नौकरी के लिये एड़ियां घिस रहा है भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम का उपकप्तान

अपने प्रदर्शन की बदौलत देश को कई बार गौरवान्वित करने वाला एक दिव्यांग खिलाड़ी सात वर्षों से एक नौकरी के लिये सरकारी दफ्तरों की सीढ़ियां गिन रहा है।
नौकरी के लिये एड़ियां घिस रहा है भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम का उपकप्तान
नौकरी के लिये एड़ियां घिस रहा है भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम का उपकप्तानSocial Media

राज एक्सप्रेस। भारत में पैसा, शोहरत और इज्जत का पर्याय माने जाने वाले 'क्रिकेट' का एक बदनुमा चेहरा भी सामने आया है जब अपने प्रदर्शन की बदौलत देश को कई बार गौरवान्वित करने वाला एक दिव्यांग खिलाड़ी सात वर्षों से एक नौकरी के लिये सरकारी दफ्तरों की सीढ़ियां गिन रहा है। भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम के उपकप्तान लव वर्मा ने अपनी पीड़ा एक पत्र के माध्यम से खेल प्रेमियों से साझा की है जिससे पता लगता है कि क्रिकेट के दीवाने इस देश में दिव्यांग क्रिकेट की कोई अहमियत नहीं है बल्कि दिव्यांगों को प्राथमिकता देने वाली सरकार के नुमाइंदों में भी इस वर्ग के लिये खासी उदासीनता है।

वर्मा ने लिखा "मैं पिछले सात वर्षों से रोजगार के लिए दौड़भाग कर रहा हूं। मेरा सपना था कि मैं अपने देश के लिए खेलूँ, मैंने सर सचिन तेंदुलकर को देखकर ही क्रिकेट सीखा। दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया (नीति आयोग) द्वारा संचालित अब तक आठ अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता में प्रतिभाग कर चुका हूं एवं भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम का उपकप्तान भी हूँ। जिसमें 2014 में श्रीलंका दौरे पर मैन ऑफ दी सीरीज चुना गया था जबकि 2015 में दिव्यांग एशिया कप और अप्रैल में दुबई के शारजाह में सम्पन्न डीपीएल में मैन ऑफ दी मैच चुना गया।"

सोनभद्र के अनपरा क्षेत्र के निवासी वर्मा ने कहा "2019 में नेपाल के खिलाफ दूसरे टी-20 मैच में भारतीय टीम की कप्तानी करते हुए 131 रनों से विजयी कराया। सपना देखा था कि मैं सारा जीवन क्रिकेट खेल को समर्पित करुंगा। जब देश के लिए खेला तब ऐसा लगा था कि सरकार या कंपनी रोजगार दे देगी लेकिन ऐसा आज तक नहीं हो सका। 13 फरवरी 2015 को हम एशिया कप चैंपियन बने। संजोग था कि 31 मार्च 2015 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अनपरा कॉलोनी के सीआईएसएफ मैदान में आये हुए थे। जब पता चला कि वो आ रहे तब उम्मीदें बहुत थीं कि मैं अपनी बात रख सकूंगा लेकिन दुर्भाग्य था कि किसी ने पूछा तक नहीं और कुछ लोगों द्वारा मजाक बनाया गया कि एशिया चैंपियन को कम से कम साइकिल दिलवा देते जबकि लैपटॉप, साइकिल मेधावियों को बांटा गया था। उसके बाद से सपा जिलाध्यक्ष, सपा विधायक, जिलाधिकारी, जिला दिव्यांग अधिकारी को पत्र लिखा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।"

इंटरनेशनल प्लेयर ने कहा "2017 में भाजपा सरकार आने के बाद उम्मीदें फिर से जगीं। एक बार पुन: इसमें जोर लगाया जिलाधिकारी, सांसद, विधायक को पत्र लिखा। जिलाधिकारी ने सोनभद्र के सभी औद्योगिक इकाईयों को रोजगार संबंध में पत्र लिखा जिसमें से सिर्फ अनपरा तापीय परियोजना ने इस पर कार्यवाही करते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के मुख्यालय को सारे कागजात भेजे जो कि एक वर्ष हो गए। अपना दल (एस) अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने जुलाई 2020 में केंद्रीय खेल राज्य मंत्री को पत्र लिखा। जवाब आया कि मामले को दिखवा रहे हैं लेकिन अब तक जवाब नहीं आया।"

लगभग 250 पन्नों का क्रिकेट संबंधित कागजात लिये दर दर भटके इस खिलाडी का दर्द है कि उसे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। उसने कहा ''प्रधानमंत्री ने 'दिव्यांग' शब्द दिया जिसका अर्थ होता है 'दिव्य शक्ति' इस समाज के विशेष व्यक्ति जब हम इस समाज के विशेष व्यक्ति हैं तो इस समाज मे ऐसा व्यवहार क्यों अगर दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ी अपने हक के लिए बोले तो बोला जाता है कि देश के लिए खेलते हो या पैसों के लिए। हम दिव्यांग क्रिकेटर पैसों के लिए नहीं देश के लिए ही खेलते हैं लेकिन पेट भरने के लिए क्या सिर्फ मान-सम्मान से ही पेट भर जाएगा अगर ऐसा है तो हमारा देश एक है तो एक क्रिकेट भी हो सामान्य खिलाड़ियों और दिव्यांग खिलाड़ियों को समान अधिकार में रखा जाए।

खिलाड़ी ने कहा "हम पैसे की मांग नहीं जीविकोपार्जन का साधन के लिए विनती कर रहे हैं जिससे कि पूरे तन मन के साथ अपने देश के लिए समर्पित रहें। दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ी ने भी अपना भविष्य क्रिकेट में देख लिए तो क्या गुनाह हुआ। ऐसा लगता है कि हमारा गुनाह है कि हम दिव्यांग है और अगर हम दिव्यांग है तो इसमें हमारा क्या दोष है। मैंने अपने सेवानिवृत्त पिता से तीन वर्ष पूर्व वादा किया था कि उनके सेवानिवृत्त से पूर्व रोजगार पाकर दिखाऊंगा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है।"

उन्होंने कहा, "सरकार से मेरा विशेष अनुरोध है कि प्रदेश के किसी भी जिले के किसी भी विभाग में जीविकोपार्जन का साधन दे दें जिससे कि मैं अपने खेल पर पूरा ध्यान देते हुए अपना पेट भर सकू।''

डिस्क्लेमर : यह आर्टिकल न्यूज एजेंसी फीड के आधार पर प्रकाशित किया गया है। इसमें राज एक्सप्रेस द्वारा कोई संशोधन नहीं किया गया है।

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