Rajasthan Political Crisis : राजस्थान में चल रहा इसकी सत्ता, उसकी सत्ता का खेल

इन दिनों राजस्थान की राजनीति संकट में लग रही है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट समर्थक अलग-अलग गुट में बंट गए हैं। गहलोत समर्थक विधायकों ने पायलट को सत्ता सौंपने पर ऐतराज जताया है।
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इन दिनों राजस्थान की राजनीति संकट में लग रही है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट समर्थक अलग-अलग गुट में बंट गए हैं। गहलोत समर्थक विधायकों ने पायलट को सत्ता सौंपने पर ऐतराज जताया है। आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो गहलोत के पक्ष में लगभग 80% MLA हैं। जबकि सचिन बहुत कम विधायकों का समर्थन जुटा पाए हैं।  फिलहाल राजस्थान कांग्रेस में मचे इस अंतरकलह ने पायलट के CM बनने की राह में रोड़ा अटका दिया है।

राज एक्सप्रेस। इन दिनों राजस्थान की राजनीति संकट में लग रही है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट समर्थक अलग-अलग गुट में बंट गए हैं। गहलोत समर्थक विधायकों ने पायलट को सत्ता सौंपने पर ऐतराज जताया है।

बीते दिन तक राजस्थान CM पद के लिए सचिन पायलट का पड़ला भारी दिख रहा था, जिसके बाद रविवार को अशोक गहलोत खेमे के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया।

अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बावजूद राजस्थान में अपनी सत्ता छोड़ना नहीं चाहते हैं, न ही सचिन को आने वाले समय में सत्ता दावेदारी देना चाहते हैं। आंकड़ों का हिसाब देखा जाए तो गहलोत के पक्ष में लगभग 80% MLA’s हैं।

जबकि सचिन बहुत कम विधायकों का समर्थन जुटा पाए हैं। इसका मुख्य कारण 2020 का वो सियासी घटनाक्रम है जिसमें अधिकतर विधायक का भरोसा सचिन नहीं जीत पाए थे। उन पर प्रदेश से बाहरी होने का टैग लगा हुआ है, जिसके कारण पार्टी विधायक समर्थन देने में हिचकिचाते हैं।

इस बीच सोनिया गाँधी ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन के साथ पार्टी विधायकों की मीटिंग बुलाई थी, लेकिन विधायकों ने इस मीटिंग से इनकार कर दिया है। इधर सचिन का कहना है कि वो दिल्ली नहीं जा रहे हैं और पार्टी आलाकमान का फैसला आने के बाद ही वो कोई निर्णय लेंगे।

हालांकि उन्हें राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों का अच्छा अनुभव है, इसलिए शिक्षित युवा वर्ग में उनका खासा क्रेज भी है, लेकिन फिलहाल राजस्थान कांग्रेस में मचे इस अंतरकलह ने पायलट के CM बनने की राह में रोड़ा अटका दिया है।

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