ऐसे में बृजेश पटेल की BCCI में एंट्री हो सकती है। इसके बाद गांगुली पश्चिम बंगाल की राजनीति के सहारे पॉलिटिक्स की नई पारी शुरू कर सकते हैं। इस चर्चा को इस बात से भी बल मिल रहा है क्योंकि पश्चिम बंगाल में दादा एक जाना पहचाना नाम हैं और अध्यक्ष पद संभालने के पहले उनकी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात हुई थी।

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