World Happiness Index 2023
World Happiness Index 2023Akash Dewani - RE

World Happiness Index 2023: राजनीतिक असंतुलन से जूझ रहा पाक भारत से ज्यादा खुश, क्या है यह रिपोर्ट, जानिए...

World Happiness Index 2023: इस साल विश्व खुशहाली रिपोर्ट प्रकाशित की गई जिसमे भारत 126वें स्थान पर है लेकिन राजनीतिक असंतुलन से जूझ रहा पाकिस्तान 108वें स्थान पर हैं, क्यों? जानिए...

राज एक्सप्रेस। हर साल 20 मार्च को विश्व खुशहाली दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र की विकास योजना के अंतर्गत आने वाली विंग सतत विकास समाधान नेटवर्क एक विश्व खुशहाली रिपोर्ट को निकालता है जिसमे वह अलग–अलग देशों की खुशहाली को 6 मापदंडों के औसत के आधार पर उन देशों को रैंक करता है। इस साल भी विश्व खुशहाली रिपोर्ट को प्रकाशित की गया, जिसमे भारत 126वें स्थान पर है लेकिन राजनीतिक असंतुलन और भीषण आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान 108वें स्थान पर हैं, क्यों? आइए इस बात का पता लगाते हुए आपको यह भी बताते है कि आखिर क्या है ये रिपोर्ट और क्या है इस रिपोर्ट की आलोचनाएं?

क्या है विश्व खुशहाली रिपोर्ट? (World Happiness Report)

साल 1972 में भूटान सरकार द्वारा सकल राष्ट्रीय खुशी सूचकांक (Gross National Happiness Index) की शुरुआत की गई थी जिसके अंतर्गत, देश में रह रहे लोगों की खुशी को मापा जाता था जिससे सरकार को यह पता चलता था कि जनता उनकी नीतियों और काम से खुश है या नहीं। भूटान की नायाब सोच को देख संयुक्त राष्ट्र ने इसे अपनाने का फैसला किया। साल 2012 में पहली रिपोर्ट प्रकाशित की गई जिसे विश्व खुशहाली रिपोर्ट कहा गया। विश्व खुशहाली रिपोर्ट एक प्रकाशन है जिसमें विभिन्न देशों की खुशी के लेख और रैंकिंग शामिल हैं, जो उनके स्वयं के जीवन की उत्तरदाताओं की रेटिंग और जीवन के विभिन्न गुणवत्ता कारकों के साथ भी संबंधित है। विश्व खुशहाली रिपोर्ट दुनिया की पहली ऐसी रिपोर्ट है जो यह बताती है कि देश की आबादी कैसा महसूस कर रही है? यह नागरिकों की भलाई और खुशी के लिए योजना बनाने के लिए शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं को आवश्यक डेटा प्रदान करती है। इस रिपोर्ट में 6 कारकों के आधार पर औसत निकाला जाता है जिसमे शून्य से लेकर 8 के स्केल में किसी देश की खुशहाली को मापा जाता है और फिर उसी आधार पर देशों को रैंक किया जाता है।

6 कारक जो इस रिपोर्ट में इस्तेमाल किए जाते है वो ह

  1. प्रति व्यक्ति जीडीपी (Per Capita GDP)

  2. स्वस्थ जीवन प्रत्याशा (Healthy Life Expectancy)

  3. सामाजिक समर्थन (Social Support)

  4. उदारता (Generosity)

  5. जीवन विकल्प बनाने की स्वतंत्रता (Freedom To Make Life Choices)

  6. भ्रष्टाचार पर धारणा ( Perception On Corruption)

कैसे बनाई जाती है रिपोर्ट?

इस रिपोर्ट को बनाने के दो चरण होते है :

पहला जिसमे विभिन्न देशों की प्रति व्यक्ति जीडीपी और स्वस्थ जीवन प्रत्याशा पर अध्यन और शोध किया जाता है। यह दोनो कारक ऐसे कारक है जिनका हार्ड डाटा यानी जिसकी पूरी जानकारी पूर्णतः शोध और विज्ञान पर आधारित होती है। इनके आंकड़े, किसी भी देश की सरकार खुद प्रकाशित करती है।

रिपोर्ट का दूसरा चरण होता है बाकी 4 कारकों के आधार पर एक देश में तीन हजार लोगों का सर्वेक्षण किया जाता है। इस सर्वेक्षण में चार सवाल किए जाते है जैसे कि सामाजिक समर्थन (Social Support) के भीतर उत्तरदाताओं को पूछा जाता है कि अगर कभी आप किसी मुसीबत में आ जाए तो क्या आपके पास ऐसे मित्र या रिश्तेदार है जो आपके साथ खड़े हो सकते है? ऐसे ही उदारता(Generosity) के भीतर पूछा जाता है कि क्या आपने पिछले महीने पैसे दान किए है? इन सब का सवालों का उत्तर उन्हें हां या ना में नहीं बल्कि 0 से 10 तक के स्केल पर देना होता हैं। आखिर में इन चरों कारकों के भीतर पूछे गए सवालों के जवाबों का औसत निकाल कर देशों की रैंक तय की जाती है।

भारत से ज्यादा खुशाल कैसे पाकिस्तान?

ताजा आई और पिछली 4 सालो की रैंकिंग के हवाले से पता चल रहा है कि भारत, पाकिस्तान से कम खुशहाल देश है। जी हां, वहीं पाकिस्तान जो आजादी के बाद से ही राजनीतिक असंतुलन, सांप्रदायिकता और वर्तमान में भीषण आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, वह भारत से ज्यादा खुशहाल बताया जाता है। अगर पिछले चार साल की रैंकिंग को देखे तो 2022 में भारत 136 पर और पाकिस्तान 121 पर, 2021 में भारत 139 पर और पाकिस्तान 105 पर, 2020 में भारत 144 पर और पाकिस्तान 66 पर और 2019 में भारत 140 और पाकिस्तान 67 पर रखे गए थे लेकिन कैसे?

यहां तक की युद्ध प्रभावित देश जैसे यूक्रेन और रूस भी भारत से ऊपर रैंक किए गए है जिससे यह सवाल उठता है कि कैसे एक ऐसा देश जो आतंकवाद का केंद्र बताया जाता है, जिसमे लोकतंत्र का प्रतिदिन मजाक उड़ाया जाता है, जिसमे हिंदू धर्म के लोगों के साथ अत्याचार और उनका जबरन धर्मांतरण किया जाता है, जहां अहमदिया मुस्लिमों का शोषण किया जाता है, वह राष्ट्र कैसे खुशहाल हो सकता है। वैसे तो रिपोर्ट को गौर से पढ़ने के बाद यह बात समझ आती है कि पाकिस्तान स्वस्थ जीवन प्रत्याशा और सामाजिक समर्थन में भारत से कई ज्यादा आगे है जिसका अर्थ यह है कि पाकिस्तान में लोगों की औसत आयु 60 से 80 के बीच है और उनका समाज एक दूसरे के लिए सदैव खड़ा होता है लेकिन क्या इसका अर्थ है कि भारत में लोगों की कम आयु में मृत्यु हो जाती है? यह एक बहुत बड़ा रहस्य बना हुआ है जो की हमें इस रिपोर्ट की आलोचना की ओर लेकर जाता है।

रिपोर्ट की आलोचनाएं:

  • रिपोर्ट राजनीतिक पूर्वाग्रहों से प्रभावित हो सकती है, जैसे कि कुछ आर्थिक नीतियों या एक निश्चित विश्वदृष्टि के लिए प्राथमिकता, जो डेटा की व्याख्या और रिपोर्ट से निकाले गए निष्कर्षों को प्रभावित कर सकती है।

  • यह रिपोर्ट, स्व-रिपोर्ट यानी सेल्फ रिपोर्ट किए गए डेटा पर निर्भर करती है, जो खुशी के वास्तविक स्तर को सटीक रूप से प्रदर्शित नहीं कर सकती है।

  • रिपोर्ट में जीडीपी प्रति व्यक्ति, सामाजिक समर्थन और जीवन प्रत्याशा जैसे आर्थिक कारकों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करती है, लेकिन अन्य महत्वपूर्ण कारकों को ध्यान में नहीं रखती है जो एक मनुष्य की खुशहाली में योगदान करते हैं, जैसे कि राजनीतिक स्थिरता और पर्यावरणीय कारक।

  • रिपोर्ट सर्वेक्षण उत्तरदाताओं (Respondents) के अपेक्षाकृत छोटे आकार के सैंपल साइज पर निर्भर करती है और नमूना पूरी आबादी का प्रतिनिधि नहीं हो सकता है। इससे पक्षपाती परिणाम सामने आ सकते हैं।

  • रिपोर्ट किसी भी मनुष्य की मानसिक स्वास्थ्य या व्यक्तिपरक तंदुरूस्ती की बात नहीं करती है ना इसे कारक बताती है।

इन्ही सब कारणों की वजह से शायद हर साल इस रिपोर्ट द्वारा पाकिस्तान को भारत से ज्यादा खुशाल देश बताया जाता है।

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