इजरायल से संबंध सामान्य करने को राजी है सऊदी
इजरायल से संबंध सामान्य करने को राजी है सऊदीSyed Dabeer Hussain - RE

इजरायल से संबंध सामान्य करने को राजी है सऊदी, लेकिन अमेरिका के सामने रखी यह तीन शर्ते

अमेरिका की जो बाइडेन की सरकार इजराइल और सऊदी अरब के बीच संबंध स्थापित करना चाहती है। लेकिन सऊदी अरब ने इसके लिए अमेरिका और इजराइल के सामने तीन शर्ते रख दी हैं।

हाइलाइट्स :

  • जो बाइडेन की सरकार इजराइल और सऊदी अरब के बीच संबंध स्थापित करना चाहती है।

  • सऊदी अरब भी इजराइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने के लिए तैयार है।

  • सऊदी अरब ने अमेरिका और इजराइल के सामने जो तीन शर्ते रखी हैं।

  • सऊदी अरब फिलिस्तीन को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग भी कर रहा है।

राज एक्स्प्रेस। अमेरिका पिछले काफी समय से इजराइल और अरब वर्ल्ड के बीच संबंध सामान्य करने की दिशा में प्रयास कर रहा है। अमेरिका की पूर्व डोनाल्ड ट्रम्प सरकार के दौरान युनाइटेड अरब अमीरात, बहरीन, मोरक्को और सूडान ने इजराइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। वहीं अब जो बाइडेन की सरकार इजराइल और सऊदी अरब के बीच संबंध स्थापित करना चाहती है। कहा जा रहा है कि सऊदी अरब भी इजराइल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने और उसे मान्यता देने के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए उसने अमेरिका और इजराइल के सामने तीन शर्ते रख दी है। तो चलिए जानते हैं कि आखिर सऊदी अरब की वह तीन शर्ते क्या हैं?

पहली शर्त

सऊदी अरब ने अमेरिका और इजराइल के सामने जो तीन शर्ते रखी हैं, उसमे पहली शर्त अमेरिका की एडवांस्ड टेक्नोलॉजी जैसे THAAD मिसालइल सिस्टम हासिल करना है। दरअसल अमेरिका की एडवांस्ड डिफेंस टेक्नोAलॉजी के पीछे सऊदी अरब की मंशा अपनी सेना को मजबूत करना है। इसके जरिए सऊदी अरब यूएआई और ईरान से आगे निकलकर अरब वर्ल्ड को लीड करना चाहता है।

दूसरी शर्त

सऊदी अरब की दूसरी शर्त अमेरिका के साथ एक रक्षा गठबंधन की स्थापना करना है। इस गठबंधन के जरिए सऊदी अमेरिका से नाटो जैसी सुरक्षा गारंटी चाहता है। इसका कारण यह है कि सऊदी अरब लगातार यूएई और ईरान जैसे देशों से खतरा महसूस करता है। दोनों ही देशों से उसका सालों से तनाव है। हालांकि हाल के दिनों में सऊदी अरब और ईरान ने अपने संबंध सामान्य करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।

तीसरी शर्त

सऊदी अरब की तीसरी शर्त सिविल उद्देश्य के लिए न्यूक्लियर पावर स्थापित करना है। सऊदी अरब की यह शर्त अमेरिका के लिए परेशानी वाली साबित हो सकती है। इसका कारण यह है कि सऊदी भले ही सिविल उद्देश्य के लिए न्यूक्लियर पावर स्थापित करने की बात कह रहा है, लेकिन उसकी न्यूक्लियर हथियार बनाने की मंशा किसी से छुपी नहीं है। साल 2018 में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कहा था कि अगर ईरान ने परमाणु हथियार बनाया तो फिर सऊदी भी पीछे नहीं रहेगा। इसके अलावा सऊदी अरब फिलिस्तीन को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग भी कर रहा है, लेकिन इजराइल इससे पहले ही मना कर चुका है।

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