राहुल द्रविड़ को हितों के टकराव मुद्दे पर मिली राहत, मामला खारिज
राहुल द्रविड़ को हितों के टकराव मुद्दे पर मिली राहत, मामला खारिजSocial Media

राहुल द्रविड़ को हितों के टकराव मुद्दे पर मिली राहत, मामला खारिज

भारत के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ हितों के टकराव मुद्दे को लेकर परेशानी में चल रहे थे, अब राहत की सांस ले सकते हैं।

राज एक्सप्रेस। भारत के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ हितों के टकराव मुद्दे को लेकर परेशानी में चल रहे थे, अब राहत की सांस ले सकते हैं। बीसीसीआई के आचरण अधिकारी डीके जैन के मुताबिक गुरूवार को उनके खिलाफ हितों के टकराव की शिकायत को रद्द कर दिया गया है, डीके जैन के अनुसार इसमें किसी भी प्रकार का कोई दम नजर नहीं आता। जैन ने पत्रकारों को बताया कि, मैंने शिकायत रद्द कर दी है, राहुल द्रविड़ के खिलाफ हितों के टकराव को लेकर कोई मुद्दा नहीं है।

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक इस आदेश की एक कॉपी में लिखा गया है कि तथ्यों के आधार पर भरोसा किया जा सकता है कि नियमों के अनुसार हितों के टकराव का मामला नहीं बनता है, इसका नतीजा यह है कि शिकायत रद्द कर दी गई है और इस मामले में कोई दम नहीं है।

एमपीसीए के आजीवन सदस्य संजीव गुप्ता ने लगाया था आरोप

एमपीसीए के आजीवन सदस्य संजीव गुप्ता ने पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ के खिलाफ हितों के टकराव का मामला दर्ज कराया था, क्योंकि वह मौजूदा समय में राष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी प्रमुख हैं और साथ ही इंडिया सीमेंट्स ग्रुप में भी कार्यरत हैं, जैन ने मंगलवार को दूसरे दौर की सुनवाई शुरू की थी, जिसमें द्रविड़ का बचाव उनके वकील ने किया था।

इसके पहले राहुल द्रविड़ ने 26 सितंबर को मुंबई में व्यक्तिगत सुनवाई में अपना मामला खुद ही पेश किया था। राहुल द्रविड़ फिलहाल एनसीए के निदेशक हैं, साथ ही इंडिया सीमेंट्स ग्रुप के उपाध्यक्ष भी हैं, चेन्नई सुपर किंग्स की टीम, इंडिया सीमेंट्स ग्रुप के अंतर्गत ही आती है। राहुल द्रविड़ इससे पहले इंडिया ए और अंडर-19 टीम के मुख्य कोच भी रह चुके हैं।

राहुल द्रविड़ ने अपनी बात रखते हुए कहा था कि पूर्व में उन्होंने इंडिया सीमेंट्स ग्रुप से अनुपस्थिति की अनुमति ले ली थी और उनका चेन्नई सुपर किंग से कोई लेना-देना नहीं है। बीसीसीआई संविधान के नियम 38 (4) के अनुसार कोई भी व्यक्ति एक ही समय पर एक से ज्यादा पद पर नहीं रह सकता है।

बीसीसीआई के आचरण अधिकारी जैन ने द्रविड़ के मामले को लेकर कुछ अलग ही निष्कर्ष निकाला है, जिसमें आदेश के अनुसार किसी का भी बीसीसीआई के एक पद पर पदभार संभालना हितों के टकराव के निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए सही नहीं है।

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