भारत के 59 फीसदी एरिया में भूकंप का रिस्क

तुर्किये और सीरिया में आए महाविनाशकारी भूकंप में अब तक हज़ारो लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों इमारते नष्ट हो चुकी है। ऐसे में बड़ा सवाल अब ये है कि ‘भारत भूकंप के प्रति कितना संवेदनशील है?’

राज एक्सप्रेस । तुर्किये और सीरिया में आए महाविनाशकारी भूकंप में अब तक हज़ारो लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों इमारते नष्ट हो चुकी है । इस भयानक तबाही के मंजर से देश और दुनिया में भय बना हुआ है। चंद सेकेंडो में गगन चुम्बी इमारतों का धराशाही हो जाना , हज़ारो लोगो का अपनी जान गंवा देना ये सभी बाते उस देश का बुरा इतिहास बनकर रह जाती है जिस देश ने इस भयानक त्रासदी का सामना किया है। ऐसे में बड़ा सवाल अब ये है कि ‘भारत भूकंप के प्रति कितना संवेदनशील है?’  सरकार के अनुसार, भारत का लगभग 59 प्रतिशत भू भाग अलग-अलग तीव्रता के भूकंपों के प्रति संवेदनशील है।

अगर भारत में भूकंप की बात की जाए तो हिमालय सबसे सक्रिय भूकंपीय क्षेत्रों में से एक है । 1905 में कांगड़ा बड़े भूकंप से प्रभावित हुआ था. वहीं, 1934 में बिहार-नेपाल में भूकंप आया था, इस भूकंप की तीव्रता 8.2 थी, जिसमें लगभग 10,000 लोग की मौत हुई थी,साल 1991 में 6.8 की तीव्रता से उत्तरकाशी में भूकंप आया था, जिसमें 800 से अधिक लोग मारे गए थे. उसके बाद 2005 में कश्मीर में 7.6 तीव्रता का भूकंप आया था. जिसमें 80,000 लोग मारे गए थे।

इन मामलो से साफ़ है की भारत ने भी भयानक भूकंप की मार झेली है लेकिन इसके बावजूद भारत सरकार कितनी जागरूक है ? विशेषज्ञों का कहना है कि गुरुग्राम दिल्ली-एनसीआर में सबसे जोखिम भरा इलाका है, क्योंकि यह सात फॉल्ट लाइन पर स्थित है,अगर ये चपेट में आ जाते हैं, तो इस भूकंप की तबाही से हमारी अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। क्योकि  दिल्ली-एनसीआर हिमालय के करीब है, इसलिए यह टेक्टोनिक प्लेटों में होने वाले बदलावों को महसूस करता है । हिमालय बेल्ट में कोई भी भूकंप दिल्ली-एनसीआर को प्रभावित कर सकता है।

भारत में भूकंप के 5 जोन है :

जोन-1 :

पहले जोन में कोई खतरा नहीं होता है और ना ही किसी प्रकार की कोई जनहानि होने का डर रहता है।

जोन-2 :

दूसरे जोन में आते है राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु का बचा हुआ हिस्सा। 

जोन-3 :

तीसरे जोन में केरल, गोवा, लक्षद्वीप, उत्तर प्रदेश और हरियाणा साथ ही गुजरात पंजाब और  पश्चिम बंगाल का कुछ इलाका आता है।

जोन-4 :

चौथे जोन में जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बाकी हिस्से, हरियाणा, पंजाब के कुछ हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से, बिहार और पश्चिम बंगाल का छोटा हिस्सा आता है।

जोन-5 :

इस जोन में जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तरी बिहार का हिस्सा, भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्य, अंडमान और निकोबार शामिल हैं ।इन 5 जोन में भूकंप का खतरा है और सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाका है जोन 5 अब देखना होगा की  भारत सरकार भूकंप के प्रति कितनी जागरूक है और  संवेदनशील इलाकों के लिए क्या दिशा निर्देश जारी किये जायेंगे।

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