बाली आने के बाद हर हिंदुस्तानी को एक अलग ही अनुभूति होती है: PM नरेंद्र मोदी
इंडोनेशिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया के बाली में है, इस दौरान आज वे बाली में आयोजित कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे, यहां उन्होंने भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। इसके बाद भारतीय समुदाय को संबोधित किया।
कटक शहर में महानदी के किनारे बाली यात्रा का महोत्सव चल रहा :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडोनेशिया के बाली में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए अपने संबोधन में कहा- इंडोनेशिया, बाली आने के बाद हर हिंदुस्तानी को एक अलग ही अनुभूति होती है, एक अलग ही एहसास होता है। मैं भी वही वाइब्रेशन महसूस कर रहा हूं। बाली से डेढ़ हजार किलोमीटर दूर, भारत के कटक शहर में महानदी के किनारे 'बाली जात्रा' का महोत्सव मनाया जा रहा है... ये महोत्सव, भारत और इंडोनेशिया के बीच हजारों वर्षों के trade relations को Celebrate करता है।
हम लोग अक्सर बातचीत में कहते हैं- It's a small world. भारत और इंडोनेशिया के संबंधों को देखें, तो ये बात बिल्कुल सटीक बैठती है। समंदर की विशाल लहरों ने भारत और इंडोनेशिया के संबंधों को लहरों की ही तरह, उमंग से भरा और जीवंत रखा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
PM मोदी के संबोधन की प्रमुख बातें-
अपनत्व के विषय में भारत की तारीफ तो होती ही है, लेकिन इंडोनेशिया के लोगों में भी अपनत्व कम नहीं है। पिछली बार जब मैं जकार्ता आया था तब इंडोनेशिया के लोगों ने जो स्नेह और प्यार दिया था, वह मैंने महसूस किया था।
ऐसा बहुत कुछ है, जो भारत और इंडोनेशिया ने अब तब संजोकर रखा है। बाली की ये भूमि महर्षि मार्कन्डेय और महर्षि अगस्त्य के तप से पवित्र है। 2018 में जब इंडोनेशिया में भूकंप आया था, तब भारत ने ऑपरेशन समुद्र मैत्री शुरू किया था। उस साल मैं जकार्ता गया था और मैंने कहा था कि भारत और इंडोनेशिया 90 नॉटिकल मील दूर हैं। वास्तव में, दोनों देश 90 समुद्री मील के करीब हैं।
भारत और इंडोनेशिया ने अपनी भूमि की अद्भुत संस्कृतियों को संरक्षित करने में एक-दूसरे की हमेशा मदद की है।बाली एक प्राचीन भूमि है, जहां महर्षि मार्कंडेय और महर्षि अगस्त्य जैसे महान संतों ने इसे फला-फूला है।
भारत में अगर हिमालय है, तो बाली में अगुंग पर्वत है। भारत में अगर गंगा है, तो बाली में तीर्थ गंगा है। हम भी भारत में हर शुभ कार्य का श्रीगणेश करते हैं। यहां भी श्री गणेश घर-घर विराजमान हैं और सार्वजनिक स्थानों पर शुभता फैला रहे हैं।
पूर्णिमा का व्रत एकादशी की महिमा, त्रिकाल संध्या के जरिए सूर्य उपासना की परंपरा, माँ सरस्वती के रूप में ज्ञान की आराधना, कितना कुछ हमें जोड़ता है।
भारत का Talent, भारत की Technology, भारत का Innovation, भारत की Industry, ने आज दुनिया में अपनी पहचान बनाई है।
2014 के पहले और 2014 के बाद के भारत में बहुत बड़ा फर्क Speed और Scale का है। आज भारत अभूतपूर्व Speed से काम कर रहा है, अप्रत्याशित Scale पर काम कर रहा है।
21वीं सदी में आज विश्व की भारत से अपेक्षाएं हैं, जो आशाएं हैं, भारत उन्हें भी अपनी ज़िम्मेदारी के रूप में देखता है। आज अपने विकास के लिए भारत जब अमृतकाल का रोडमैप तैयार करता है, तो उसमें दुनिया की आर्थिक राजनीतिक आकांक्षाओं का भी समावेश करता है। आज जब भारत आत्मनिर्भर भारत का विज़न सामने रखता है, तो उसमें Global Good की भावना भी समाहित हैं।
आज जब पूरा विश्व environment friendly and holistic health care की ओर आकर्षित हो रहा है, तो भारत का योग और आयुर्वेद पूरी मानवता के लिए तोहफा है।
कोरोनाकाल में हमने देखा है, भारत ने दवाइयों से लेकर वैक्सीन तक जरूरी संसाधनों के लिए आत्मनिर्भरता हासिल की और उसका लाभ पूरी दुनिया को मिला।भारत के सामर्थ्य ने कितने ही देशों के लिए एक सुरक्षा कवच का काम किया है।
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