गांगुली-शाह का कद बढ़ेगा या घटेगा, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

"AGM में सुप्रीम कोर्ट के अनिवार्य किये गए प्रशासनिक सुधारों संबंधी नियमों में ढील देने का फैसला भी किया गया था। लेकिन बोर्ड को अपना यह मकसद पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से पहले मंजूरी लेना होगी।"
BCCI ने दाखिल की थी याचिका।
BCCI ने दाखिल की थी याचिका।Social Media

हाइलाइट्स –

  • कार्यकाल से जुड़ा है मामला

  • BCCI ने दाखिल की याचिका

  • बोर्ड ने की कार्यकाल बढ़ाने की मांग

राज एक्सप्रेस। देश-दुनिया के क्रिकेट प्रशंसकों की नजरें आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह से जुड़े मामले पर उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) में सुनवाई होगी।

कार्यकाल की मियाद –

गांगुली का कार्यकाल 27 जुलाई को समाप्त होगा, जबकि तर्क दिया जा रहा है कि जय शाह का कार्यकाल मई माह में खत्म हो चुका है। खुद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने इन दोनों का कार्यकाल आगे बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट (SC) में याचिका दाखिल की हुई है।

इसे पढ़ें - BCCI का अध्यक्ष बनने से गांगुली को कितना फायदा-कितना नुकसान?

पीठ की अध्यक्षता –

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबड़े और एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ में बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (BCCI) की दाखिल याचिका पर सुनवाई होगी।

फैसले पर टिका बहुत कुछ -

सौरभ गांगुली और जय शाह के कार्यकाल का विस्तार होगा या नहीं इस बात पर फैसला आज हो सकता है। इस निर्णय से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के भविष्य की भूमिका भी तय होगी।

बोर्ड संविधान का पेंच –

आपको बता दें दोनों पदाधिकारियों के कार्यकाल का सारा बखेड़ा BCCI के नये संविधान के कारण खड़ा हुआ है। दरअसल बोर्ड के संविधान के मुताबिक राज्य संघ या बोर्ड में छह साल के कार्यकाल के बाद तीन साल की विराम अवधि लेने की अनिवार्यता लागू की गई है।

मिले मात्र 9 महीने –

हालांकि बतौर BCCI प्रेसिडेंट सौरव गांगुली और जय शाह ने सचिव पद की बागडोर पिछले साल अक्टूबर में संभाली थी। ऐसे में पदभार ग्रहण करते वक्त दोनों पदाधिकारियों की राज्य और राष्ट्रीय इकाई के पास निर्धारित छह साल के कार्यकाल में से केवल 9 महीनों की मियाद बाकी थी।

BCCI की याचिका –

ऐसे में दोनों बोर्ड मैंबर्स को एक साल से भी कम बोर्ड में काम का मौका मिल पाया है। इसके निदान के लिए कार्यकाल के दौरान BCCI ने 21 अप्रैल को सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सौरव गांगुली और जय शाह के कार्यकाल को विस्तार देने की मांग याचिका में रखी।

बोर्ड की मंशा –

दोनों पदाधिकारियों के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए बोर्ड की एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) में सुप्रीम कोर्ट की ओर से अनिवार्य किये गए प्रशासनिक सुधारों संबंधी नियमों में ढील देने का फैसला भी किया गया था। लेकिन बोर्ड को अपना यह मकसद पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से पहले मंजूरी लेना होगी।

बढ़ा दें कार्यकाल -

दरअसल बोर्ड की मंशा है कि गांगुली और शाह का कार्यकाल खत्म करने के बजाए वर्ष 2025 तक के लिए 4 वर्ष और बढ़ा दिया जाए। बोर्ड ने हवाला दिया है कि; दोनों पदाधिकारी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का बेहतर प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

इन्होंने जताई आपत्ति –

आपको ज्ञात हो हाल ही में बीसीसीआई में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) प्रतिनिधि अलका रेहनी भारद्वाज ने जय शाह के 17 जुलाई को BCCI एपेक्स बैठक में शामिल होने पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने इसके आधार में BCCI संविधान में लागू कार्यकाल संबंधी नये नियमों का हवाला दिया था।

क्या कहता है नियम? -

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के मौजूदा संविधान में किसी पदाधिकारी को बीसीसीआई या राज्य संघ की भूमिका को मिलाकर तीन साल के दो कार्यकाल पूरे करने पर तीन साल के लिए अनिवार्य ब्रेक लेना जरूरी किया गया है।

ऐसे में जय शाह का कार्यकाल खत्म हो चुका है जबकि गांगुली का कार्यकाल जल्द समाप्त होने वाला है। देखना होगा सुप्रीम कोर्ट बीसीसीआई की याचिका के मामले में पदाधिकारियों और बोर्ड को राहत प्रदान करता है या फिर दोनों को 3 सालों का ब्रेक लेना होगा।

BCA नहीं करेगा विरोध – एजेंसी की रिपोर्ट्स के मुताबिक बिहार क्रिकेट संघ (BCA) ने स्पष्ट किया है कि अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह का कूलिंग ऑफ पीरियड हटाने संबंधी याचिका पर बीसीए का वकील विरोध नहीं करेगा।

देखना है बोर्ड के संविधान में संशोधन होता है या फिर गांगुली और शाह को अनिवार्य विराम अवधि पर जाना होगा। बोर्ड के सूत्रों का कहना है कि कोरोना महामारी के कारण वैसे ही क्रिकेट को काफी नुकसान हुआ है ऐसे में फेरबदल करने से भविष्य के कई कार्यक्रम प्रभावित हो सकते हैं। आपको बता दें बीसीसीआई के अध्यक्ष पद के लिए गांगुली निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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