International Sex Workers Day : क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय सेक्स वर्कर डे? क्या है इसका इतिहास?
International Sex Workers Day : दुनिया में ऐसे कई लोग हैं, जो वेश्यावृत्ति या जिस्म फरोशी के जरिए अपना जीवन यापन करते हैं। यह एक ऐसा काम होता है, जिसमें शारीरिक संबंध बनाकर पैसे कमाए जाते हैं। हालांकि इन यौनकर्मियों को रोजाना क्रूरता और हिंसा का सामना करना पड़ता है। लोग इनके साथ बेहद बुरा व्यवहार करते हैं। समाज में भी इन लोगों को स्थान नहीं मिलता है। ऐसे में यौनकर्मियों को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक करने और समाज में उन्हें सम्मान दिलाने के मकसद से हर साल 02 जून को International Sex Workers Day यानि ‘अंतर्राष्ट्रीय यौनकर्मी दिवस’ मनाया जाता है।
कैसे हुई थी शुरुआत?
दरअसल इस सब की शुरुआत फ्रांस से होती है। 70 के दशक में वहां सेक्स वर्कर हिंसा और दुर्व्यवहार के चलते परेशान हो गए। ऐसे में अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ने और लोगों का ध्यान उनके साथ हो रही हिंसा की तरफ आकर्षित करने के लिए सेक्स वर्कर ने 2 जून 1975 को 100 यौनकर्मियों ने एक चर्च पर कब्जा कर लिया। करीब 10 दिनों तक यौनकर्मी वहीं बैठे रहे। इसके बाद पुलिस ने बलपूर्वक चर्च को खाली करवा लिया। हालांकि तब तक यह आंदोलन फ्रांस से पूरे यूरोप में फैल गया। इसके बाद से ही 2 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय यौनकर्मी दिवस’ मनाया जाने लगा।
भारत में वेश्यावृत्ति को लेकर कानून
बता दे कि वेश्यावृत्ति उन्मूलन विधेयक 1956 के अनुसार भारत में वेश्यावृत्ति अवैध नहीं है। कोई भी सेक्स वर्कर निजी तौर पर यह काम कर सकती है। बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने भी वेश्यावृत्ति को रोजगार मानते हुए पुलिस को ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई न करने का आदेश दिया था। हालांकि भारत में वैश्यालय चलाना अपराध है। इसके अलावा अगर कोई सेक्स वर्कर किसी को शारीरिक संबंध बनाने के लिए उकसाती है या फिर सार्वजनिक जगह पर अश्लीलता फैलाती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा नाबालिग लोगों से वेश्यावृत्ति कराना, अपने काम का प्रचार करना या सार्वजनिक रूप से अपने फोन नंबर जारी करना भी अपराध है।
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