महिलाओं को पूरी तरह खेल को चुनने में वक्त लगेगा: सानिया मिर्जा

सानिया मिर्जा वैश्विक महामारी के इस दौर में अखिल भारतीय टेनिस संघ और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) द्वारा आयोजित वेबिनार का हिस्सा बनीं।
महिलाओं को पूरी तरह खेल को चुनने में वक्त लगेगा: सानिया मिर्जा
महिलाओं को पूरी तरह खेल को चुनने में वक्त लगेगा: सानिया मिर्जा Syed Dabeer Hussain - RE

राज एक्सप्रेस। भारत की सर्वश्रेष्ठ टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा (Sania Mirza) को नाज़ है कि वह भारत की महान महिला खिलाड़ियों में शामिल हैं। वह अपने आप को क्रिकेट से अलग खेल जगत में महान खिलाड़ियों के रूप देखकर काफी खुश हैं, लेकिन सानिया मिर्जा का मानना है कि देश में महिलाओं को अपने कैरियर के रूप में पूरी तरह खेल को चुनने में अभी काफी वक्त है। देश के लिए 6 बार ग्रैंड स्लैम खिताब जीत चुकी सानिया मिर्जा वैश्विक महामारी के इस दौर में अखिल भारतीय टेनिस संघ और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) द्वारा आयोजित वेबिनार का हिस्सा बनी। यहां उन्होंने अपने परिवार की भूमिका और महिला खिलाड़ियों के प्रति कोच के रवैया, जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की थी।

परिवार का सपोर्ट मिला

मैंने 6 साल की छोटी उम्र से ही टेनिस खेलने की शुरुआत कर दी थी, उस समय अगर कोई लड़की रैकेट पकड़कर विंबलडन खेलने का सपना देखती, तो लोग उस पर हंसते थे, लोग क्या कहेंगे, यह वाक्य कई सपनों को तोड़ देता है, मैं भाग्यशाली थी कि मुझे ऐसा माता-पिता मिले जिन्होंने इसकी परवाह किए बिना मेरा सपोर्ट किया।

सानिया मिर्जा, भारतीय टेनिस खिलाड़ी

बदलाव सहज होना चाहिए

मैं इस बात से गर्व महसूस करती हूं कि क्रिकेट से अलग कई बड़े खेलों में महिलाएं काफी ऊपर है। मैं जानती हूं कि महिलाओं का खेलों में आना मुश्किल होता है, यह इस बात का संकेत हैं कि चीजें बदली हैं, लेकिन अभी हमें उस स्थिति में पहुंचने के लिए वक़्त लगेगा जब एक लड़की मुक्केबाजी के ग्लब्स पहनने या बैडमिंटन रैकेट पकड़े या यह कहे कि मैं पहलवान बनना चाहती हूं। मेरा कहने का मतलब है कि बदलाव सहज होना चाहिए।

सानिया मिर्जा, भारतीय टेनिस खिलाड़ी

महिलाओं के टेनिस छोड़ देने पर

जब सानिया मिर्जा से सवाल किया गया कि 15-16 साल के बाद टेनिस खेलने वाली लड़कियां टेनिस क्यों छोड़ देती है, तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि दुनिया के इस हिस्से में माता-पिता खेल को सीधे तौर पर नहीं अपनाते चाहते हैं, वह चाहते हैं कि उनकी बेटी डॉक्टर वकील या टीचर बने, लेकिन खिलाड़ी नहीं। वैसे पिछले 20-25 वर्षों में बदलाव हुए हैं, लेकिन अब भी लंबा सफर तय करना बाकी है।

कोचिंग को लेकर यह बोली सानिया

सानिया मिर्जा द्वारा कहा गया कि लड़कियों को कोचिंग देना मुश्किल होता है, जब 13 -14 साल की लड़कियां कोचिंग ले रही होती हैं, तो उन्हें पता नहीं होता कि वह क्या है। उनके शरीर में बदलाव हो रहा होता है। इस वक्त महिलाओं की जिंदगी में हार्मोन संबंधी बदलाव होते हैं, जो जिंदगी भर चलते हैं।

महिलाओं के सामने आने वाली चुनौती पर

सानिया मिर्जा ने महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को लेकर कहा कि लड़कियों के लिए कुछ चीजें तय कर दी जाती है, यहां तक कि मैंने सब कुछ हासिल कर लिया तब भी मुझसे पूछा जाता है कि मैं कब बच्चे के बारे में सोच रही हूं और जब तक मैं मां नहीं बनूंगी मेरी जिंदगी पूर्ण नहीं होगी। हम लोगों से गहरे सांस्कृतिक मुद्दे जुड़े हैं और इन से निजात पाने में अभी गहरा वक्त लगेगा।

ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com