हाइलाइट्स
सिंगापुर यूनिवर्सिटी रिसर्च में दावा
जल्द खत्म होगा कोरोना संक्रमण
रिसर्च मुताबिक डेडलाइन 20 मई
चीन से सटा वियतनाम क्यों चर्चा में?
राज एक्सप्रेस। सिंगापुर विश्वविद्यालय में की गई रिसर्च के मुताबिक भारत में पैंडेमिक कोरोना वायरस डिजीज का खतरा जल्द समाप्त होने को है। मरीज के संक्रमित और स्वस्थ होने के आंकड़ों पर आधारित अनुसंधान में इस बात के संकेत मिलने का दावा रिसर्चर्स ने किया है।
डेडलाइन 20 मई :
सिंगापुर यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा 20 मई के बाद कम या समाप्त हो सकता है। यह अनुसंधान मरीज के ठीक और संक्रमित होने संबंधी आंकड़ों पर आधारित है। राहत की बात यह है कि, रिसर्च ग्राफ में इटली और स्पेन के कोरोना संबंधी डाटा के अध्ययन से फिलहाल रिसर्च का दावा भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल दिख रहा है।
भारत सतर्क :
विस्तृत भूभाग पर निवासरत् दुनिया की बड़ी आबादी वाले राष्ट्र भारत में समय रहते उठाए गए एहतियातन कदमों के कारण कोरोना वायरस संक्रमण की समस्या पर उचित समय लगाम कस दी गई। भले ही भारत में Coronavirus संक्रमित मरीज़ों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही हो लेकिन इस परेशानी से जूझ रहे अमेरिका, ब्रिटेन जैसे सुविधा संपन्न राष्ट्रों के मुकाबले देश में स्थिति नियंत्रण में कही जा सकती है। सिंगापुर यूनिवर्सिटी की रिसर्च से भारतवासियों ने राहत की सांस ली है। सनद रहे भारत में कोरोना संक्रमण प्रसार रोकने के लिए आगामी 3 मई तक के लिए संपूर्ण राष्ट्र में लॉकडाउन घोषित किया गया है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस :
सिंगापुर यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड डिजाइन (SUTD) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से यह अध्ययन किया है। स्टडी कोरोना वायरस संक्रमण प्रसार की गति पर केंद्रित है। रिसर्च में लोगों में कोरोना संक्रमण और संक्रमण उपरांत ठीक होने से जुड़े आंकड़ों का अध्यययन किया गया है। यूनिवर्सिटी की रिसर्च सस्पेक्टिबल-इन्फेक्टेड-रिकवर्ड (SIR) यानी संदिग्ध-संक्रमित-वापस स्वस्थ होने संबंधी आंकड़ों पर आधारित है।
जिन देशों में महामारी कोरोना वायरस का खतरा ज्यादा है उन राष्ट्रों के आंकड़ों को रिसर्च का आधार बनाया गया है। रिसर्चर्स के ग्राफ आधारित परिणाम में इटली और स्पेन के बारे में निष्कर्ष सटीक मालूम पड़ा है। रिसर्च के मुताबिक यह दोनों राष्ट्र अगले महीने मई के प्रथम सप्ताह तक कोविड-19 संक्रमण के दंश से उबर सकते हैं।
कोरोना के रास्ते बंद :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में संपूर्ण भारत में लागू लॉकडाउन के कारण कोरोना वायरस संक्रमण को काबू में करने में खासी मदद मिली है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक शनिवार तक देश में कोविड-19 के डबल होने की औसत दर 9.1 दिन रही। शुक्रवार से शनिवार (नियत समयकाल में) तक भारत में कोरोना के नए केसों की वृद्धि दर छह फीसदी दर्ज की गई थी।
रोजाना आंकड़ों के पिछले मान से यह सबसे कम वृद्धि दर है। देश में शनिवार तक कोरोना वायरस संक्रमण से मृत्यु दर 3.1 फीसदी रही। अच्छी खबर यह है कि संक्रमित मरीज के संक्रमण मुक्त होने की दर 20 फीसदी से ज्यादा है। यह दर कोरोना से जूझ रहे अन्य सुविधा संपन्न देशों की तुलना में बेहतर कही जा सकती है।
वियतनाम क्यों चर्चा में? :
विदेशी मीडिया की एक खबर पर भारतीय जनमानस में जमकर चर्चा है कि; वियतनाम ने ऐसा क्या किया कि उस देश में एक भी मौत नहीं हुई? सवाल उठना और फिर भारत से तुलना लाजिमी भी है। वियतनाम और भारत की तुलना करने से पहले हमें दोनों देशों के पारिस्थितिक तंत्र पर भी ध्यान देना होगा। दुनिया में तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण पर वियतनाम में अब लगभग लगाम कसी जा चुकी है। कोरोना महामारी की शुरुआत होने वाले देश चीन की सीमा से सटे इस देश की आबादी लगभग 9.7 करोड़ है।
जारी आंकड़ों पर गौर करें तो वियतनाम में अब तक संक्रमण के मात्र 168+ मामले सामने आए। जबकि कोरोना से मृत्यु दर इस देश में निरंक है। देश में अब लागू पाबंदियों को हटाकर धीरे-धीरे रोजमर्रा के कामकाज को गति देने की तैयारी की जा रही है। इसका क्या कारण है? इस बात को भी समझना होगा।
समय पर निर्णय :
दरअसल कोरोना के खतरे को शुरुआत में ही भांपकर वियतनाम ने नागरिकों को जागरूक कर कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोका। साथ ही चीन के अलावा अन्य सीमाओं को भी सख्ती के साथ बंद कर दिया। हवाई अड्डों पर आने-जाने वालों की थर्मल स्क्रीनिंग की गई। इतना ही नहीं विदेश से आने वालों को सख्ती के साथ 14 दिनों तक क्वारंटीन में रखा गया। क्वारंटीन के लिये यहां होटलों को अनुबंध के आधार पर क्वारंटीन सेंटर बनाया गया। खतरा बढ़ता देख बाद में विदेशियों की एंट्री बैन कर दी गई।
फॉर्मूला C&T :
वियतनाम में COVID-19 संक्रमित लोगों को क्वारंटाइन (C) करने के बाद संक्रमितों के संपर्क में आने वालों की ट्रेसिंग (T) पर सरकार ने खास फोकस किया। मेलजोल की हिस्ट्री निकालकर संभावित संक्रमितों का भी टेस्ट किया गया। चिकित्सा सुविधाओं में अन्य देशों के मुकाबले कमतर वियतनाम की देश में निर्मित कम कीमत वाली टेस्टिंग किट्स के साथ ही देशव्यापी जागरूकता संदेशों ने भी उल्लेखनीय भूमिका निभाई।
पीएम की अपील:
प्रधानमंत्री ग्युएन जुआन फुक ने नागरिकों से वियतनाम-अमेरिका युद्ध की ही तरह कोविड 19 से फाइट में भी एकजुटता दिखाने की अपील की। व्यवस्थाओं की यदि बात करें तो वियतनाम की एकल पार्टी प्रणाली में पुलिस, सेना और दल शीर्ष स्तर पर लिए जाने वाले फैसलों पर देशहित में पूरा अमल करते हैं।
भारत में स्थिति :
एक अरब से अधिक आबादी वाले भारत में भी केंद्र की एनडीए सरकार ने समय पर उचित कदम उठाए। तय आर्थिक नुकसान के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लॉकडाउन लागू करने और फिर उसे दोबारा आगे बढ़ाने से तक परहेज नहीं किया। बहुभाषी-बोलियों वाले राष्ट्र में कोरोना से निपटने के लिए सरकार ने युद्ध स्तर पर न केवल व्यवस्थाएं जुटाई हैं बल्कि तत्परता भी दिखाई।
सरकार को देश में अप्रवासियों को घर पहुंचाने, संक्रमितों की जांच कराने के अलावा विभिन्न धार्मिक मान्यताओं से उपजी असहजताओं का भी सामना करना पड़ रहा है। भारत की सीमाओं की यदि बात करें तो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर को बंद करने का काम भी काफी दुष्कर है।
पाकिस्तान की सीमा से लगातार घुसपैठ की आतंकी कोशिश नाकाम की जा रही है। जबकि विभिन्न राज्यों की सरकारों से मतांतर भी सामने आ रहे हैं। वियतनाम की तुलना में कई गुना बड़ी भारतीय अर्थव्यवस्था की सेहत भी मौजूदा परिस्थितियों में ठीक कही जा सकती है। वियतनाम जैसी सख्ती न दिखाकर भारत में सहजता से स्थिति को नियंत्रित करने की दिशा में कदम उठाये जा रहे हैं।
स्थानीय प्रशासन और सशक्त सुरक्षा व्यवस्था के मामले में हालांकि भारत में अभी भी सख्त कदम उठाने की दरकार जरूर है। भारत में भी कई राज्यों में संक्रमण मुक्त इलाकों में लागू प्रतिबंधों में ढील देने की घोषणा की जा चुकी है जबकि कई मामलों में मंथन चल रहा है। कहना गलत नहीं होगा कि नागरिकों को भी कोरोना से जंग में लागू प्रतिबंधों पर सख्ती से अमल करना होगा, तभी भारतीय प्रजातंत्र संपूर्ण राष्ट्रों के समक्ष कोरोना से फाइट में “आदर्श भारत” बनकर उभरेगा।
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