शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होंगे पीएम मोदी
शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होंगे पीएम मोदीNaval Patel - RE

शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होंगे पीएम मोदी, जानिए क्यों हो रहा इसका विरोध?

जापान के सबसे अधिक समय तक प्रधानमंत्री रहे शिंजो आबे का 27 सितंबर को राजकीय अंतिम संस्कार किया जाएगा। जापान में इसका भारी विरोध हो रहा है।

राज एक्सप्रेस। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के लिए 27 सितंबर को जापान जाएंगे। गौरतलब है कि 8 जुलाई को जापान के नारा शहर में एक रैली के दौरान एक शख्स ने शिंजो आबे की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद 17 जुलाई को शिंजो आबे का अंतिम संस्कार कर दिया गया। 27 सितंबर को उनका राजकीय अंतिम संस्कार किया जाएगा। हालांकि शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार का जापान में विरोध भी हो रहा है। इसके विरोध में 70 साल के एक बुजुर्ग ने आत्मदाह की कोशिश भी की।

राजकीय अंतिम संस्कार क्या होता है?

राजकीय अंतिम संस्कार यानी स्टेट फ्यूनरल का मतलब है– ‘सरकार की ओर से श्रद्धांजलि देना।’ यह एक तरह से सांकेतिक अंतिम संस्कार होता है, जो सरकार की ओर से दिया जाता है। शिंजो आबे सबसे लंबे समय तक जापान के प्रधानमंत्री रहे हैं। यही कारण है कि जापान की सरकार उनका राजकीय अंतिम संस्कार कर रही है।

कौन-कौन होगा शामिल?

शिंजो आबे के अंतिम संस्कार में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शामिल होंगे। प्रधानमंत्री मोदी और शिंजो आबे के बीच अच्छी दोस्ती थी। जापान यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी, शिंजो आबे के घर भी गए थे। पीएम मोदी के अलावा अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज भी राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल हो सकते हैं। वहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के भी जापान पहुंचने की उम्मीद है।

क्यों हो रहा है विरोध?

शिंजो आबे के राजकीय अंतिम संस्कार का जापान में भारी विरोध देखने को मिल रहा है। दरअसल दूसरे विश्वयुद्ध के बाद आबे दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री हैं, जिनका राजकीय अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का पूरा खर्च सरकार उठाएगी। माना जा रहा है कि इस पूरे कार्यक्रम में करीब 100 करोड़ रूपए खर्च होंगे। ऐसे में कई लोग इस पूरे कार्यक्रम को जनता के पैसों की बर्बादी बता रहे हैं। यही कारण है कि विपक्ष और कुछ संगठन इसका जमकर विरोध कर रहे हैं।

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