श्यामल घोष का निधन, भारतीय फुटबॉल ने शोक व्यक्त किया
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श्यामल घोष का निधन, भारतीय फुटबॉल ने शोक व्यक्त किया

पूर्व भारतीय फुटबॉलर श्यामल घोष का यहां एक स्थानीय अस्पताल में हृदय गति रुकने से निधन हो गया है।

कोलकाता। पूर्व भारतीय फुटबॉलर श्यामल घोष का यहां एक स्थानीय अस्पताल में हृदय गति रुकने से निधन हो गया है। श्री घोष ने कुछ समय बीमार रहने के बाद मंगलवार को अपनी आखिरी सांस ली। उनकी उम्र 71 वर्ष थी। श्री घोष 70 और 80 के दशक में भारत के सबसे कुशल सेंट्रल डिफेंडर माने जाते थे। इसी बीच, अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने बुधवार को श्री घोष के निधन पर शोक व्यक्त किया। एआईएफएफ के अध्यक्ष कल्याण चौबे ने कहा, “ श्यामल दा का निधन भारतीय फुटबॉल के लिये बड़ा झटका है। वह 1970 के दशक के सबसे अच्छे फुटबॉलरों में से एक होने के अलावा अपने बेमिसाल शिष्टाचार के लिये जाने जाते थे। वह अपने पूरे जीवन के दौरान मैदान के अंदर और बाहर एक शिष्ट व्यक्ति बनकर रहे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं। ”

एआईएफएफ के महासचिव शाजी प्रभाकरन ने कहा, “ श्यामल घोष अपने नायाब कौशल के कारण युवा डिफेंडरों के लिये एक आदर्श थे। हम सभी उनके निधन से बेहद दुखी हैं। यह पूरी भारतीय फुटबॉल बिरादरी के लिये बड़ा झटका है। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं। परमेश्वर उनकी आत्मा को शांति दे। ” श्री घोष ने थाईलैंड के खिलाफ 24 जुलाई, 1974 को मेरडेका कप में अपना अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया था। वह उस साल तेहरान में हुए एशियाई खेलों में भारतीय टीम के एक प्रमुख खिलाड़ी थे। उन्होंने भारत की वरिष्ठ टीम के लिये सात मैच खेले।

घरेलू स्तर पर श्री घोष ईस्ट बंगाल और मोहन बागान दोनों के महत्वपूर्ण खिलाड़ी थे। उन्होंने इन दोनों टीमोंं के लिये कैलकटा फुटबॉल लीग, आईएफए शील्ड, डूरंड कप और रोवर्स कप जैसे कई खिताब जीते। उन्होंने ईस्ट बंगाल के साथ एक सफल करियर में सात सीजन खेले और 1977 में टीम की कप्तानी भी की। श्री घोष ने राष्ट्रीय फुटबॉल चैंपियनशिप (संतोष ट्रॉफी) में पांच बार बंगाल का प्रतिनिधित्व किया और 1975, 1976 एवं 1977 में चैंपियन बनकर हैट्रिक लगायी। उन्हें 2016 में ईस्ट बंगाल द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से भी नवाजा गया।

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