आगामी ICC चक्र में बिडिंग प्रोसेस कैसे करेगी काम?

इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने साल 2020 के अंत तक 2023-2031 के अगले चक्र में मेजबान देशों के कई विश्व स्तरीय पुरुष और महिला क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजनों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
ICC Bidding Process
ICC Bidding ProcessKavita Singh Rathore -RE

हाइलाइट्स :

  • अगले ICC चक्र में बोली प्रक्रिया कैसे होगी लागू?

  • बोर्ड कितने टूर्नामेंट्स में कितनी बोली लगा सकता है?

  • जानें क्या है ICC का EoI, RFP और FTP का पूरा प्लान?

राज एक्सप्रेस। बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (BCCI) जैसे शक्तिशाली बोर्डों से आरक्षण के बावजूद इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने नई कवायद शुरू कर दी है। साल 2020 के अंत तक 2023-2031 के अगले चक्र में मेजबान देशों के कई विश्व स्तरीय पुरुष और महिला क्रिकेट टूर्नामेंट आयोजनों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया काउंसिल ने शुरू की है।

आदर्श बोली मॉडल :

प्रक्रिया के पहले चरण में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने हाल ही में अपने सदस्य देशों को 15 मार्च तक एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) यानी रुचि की अभिव्यक्ति का इजहार करने कहा है। इसके आधार पर ICC प्रत्येक आयोजन के लिए मेजबान देश को अंतिम रूप देने के लिए एक बोली मॉडल का उपयोग करेगी।

ICC के जबाव :

बोली की पूरी प्रक्रिया कैसे काम करेगी इसके लिए इन खास पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है। ICC से इस बारे में पूछे गए कई महत्वपूर्ण सवालों के बारे में संस्था ने जो जबाव रखे उनसे बिडिंग प्रोसेस को समझने में आसानी होगी।

FTP, टूर्नामेंट और EoI :

ICC के 2023-31 के दौरान होने वाले टूर्नामेंट्स के फ्यूचर टूर्स प्रोग्राम (FTP) के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoIs) की यदि बात करें तो इस कालखंड में कुल 28 अहम आयोजन प्रस्तावित हैं। इसमें महिला-पुरुष (प्रत्येक आठ-आठ) जबकि अंडर 19 वर्ग अंतर्गत महिला एवं पुरुष श्रेणी के चार-चार टूर्नामेंट का प्लान आईसीसी ने फिलहाल बनाया है। इसके अतिरिक्त वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के चार फाइनल्स भी इसमें शामिल हैं।

EoIs के लिए समय सीमा :

ICC ने सभी सदस्यों (पूर्ण सदस्य और सहयोगी) से 15 मार्च तक अपनी प्रस्तुतियां दाखिल करने कहा है। ऐसा इसलिए ताकि प्राप्त होने वाली कुल EoI प्रतिक्रियाओं को मार्च के अंतिम सप्ताह में होने वाली अगली बैठक के दौरान ICC बोर्ड के समक्ष तुलनात्मक विचार के लिए पेश किया जा सके। उस बैठक के बाद, प्रस्ताव प्रक्रिया के लिए ICC औपचारिक अनुरोध के साथ इसका पालन करना चाहता है। इसके लिए सभी इच्छुक सदस्यों के पास औपचारिक प्रस्तुतियों के लिए छह महीने का समय होगा।

EoIs से पहले निर्धारण :

इस प्रक्रिया के बारे में सवाल उठता है कि क्या एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट्स (EoIs) से पहले कौन सा टूर्नामेंट साल में कब होगा इस बारे में क्रिकेट खेल कैलेंडर तैयार कर लिया जाएगा? तो जवाब है नहीं क्योंकि ICC का मानना ​​है कि सदस्यों से पहले उनकी पसंदीदा प्रतिक्रिया प्राप्त करना और फिर वैश्विक आयोजनों में उसका उपयोग करना ज्यादा मुफीद रहेगा।

खेल कैलेंडर में मददगार :

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद को EoI से प्राप्त होने वाली प्रतिक्रियाओं के आधार पर टूर्नामेंट्स के बारे में क्रिकेट खेल कैलेंडर बनाने में मदद मिलेगी। परिषद का मानना है इससे ICC को सदस्य देशों के लिए पूर्ण अंतरराष्ट्रीय कैलेंडर तय करने के लिए स्टार्टिंग पॉइंट मिल सकेगा। बकौल ICC पूर्ण FTP की योजना के लिए यह दृष्टिकोण पिछले दो चक्रों (2007-15 और 2015-23) पर सफलता पूर्वक नियोजित किया गया है।

एक देश कितनी बोली?

क्रिकेट नियामक संस्था ICC की नई नीति से सवाल पैदा होता है कि एक देश ICC के कितने आयोजनों के लिए बोली लगा सकता है। एक या फिर उससे अधिक? तो इस बारे में ICC के मुताबिक सदस्य देश 1 से अधिक बोली लगा सकता है। परिषद के अनुसार एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EoI) प्रक्रिया का पहला चरण है।

सरकार से तालमेल :

यह ICC के सदस्यों को अपने संबंधित सरकारों के साथ दीर्घकालिक योजना पर काम करने के साथ ही यह मूल्यांकन करने की स्वतंत्रता देगा कि उस देश के संबंधित बाजारों में उनके खेल के विकास के लिए सबसे अच्छा काम क्या किया जा सकता है? ICC का इस बात पर जोर है कि मेजबान देशों और उनकी संबंधित सरकारों के बीच मेजबानी और पूर्ण लाभ के बारे में सहमति जरूरी है।

बोली बेहतर विकल्प क्यों?

ICC का मानना है कि इस मॉडल से सदस्य देशों को निर्धारित मानदंडों में खरा उतरने पर आयोजन की मेजबानी के समान अवसर मिल पाते हैं। ICC के अनुसार यह एक बहुत ही सामान्य मॉडल है जिसे विश्व स्तर पर कई अन्य खेलों और विश्व स्तरीय कार्यक्रमों में लागू किया जाता है। इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के मुताबिक उसने पहले भी इस मॉडल का इस्तेमाल किया था और यह "विश्व स्तर पर खेल को बढ़ाने के लिए हमारी महत्वाकांक्षाओं का केंद्रीय मुद्दा भी है।"

बोली प्रक्रिया कैसे काम करती है?

एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट्स (EoIs) के दाखिल और साझा होने के बाद एक औपचारिक रिक्वेस्ट फॉर प्रपोज़ल (RFP) यानी प्रस्ताव के लिए छह माह चलने वाली अनुरोध प्रक्रिया शुरू होगी। इसके उपरांत ICC के इच्छुक सदस्यों को RFP पर प्रतिक्रिया देने और RFP मानदंड के अनुसार ICC के आयोजनों की मेजबानी के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत के लिए कहा जाएगा। जिन्हें तब अनुमोदन के लिए प्राप्त प्रस्ताव माना जाएगा।

तरक्की पहले कमाई बाद में :

ICC की बिडिंग प्रोसेस पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या क्रिकेट काउंसिल टूर्नामेंट्स की बोलियों के जरिए कमाई का जरिया तलाश रही है? तो इस बारे में ICC की राय है कि सर्वप्रथम उसकी प्राथमिकता वहां टूर्नामेंट्स आयोजित करना है जहां सरकार से खेल की मेजबानी के साथ ही क्रिकेट की बेहतरी के लिए सहयोग और समर्थन हासिल हो।

परिषद के मुताबिक “कमाई” खेल के अन्य पहलुओँ में से एकमात्र अन्य पहलू है। इस बारे में RFP में विस्तार से उल्लेख होगा। जिसे बुनियादी ढांचे, बाजार के साथ खेल के विकास सहित अन्य चीजों की कड़ी के तौर पर तरजीह दी जाएगी।

पात्रता क्या होगी?

क्रिकेट टूर्नामेंट्स के आयोजनों के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे सहित तमाम पात्रता मानदंड का पालन करना इच्छुक मेजबान के लिए जरूरी है। इसमें क्रिकेट आयोजन की अहमियत एवं आकार, बाजार में मौजूदा क्रिकेटिंग माहौल के साथ ही खेल के विकास की क्षमता के आधार पर मेजबान की पात्रता का परीक्षण होगा। वीजा, टैक्स में छूट, सीमा शुल्क, सुरक्षा की कसौटी पर भी मेजबान के दावे को परखा जाएगा।

कहना गलत नहीं होगा ICC ने जिन तमाम मुद्दों पर बोली प्रक्रिया की पैरवी की है, वे मानक पहले से ही मेजबान क्रिकेट प्लेइंग कंट्रीज़ की हैसियत को परखने की कसौटी रहे हैं। ICC के लिए क्रिकेट खेलने में लगातार तेजी से पिछड़ रहे अनुभवी जिम्बॉवे, आयरलैंड क्रिकेट बोर्ड्स के साथ ही नवोदित अफगानिस्तान, नेपाल जैसे देशों में क्रिकेट खेल की बेहतरी के तमाम जतन करना फिलहाल अभी बाकी है। क्या कहना है आपका? अपने विचार हमारे साथ जरूर साझा करें।

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