BCCI संविधान में बदलाव हुए, तो आगे बढ़ेगा गांगुली का कार्यकाल?

कूलिंग ऑफ यानी की दो कार्यकाल के बाद विश्राम दिए जाने वाला समय के नियम में बदलाव पर विचार किया जाएगा।
BCCI संविधान में बदलाव हुए, तो आगे बढ़ेगा गांगुली का कार्यकाल?
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राज एक्सप्रेस। बीसीसीआई की आने वाली वार्षिक आम बैठक में बीसीसीआई में कार्यरत पदाधिकारियों की 70 साल की उम्र सीमा को बदलने का विचार नहीं होगा, लेकिन कूलिंग ऑफ यानी की दो कार्यकाल के बाद विश्राम दिए जाने वाले समय के नियम में बदलाव पर विचार किया जाएगा। इससे अधिकारियों के अनुभव का सही रूप में उपयोग होगा। बीसीसीआई की रविवार को होने वाली वार्षिक आम बैठक से पहले कोषाध्यक्ष अरूण धूमल ने यह जानकारी दी है।

बोर्ड ने मौजूदा संविधान में कुछ बड़े बदलाव करने का प्रस्ताव दिया है, सौरव गांगुली के अध्यक्ष बनने के बाद पहली एजीएम में जारी कार्यसूची में यह बदलाव किए जा सकते हैं। इन सभी से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर आधारित सुधारों पर भी असर होगा। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बनाए गए कानून के मुताबिक बीसीसीआई या राज्य संघ में 3 साल के कार्यकाल को दो बार पूरा करने वाले अधिकारियों को 3 साल तक कूलिंग ऑफ पीरियड पूरा करना होगा।

बीसीसीआई में नियुक्त नये अधिकारी चाहते हैं कि, कॉलिंग ऑफ का नियम उन पर लागू हो जिन्होंने बोर्ड या राज्य संघ में 3 साल के दो कार्यकाल पूरे कर लिए हैं, यानी बोर्ड और राज्य संघ के कार्यकाल को एक साथ नहीं जोड़ा जाए।

बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरूण धूमल ने कहा कि हमने उम्र की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया है उसे पहले की तरह ही रखेंगे। कूलिंग ऑफ पीरियड के मामले में हमारा मानना यह है कि, अगर किसी ने राज्य संघ में काम का अनुभव लिया है तो उस अनुभव का फायदा खेल के हित में होना चाहिए अगर वह बीसीसीआई के लिए योगदान कर सकते हैं, तो उन्हें ऐसा करने देना चाहिए।

अरूण धूमल ने बताया कि राज्य संघ में दो कार्यकाल पूरा करने के बाद अगर किसी का कूलिंग ऑफ पीरियड 67 साल की उम्र में होता है, तो इस अवधि के खत्म होने तक वह 70 साल का हो जाएगा और बीसीसीआई के लिए कोई योगदान नहीं कर सकेगा बीसीसीआई चाहता है कि, अध्यक्ष सचिव को कूलिंग ऑफ से पहले लगातार दो कार्यकाल जबकि कोषाध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों को तीन कार्यकाल मिलें।

गांगुली के नेतृत्व में अभी हाल ही में पिछले महीने ही अधिकारियों ने अपना पद संभाला है, जिससे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासन को कि समिति का 33 महीने का कार्यकाल समाप्त कर दिया गया था। धूमल ने कहा कि, "पिछले महीने बीसीसीआई के चुनावों में देखा होगा निर्वाचन की सूची में 38 सदस्यों में से सिर्फ चार या पांच के पास इससे पूर्व किसी बैठक में शामिल होने का कार्य अनुभव था।"

ऐसे में किसी ने अगर राज्य संघ में अनुभव प्राप्त किया हों, तो उस अनुभव का लाभ बीसीसीआई को अवश्य मिलना चाहिए। लोढ़ा समिति के सुधारों के मुताबिक, आपने 1 साल में कई राज्यों में सभी पदाधिकारियों को अयोग्य करार दे दिया।

धूमल ने आगे बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने पहले भी लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों में रियायत प्रदान की थी, जिसमें एक राज्य एक वोट भी जोड़ा गया था। उन्होंने कहा कि, "हम एजीएम में पारित हुए सभी संशोधनों को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पेश करेंगे कुछ चीजों में हम व्यवहारिक कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं जिसके बारे में उन्हें जानकारी देंगे अगर न्यायालय हमारे संशोधनों से सहमत होंगे तो हम इसे आगे लागू कर सकते हैं।"

धूमल से जब पत्रकारों ने यह सवाल पूछा कि अगर संशोधनों को मंजूरी मिल जाती है तो क्या लोढ़ा सुधार से समझौता संभव है, जवाब में उन्होंने कहा कि कई सिफारिशों को सर्वोच्च न्यायालय ने खुद ही हटा दिया, वह समझ रहे होंगे कि एक राज्य एक वोट के संबंध में तकनीकी कठिनाइयों हुई होंगी। हमारे पास अधिकतर सिफारिशों को लेकर कोई समस्या नहीं आई है लेकिन कुछ के साथ तकनीकी दिक्कतें होती हैं।

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